Bitter gourd (Bitter melon) nutrition facts and health benefits that makes it even more worth eating : कड़वा करेला है औषधीय गुणों का भण्डार, इसे समझें ना बेकार |
कहते हैं ना कि सभी
चमकदार चीजें सोना नहीं होती और सभी नापसंद चीजें बेकार नहीं होती | अतः आज हम बात
करने जा रहे हैं करेले की, जोकि हम में से अधिकतर लोगों की पसंदीदा सब्जी नहीं होती है, किन्तु
क्या आप जानते हैं करेले का स्वाद भले ही कड़वा होता है परन्तु यह हमारे स्वास्थ्य के
लिए काफी लाभप्रद होता है | करेला गर्मी और बरसात के महीनों में होता है। करेला
लगभग पूरे भारत में उगाया जाता है। करेले दो प्रकार के होते हैं- बड़ा करेला और
छोटा करेला। इसकी भी सब्जी बनाकर खाई जाती है। लम्बे करेले के अपेक्षा बड़ा करेला
अधिक कडुवा होता है। सब्जी बनाते समय करेले को छिलके को छीलकर उतार देते हैं।
करेले की कड़वाहट कम करने के लिए सब्जी में नमक, नींबू, मसाले
आदि मिलाए जाते हैं।
करेले में पाये जाने वाले तत्त्व :
तत्त्व
|
मात्रा
|
1. प्रोटीन
|
1.6 प्रतिशत
|
2. वसा
|
0.2 प्रतिशत
|
3. कार्बोहाइड्रेट
|
4.2 प्रतिशत
|
4. पानी
|
92.4 प्रतिशत
|
5. विटामिन- ए
|
210 आई.यू./100
ग्राम
|
6. विटामिन- सी
|
88 मिग्रा./100
ग्राम
|
7. विटामिन- बी
|
24 आई .यू./100
ग्राम
|
8. कैल्शियम
|
0.02 प्रतिशत
|
9. फॉस्फोरस
|
0.07 प्रतिशत
|
10. लोह
|
2.2 मिग्रा./100
ग्राम
|
11. अन्य खनिज पदार्थ
|
0.8 प्रतिशत
करेले के चमत्कारिक औषधीय गुण :
मधुमेह रोग:
|
1. करेले को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और यह
चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में
पानी के साथ सेवन करें। इसके सेवन से शर्करा नियंत्रित रहता है और मधुमेहरोग में लाभ मिलता है।
2. मधुमेह के रोगी को 15
ग्राम करेले का रस 100
ग्राम पानी में मिलाकर प्रतिदिन 4 बार
लगभग एक महीने तक पिलाएं। मधुमेह के रोगियों को करेले की सब्जी भी खानी चाहिए।
3. करेले का 10
ग्राम रस शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से शर्करा पर नियंत्रण रहता
है।
4. ताजे करेले का 20-25 ग्राम रस निकालकर थोड़ा-सा नमक मिलाकर नाश्ता
करने के बाद सेवन करने से मधुमेह रोग ठीक होता है।
5. करेले का 3-3
चम्मच रस सुबह-शाम लेने से मधुमेह में लाभ होता है।
6. 10 ग्राम करेले का रस और 6 ग्राम
तुलसी के पत्तों का रस एक
साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
7. 15 ग्राम करेले के रस को 100 ग्राम
पानी के साथ मिलाकर दिन में 3
बार लगभग 3
महीने तक पीने से मधुमेह रोग ठीक होता है।
8. 250 ग्राम करेले को आधा
किलो पानी में उबालें। जब यह उबलते-उबलते एक चौथाई बच जाए तो इसे छान कर पीएं।
इससे मधुमेह में लाभ होता है।
बवासीर (अर्श):
1. करेले या करेले के पत्तों का रस 20 ग्राम निकालकर और इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से बवासीर में खून का आना बंद होता है।
2.
खूनी बवासीर में खून आने पर एक चम्मच करेले का रस चीनी में मिलाकर खाने से लाभ
होता है। इसका प्रयोग प्रतिदिन सुबह-शाम 30
दिन तक करने से बवासीर ठीक होती है।
3.
करेले के बीजों को सुखाकर महीन पाउडर बना लें और इस पाउडर में थोड़ा सा शहद व सिरका मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को
लगातार 20 दिनों तक मस्सों पर
लगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।
पेट के कीड़े:
1. करेले के पत्तों का रस पीने से आंतों में मौजूद कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकाल जाते हैं।
2.
करेला का रस पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
3.
करेला के पत्तों का रस गर्म पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
4.
करेले की सब्जी बनाकर 7 दिनों तक खाने से
बुखार, पित्त की खराबी,
बच्चों को हरे-पीले दस्त, बवासीर, पेट
के कीड़े एवं पेशाब की बीमारी आदि दूर होती है।
5.
एक चम्मच करेले का रस,
आधा
चम्मच नीम का रस और बायविडंग का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते
हैं।
जिगर का बढ़ना:
1. करेले के पत्तों का रस 1 से 2 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से जिगर का बढ़ना ठीक होता है। यह जलोदर और टाइफायड के बुखार में भी लाभकारी होता है।
2. करेले के फल व पत्तों का रस 8 से 10 बूंद
की मात्रा में थोड़ा-सा शहद मिलाकर बच्चे को देने से जिगर का रोग ठीक होता है।
3. आधा चम्मच करेले का रस 3 से 6 वर्ष
के बच्चे को प्रतिदिन देने से जिगर का बढ़ना ठीक होता है।
4. यकृत बढ़ने पर 50
ग्राम करेले का रस पानी में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
गठिया:
1. गठिया रोग से पीड़ित रोगी को करेले का रस दर्द वाले स्थान पर लगाना चाहिए और इसकी सब्जी बनाकर खानी चाहिए।
2. करेले के पत्तों का रस निकालकर जोड़ों पर मालिश करने से दर्द
दूर होता है।
3. करेले का रस निकालकर दर्द वाले स्थान पर लगाएं। इससे गठिया
की सूजन व दर्द कम होता है। करेले के रस में राई का तेल मिलाकर मालिश करने से भी
दर्द में आराम मिलता है।
हैजा (विसूचिका):
1. करेले की जड़ का काढ़ा लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की मात्रा में बनाकर तिल के तेल के साथ विसूचिका के रोगी को पिलाने से रोग शांत होता है।
2.
करेले के चौथाई कप रस,
पानी
व स्वादा के अनुसार नमक मिलाकर हैजा से ग्रस्त रोगी को बार-बार पिलाएं। इससे हैजा
रोग में लाभ मिलता है और उल्टी, दस्त बंद होता है।
3.
करेले का रस निकालकर तेल में मिलाकर पीने से हैजा रोग ठीक होता है।
गुर्दे या मूत्राशय की पथरी:
1. गुर्दे या मूत्राशय की पथरी से पीड़ित रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और इसकी सब्जी खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
2. करेले के 20
ग्राम रस में शहद मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से पथरी गल जाती है और
पेशाब के रास्ते निकल जाती है।
जलोदर (पेट में पानी का भरना):
1. करेले के पत्तों का रस 350 से 700 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से जलोदर रोग ठीक होता है।
2. करेला के 20
ग्राम रस में थोड़ा शहद मिलाकर पीने से दस्त आकर जलोदर साफ होता है।
3. करेले के पत्तों का रस 10 से 15 मिलीलीटर
की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर जलोदर रोग से पीड़ित रोगी को पीना चाहिए। इससे पेट
में पानी भरना रोग ठीक होता है।
खून को साफ करना:
1. करेले का रस 60 ग्राम की मात्रा में कुछ दिनों तक पीने से दूषित खून साफ होता है।
2. करेले की कड़वाहट दूर किए बिना ही सब्जी बनाकर खाने से खून
साफ होता है।
दमा (सांस) रोग:
1. दमा या सांस रोग से पीड़ि़त व्यक्ति को करेले की सब्जी खानी चाहिए। इससे दमा रोग में लाभ मिलता है।
2. एक चम्मच करेले के रस में चुटकी भर सेंधानमक डालकर सेवन
करने से दमा रोग ठीक होता है।
मुंह के छाले:
1. मुंह के छालों को ठीक करने के लिए करेले का रस निकालकर पिसी हुई फिटकरी डालकर हल्का गर्म करके कुल्ला करें। इससे दिन में 2 बार कुल्ला करने से छाले ठीक होते हैं।
2. करेले का रस और चाक मिट्टी को एक साथ पीसकर पेस्ट की तरह
बनाकर दांतों पर मलने से छाले खत्म होते हैं।
बहरापन:
1. 3 करेले को पीसकर 200 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं। जब पककर करेला जल जाए तो इसे कपड़े में रखकर निचोड़कर तेल निकल लें। यह तेल बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
2. काला जीरा और करेले के बीज को बराबर मात्रा में लेकर पानी
के साथ पीस लें। इस पानी को कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर होता है।
पीलिया का रोग:
1. करेले के एक चम्मच रस में चुटकी भर कुटकी पीसकर मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से पीलिया का रोग ठीक होता है।
2. करेले के 15
ग्राम रस को 250
ग्राम पानी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग में
काफी लाभ मिलता है।
त्वचा का
रोग:
1. दाद, खाज, खुजली होने पर करेले का रस लगाना लाभकारी होता है।
2. त्वचा रोग में कड़वे करेले की सब्जी बनाकर खाना चाहिए और
इसके पत्तों को पीसकर रोगग्रस्त स्थान पर लेप करना चाहिए।
विभिन्न रोगों का उपचार :
ä पक्षाघात (लकवा, फालिस): लकवा से पीड़ित रोगी को करेले की सब्जी बनाकर खिलाना फायदेमंद होता है।
ä पाचनशक्ति: करेले की सब्जी या रस पीने से पेट की गैस दूर होती है और पाचनशक्ति मजबूत होती है।
ä प्लीहा का बढ़ना (तिल्ली): 1 कप पानी में 25 ग्राम करेले का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से प्लीहा का बढ़ना कम होता है।
ä भूख न लगना: लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग करेले के रस को मट्ठे के साथ दिन में 1 से 2 बार पीने से भूख बढ़ती है|
ä आंखों के रोग:आंखों के फूल जाने और रतौंधी होने पर उपचार के लिए जंग लगे लोहे के बर्तन में करेले के पत्तों का रस और एक कालीमिर्च का थोड़ा सा हिस्सा मिलाकर घिस लें और इसे आंखों की पलकों पर लगाएं।
ä कान का दर्द: करेला के ताजे फल या पत्तों का रस गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
ä गले की सूजन: सूखे करेले को सिरके में पीसकर गर्म करके गले पर लेप करने से गले की सूजन दूर होती है।
ä ठंडा बुखार: ठंड लगने से उत्पन्न बुखार को दूर करने के लिए करेले के 10 से 15 मिलीलीटर रस में जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार पिलाएं। इससे ठंड लगने से होने वाला बुखार ठीक होता है।
ä रतौंधी (रात में दिखाई न देना): करेले के पत्तों के रस और कालीमिर्च को पीसकर आंखों में लगाने से रतौंधी दूर होता है।
ä कब्ज: करेले का एक चम्मच रस, जीरा आधा चम्मच और सेंधानमक दो चुटकी मिलाकर चटनी बना लें। इसके सेवन से कब्ज दूर होती है।
ä गर्भ निरोध: करेले का रस सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता।
ä पेट में गैस बनना: करेला की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस दूर होती है।
ä पेशाब में खून आना: करेले को पानी में घोटकर 250 से 500 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेशाब में खून का आना बंद होता है। रोगी को गरिष्ठ व गर्म खाना नहीं खाना चाहिए।
ä अम्लपित्त: करेले के भर्त्ते में सेंधानमक मिलाकर भोजन के साथ खाने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) दूर होती है।
ä शीतपित्त: करेले की सब्जी बनाकर प्रतिदिन खाने से शीतपित्त रोग में लाभ होता है। इसके पत्ते को पीसकर लेप करने से भी रोग ठीक होता है।
ä मोटापा: करेले का रस और 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।
ä एलर्जी: एलर्जी के रोग में करेले का रस और जरा सा नमक मिलाकर सेवन करना चाहिए और एलर्जी वाले स्थान पर करेले का रस लगाना चाहिए।
ä शीतला (मसूरिका): करेले के पत्तों का रस और हल्दी का चूर्ण मिलाकर पीने से खसरा और मसूरिका रोग ठीक होता है।
ä फोड़े-फुंसियां: फोड़े-फुंसियों पर थोड़े दिन तक करेले का रस लगाने से फुंसिया सूख जाती है।
ä खसरा: रोगी को करेले के पत्तों का रस एक चम्मच प्रतिदिन पिलाने से खसरे का रोग ठीक होता है।
ä घमौरियां: चौथाई कप करेले के रस में एक चम्मच खाने वाला मीठा सोड़ा मिलाकर दिन में 2 से 3 बार घमौरियों पर लेप करने से घमौरियां ठीक होती है।
ä बच्चों के यकृत दोष: करेला या करेले के पत्तों के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से जिगर का रोग ठीक होता है।
ä पैरों की जलन: करेले के पत्तों का रस निकालकर पैरों पर मालिश करने से पैरों की जलन दूर होती है।
करेले के अत्यधिक सेवन से होने वाले नुकसान :
किसी भी चीज की अति कर देना हमेशा खतरनाक साबित होता है | डायबिटीज
से लेकर वजन घटाने तक, करेले का
सेवन यकीनन कई फायदों से भरा है। लेकिन हर किसी के लिए करेले का अत्याधिक सेवन
सिर्फ फायदों से भरा हो, ऐसा जरूरी भी नहीं है। करेले का
अत्यधिक सेवन करने से आपको कई परेशानियों का सामना करना पड सकता है | अतः करेले का
उचित मात्रा में ही सेवन करे और इसका सेवन करते समय नीचे दी गयी सावधानियों पर
अवश्य गौर करें |
ü करेले के रस में मोमोकैरिन नामक तत्व होता है जो पीरियड्स का फ्लो बढ़ा देता है । अतः कई बार यह गर्भावस्था के दौरान पीरियड्स की स्थिति भी पैदा कर सकता है।
ü गर्भावस्था के दौरान इसका अधिक सेवन गर्भपात का कारण हो सकता है । यह न केवल गर्भावस्था बल्कि गर्भधारण की चाह रखने वाली महिलाओं और पुरुषों के लिए इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
ü करेले के अत्याधिक सेवन से हेमोलाइटिक अनीमिया हो सकता है। इस स्थिति में पेट में दर्द, सिर दर्द, बुखार या कोमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ü करेले में एंटी लैक्टोलन तत्व भी हैं जो गर्भावस्था के दौरान दूध बनने की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। फर्टिलिटी से संबंधित दवाओं का असर करेले में मौजूद तत्व खत्म कर देते हैं।
ü लिवर व किडनी के मरीजों के लिए के लिए इसका अत्याधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। यह लिवर में एन्जाइम्स का निर्माण बढ़ा देता है जिससे लिवर प्रभावित होता है।
ü करेले का बीज में लेक्टिन नामक तत्व है जो आंतों तक प्रोटीन के संचार को रोक सकता है।
नोट : करेले का अधिक सेवन करना हानिकारक होता है। यदि करेले का अधिक सेवन करने से किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो चावल व घी खाएं।
ü करेले के रस में मोमोकैरिन नामक तत्व होता है जो पीरियड्स का फ्लो बढ़ा देता है । अतः कई बार यह गर्भावस्था के दौरान पीरियड्स की स्थिति भी पैदा कर सकता है।
ü गर्भावस्था के दौरान इसका अधिक सेवन गर्भपात का कारण हो सकता है । यह न केवल गर्भावस्था बल्कि गर्भधारण की चाह रखने वाली महिलाओं और पुरुषों के लिए इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
ü करेले के अत्याधिक सेवन से हेमोलाइटिक अनीमिया हो सकता है। इस स्थिति में पेट में दर्द, सिर दर्द, बुखार या कोमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ü करेले में एंटी लैक्टोलन तत्व भी हैं जो गर्भावस्था के दौरान दूध बनने की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। फर्टिलिटी से संबंधित दवाओं का असर करेले में मौजूद तत्व खत्म कर देते हैं।
ü लिवर व किडनी के मरीजों के लिए के लिए इसका अत्याधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। यह लिवर में एन्जाइम्स का निर्माण बढ़ा देता है जिससे लिवर प्रभावित होता है।
ü करेले का बीज में लेक्टिन नामक तत्व है जो आंतों तक प्रोटीन के संचार को रोक सकता है।
नोट : करेले का अधिक सेवन करना हानिकारक होता है। यदि करेले का अधिक सेवन करने से किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो चावल व घी खाएं।
Comments
Post a Comment