The Remarkable Qualities of Triphala : त्रिफला के अनमोल गुण : जानें ! कैसे त्रिफला के प्रयोग से दूर होते हैं कई बड़े रोग
The Remarkable Qualities of Triphala
आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी व अनियमित खान-पान व तनाव भरे
माहौल में ज्यादातर लोग तरह तरह के रोगों से पीड़ित रहते है जिनमे कब्ज व शारीरिक
सुस्ती के ज्यादातर लोग शिकार रहते है | और इससे निजात पाने के लिए एलोपेथी गोलियां खाकर दूसरी बिमारियों को
न्योता दे देते है पर हम भूल जाते है कि हमारे देश की प्राचीन आयुर्वेद द्वारा
प्रदत ऐसे छोटे छोटे नुस्खे भरे पड़े है जिन्हें आजमाकर हम अपने स्वास्थ्य को अच्छा
रख सकते है यही नहीं हमारी रसोई में उपलब्ध मसालों आदि के सेवन से हम छोटे मोटे
रोग ठीक करने के साथ अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर स्वास्थ्य जीवन जी
सकते है |
भारत में हर कोई जानता है कि ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश का सेवन
कर अपने शरीर का कायाकल्प कर लिया था | पर आज हम यहाँ चर्चा कर रहे है त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प
कर जीवन भर स्वास्थ्य रहने पर | आयुर्वेद की महान देन
त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने
के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते
है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का
कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन
करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके
शरीर का कायाकल्प कर सकता है |
त्रिफला
क्या है?
त्रिफला
एक आयुर्वेदिक पारंपरिक दवा है जो रसायन या कायाकल्प के नाम से भी प्रसिद्ध है।
त्रिफला तीन जड़ी - बूटियों का मिश्रण है - अमलकी ( एमबलिका ऑफीसीनालिस ), हरीतकी ( टरमिनालिया छेबुला ) और विभीतकी ( टरमिनालिया बेलीरिका )।
त्रिफला रोजमर्रा की आम बीमारियों के लिए बहुत प्रभावकारी औषधि
है फिर चाहे वह सिर का रोग हो या चर्म रोग, रक्त दोष हो मूत्र रोग या फिर पाचन संस्थान संबंधी रोग। यह सभी रोगों का
रामबाण है। आइए जानें कैसे-
आंखों के रोग
में चमत्कारी है त्रिफला :-
õत्रिफला को शाम को पानी में डालकर भिगो दें। सुबह उठकर इसे छान लें
तथा इससे आंखों धोएं इससे हर प्रकार की आंखों की बीमारियां ठीक हो जाती है।
त्रिफला के चूर्ण को कुछ घंटे तक पानी में भिगोकर, छानकर
उसका पानी पीने से भी गैस की शिकायत नहीं रहती हैं।
õत्रिफला के पानी से आंखों को धोने से आंखों के अंदर की सूजन दूर हो
जाती है।
õलगभग 5 से 10 ग्राम
महात्रिफला तथा मिश्री को घी में मिलाकर सेवन करने से आंखों का दर्द, आंखों का लाल होना या आंखों की सूजन आदि दूर होते है।
õ4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण 1 गिलास पानी में मिलाकर अच्छी तरह से छान लें। इस पानी से आंखों पर छीटे
मारकर दिन में 4 बार धोएं। इससे लाभ मिलता है और
आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
õत्रिफला के काढ़े की कुछ बूंदे आंखों में डालने से हर प्रकार के आंखों
के रोग ठीक हो जाते हैं।
õत्रिफला के पानी से रोजाना 2 से 3 बार आंखों को धोने से कनीनिका की जलन दूर होती है। आंखों के रोगों को ठीक
करने के लिए 30 ग्राम त्रिफला चूर्ण को रात के समय
में 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रखें। सुबह इसे
कपड़े से छानकर आंखों को धोएं।
õ10 ग्राम त्रिफला, 5-5 ग्राम सेंधानमक और फिटकरी और 100 ग्राम
नीम के पत्ते इन सबको लेकर 300 मिलीलीटर पानी में
उबालें तथा इसे कपड़े से छानकर आंखों को धोने से आंखों की सूजन ठीक हो जाती है।
मोतियाबिंद :-
õठंडे पानी या त्रिफला के काढ़े से आंखों को धोने से मोतियाबिंद दूर होता है।
õत्रिफला
चूर्ण एवं यष्टीमूल चूर्ण को 3
से 6 ग्राम शहद या घी के साथ दिन में 2
बार लेने से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
õमोतियाबिंद
को ठीक करने के लिए 6 से 12 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 12 से 24 ग्राम घी के साथ दिन में 3 बार लेना चाहिए।
दिनौंधी (दिन में दिखाई न देना) :-
õत्रिफला के काढे़ में 12 से 24 ग्राम शुद्ध घी मिलाकर इसे 150 मिलीलीटर गुनगुने पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से लाभ मिलता है।
õत्रिफले
के पानी से आंखों को रोजाना धोने और त्रिफले का चूर्ण घी या शहद के साथ सुबह और
शाम 3 से 6 ग्राम खाने से दिनौंधी रोग में लाभ मिलता है।
õदिनौंधी
को ठीक करने के लिए रोजाना सुबह और शाम 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण को ताजे पानी के साथ
सेवन करें और त्रिफला के पानी से आंखों और सिर को धोयें।
रतौंधी (रात में न दिखाई देना) :-
त्रिफला के पानी से
रोजाना सुबह और शाम आंखों और सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए। इससे रतौंधी रोग ठीक
होने लगता है।
सब्ज मोतियाबिंद :-
3 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण सुबह और शाम घी और शहद के साथ मिलाकर सब्ज मोतियाबिंद
ठीक हो जाता है।
कब्ज :-
õकब्ज को दूर करने के लिए त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम रात में हल्के गर्म दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है।
õ1 चम्मच त्रिफला के
चूर्ण को गर्म पानी के साथ सोने से पहले सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
õत्रिफला
का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्का गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेने से
कब्ज दूर हो जाती है।
õत्रिफला
का चूर्ण 6 ग्राम शहद में मिलाकर रात में खा लें, फिर ऊपर से
गर्म दूध पीएं। ऐसा कुछ दिनों तक करने से कब्ज की समस्या खत्म हो जाती है।
õत्रिफला
25 ग्राम, सनाय 25 ग्राम, काली हरड़ 25
ग्राम, गुलाब के फूल 25 ग्राम,
बादाम की गिरी 25 ग्राम, बीज रहित मुनक्का 25 ग्राम, कालादाना
25 ग्राम और वनफ्शा 25 ग्राम इस सब को
पीसकर चूर्ण बना लें। इस मिश्रण को गर्म दूध के साथ लेने से कब्ज समाप्त हो जाती
है।
õ50 ग्राम त्रिफला,
50 ग्राम सोंफ, 50 ग्राम बादाम की गिरी,
10 ग्राम सोंठ और 30 ग्राम मिश्री को अलग-अलग
जगह कूट लें। इन सबकों मिलाकर इसमें से 6 ग्राम रात को सोने
से पहले सेवन करें।
õत्रिफला
गुग्गुल की दो-दो गोलियां दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और
शाम) गर्म पानी के साथ लेने से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
घाव (दूषित जख्म):-
õत्रिफले के पानी से घावों को धोने से घाव ठीक होने लगते हैं।
õत्रिफुला
के चूर्ण में मोंगरे का रस मिलाकर बारीक पीस लें और बड़े बेर के बराबर की गोलियां
बना लें। 1-1 गोली रोजाना सेवन करने से नासूर (पुराना घाव) ठीक हो जाता है।
õत्रिफला
के काढ़े से उपदंश के घावों को धोकर ऊपर से त्रिफला की राख को शहद में मिलाकर लगाने
से उपदंश के घाव जल्द भर जाते हैं और ठीक हो जाते है।
õत्रिफला
और उड़द इन दोनों को बराबर लेकर कड़ाही में जलाकर राख बना लें और इस राख में शहद
मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को उपदंश के घाव पर लगाने से लाभ मिलता है।
õत्रिफला
के काढ़े में शहद मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को गर्मी के कारण उत्पन्न होने वाले
घावों पर लगाएं। इससे लाभ मिलेगा।
õ3 ग्राम त्रिफला का
चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से लाभ होता है तथा उपदंश के घाव ठीक हो जाते
हैं।
कामला (पीलिया)
:-

õत्रिफला, वासा, गिलोय, कुटकी, नीम की छाल और चिरायता को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा को लगभग 160 मिलीलीटर पानी में पका लें। जब पानी चौथाई बच जायें तो इस काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम के समय सेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
õत्रिफला, पलाश तथा कुटज को
मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
õपीलिया
का उपचार करने करने के लिए 40
मिलीलीटर त्रिफला के काढ़े में 5 ग्राम शहद
मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
õत्रिफला
का रस एक तिहाई कप इतना ही गन्ने का रस मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया
की बीमारी दूर होती है।
õहल्दी, त्रिफला, बायबिडंग, त्रिकुटा और मण्डूर को बराबर मात्रा में
लेकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर उस चूर्ण को घी और शहद के साथ मिलाकर खाने से पीलिया
रोग ठीक हो जाता है।
õआधा
चम्मच त्रिफला का चूर्ण, आधा चम्मच गिलोय का रस, आधा चम्मच नीम का रस। इन
सबकों मिलाकर शहद के साथ चाटें। लगभग 12 से 15 दिन तक इसका सेवन करने से रोग ठीक हो जाता है।
मोटापा :-
õत्रिफला का चूर्ण लगभग 12 से 14 ग्राम की मात्रा में सोने से पहले रात को हल्के गर्म पानी में डालकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर इसमें शहद को मिलाकर सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार लेने से मोटापा कम होने लगता है।
õत्रिफला, चित्रक, त्रिकुटा, नागरमोथा तथा वायविंडग को मिलाकर काढ़ा बना
लें और इसमें गुगुल मिलाकर सेवन करें। इसे कुछ दिनों तक लेने से मोटापा कम होने
लगता है।
õमोटापा
कम करने के लिए त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार लेने से लाभ मिलता है।
õ2 चम्मच त्रिफला को 1
गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिला लें और इसका सेवन
करें। इसे रोज लेने से मोटापा दूर होता है।
õत्रिफला
का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1
ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
õत्रिफला
और गिलोय को मिलाकर काढ़ा बनाकर शहद के साथ सेवन करने से मोटापा कम होने लगता है।
मूत्ररोग :-
õत्रिफला, बांस के पत्ते, मोथा तथा पाठा आदि को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से तीन-चार ग्राम चूर्ण को शहद तथा घी के साथ सेवन करने से पेशाब का बार-बार आना बंद हो जाता है।
õत्रिफला, सेंधानमक, गोखरू तथा खीरा के बीज को पीसकर चूर्ण बना लें। इसे ठंडे पानी के साथ लेने
से पेशाब के रोग ठीक हो जाते हैं।
õ3 से 5 ग्राम त्रिफला का चूर्ण सुबह और शाम गर्म पानी के साथ रोगी को खिलाने या 6
ग्राम जवाखार के साथ ताजे पानी में मिलाकर पिलाने से पेशाब काला तथा
हरा आना बंद हो जाता है।
õ40 मिलीलीटर त्रिफला का
काढ़ा सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से पेशाब के साथ रक्त (खून) का आना बंद हो जाता है।
õलगभग
2 चम्मच त्रिफला के
चूर्ण में थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर प्रयोग करने से पेशाब अधिक आना कम हो जाता है।
अम्लपित्त (एसिडिटीज)
:-
õत्रिफला का चूर्ण आधा चम्मच दिन में 2-3 बार पानी के साथ लेने से अम्लपित्त दूर होता है।
õत्रिफला
(हरड़, बडेड़ा और आंवला),
जीरा, पीपल, काली मिर्च
को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर इस चूर्ण में 1 से आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह और शाम चाटने से लाभ मिलता
है।
õबच्चों
के पेट में होने वाली अम्लपित्त का उपचार करने के लिए त्रिफला के चूर्ण को गुनगुने
पानी के साथ बच्चे को सेवन कराएं।
õत्रिफला, कुटकी और परवल को
पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर, छानकर थोड़ी-सी मात्रा में
मिश्री मिलाकर पीने से अम्लपित्त में लाभ मिलता है।
दांतों का दर्द :-
õदांत में दर्द रहने पर त्रिफला की जड़ की छाल चबाने से दर्द में आराम मिलता है।
õतूतिया, पांचों नमक, पतंगा, माजूफल, त्रिफला तथा
त्रिकुटा इन सबको बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को
प्रतिदिन दांतों पर मलने से दातों का हिलना, दांतों का दर्द
तथा दांतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं और दांतों का दर्द ठीक हो जाता है। इससे
दांतों की जड़ें मजबूत हो जाती है।
õत्रिफला
और गुग्गुल 4 से 8 ग्राम की मात्रा में लेकर गर्म जल के साथ
रोजाना 2 बार सेवन करने से दांतों के रोग तथा दांत का दर्द
ठीक हो जाता है।
अंजनहारी या गुहेरी :-

õगुहेरी को ठीक करने के लिए 5 ग्राम त्रिफला का चूर्ण और 2 ग्राम मुलहठी को सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करना चाहिए।
õत्रिफला
को रात के समय पानी में डालकर रख दें सुबह उठकर उस पानी को कपड़े मे छानकर आंखों को
धोने से अंजनहारी ठीक हो जाती है।
õरोजाना
सुबह और शाम 3-3 ग्राम त्रिफला चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से अंजनहारी ठीक
होने लगती है।
मुंह की दुर्गन्ध:-
õतिरफल की जड़ की छाल को मुंह में रखकर दिन में 2 से 3 बार चबाने से मुंह की दुर्गंध खत्म हो जाती है और मुंह सुगंधित रहता है।
õत्रिफला
का जूस 20 से 40 मिलीलीटर रोजाना 4 बार पीने से मुंह की दुर्गंध मिट
जाती है।
õतिरफल
की जड़ की छाल मुंह में रखकर चबाते रहने से मुंह की दुर्गंधता खत्म होकर मुंह
सुगंधित रहता है।
मुंह के छाले :-
õबहेड़ा, हरड़, आंवला, दारुहल्दी और सौंफ 15-15 ग्राम की मात्रा में लेकर गर्म पानी में उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
õपेट
में कब्ज होने पर त्रिफला का चूर्ण गर्म दूध या गर्म पानी के साथ प्रतिदिन रात को
लगातार 3 से 4 दिन सेवन करने से मुंह के छाले व दाने खत्म हो जाते हैं।
मलेरिया का ज्वर :-
õमलेरिया ज्वर को ठीक करने के लिए त्रिफला और पीपल को बराबर भाग में लेकर चूर्ण बना लें, इसमें शहद मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।
õत्रिफला
3 ग्राम, नागरमोथा 3 ग्राम, निशोथ 3
ग्राम, त्रिकुटा 3 ग्राम,
इन्द्रजौ 3 ग्राम, कुटकी
3 ग्राम, पटोल के पत्ते 3 ग्राम, चित्रक 3 ग्राम और
अमलतास को 3 ग्राम की मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें। जब
काढ़ा ठंडा हो जाये तब शहद मिलाकर रोगी को पिलाए इससे मलेरिया बुखार ठीक हो जाता
है।
चतुर्थक ज्वर:-
õचतुर्थक ज्वर को ठीक करने के लिए त्रिफला के काढ़े में बराबर मात्रा में दूध या गुड़ मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से लाभ मिलता है।
õत्रिफला, गुडूची तना तथा वासा
के पत्ते का काढ़ा बनाकर 14.28 मिलीलीटर की मात्रा में दिन
में 3 बार लेने से चतुर्थक ज्वर ठीक हो जाता है।
टायफाइड :-
õत्रिफला का काढ़ा लगभग 10-20 मिलीलीटर बुखार आने से 1 घण्टे पहले पीने टायफाइड रोग में लाभ मिलता है।
õलगभग
20 मिलीलीटर त्रिफला के
काढ़े या गिलोय के रस को पीने से टायफाइड ठीक होने लगता है।
रोशनी डर लगना :-
õ6 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को मिश्री के साथ रोजाना रात को खाकर ऊपर से त्रिफला का काढ़ा पीने से रोशनी से होने वाला डर दूर हो जाता है।
õत्रिफला
के काढ़े से आंखों को रोजाना सुबह और शाम साफ करने से आंखों के रोग में लाभ मिलता
है और तेज रोशनी के कारण उत्पन्न डर दूर हो जाता है।
उच्च रक्तचाप (हाईब्लड़ प्रेशर)
:-
õ1 चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी के साथ रात के समय में सोने से पहले लेने से लाभ उच्च रक्तचाप समान्य हो जाता है।
õ10 ग्राम त्रिफला का
चूर्ण पानी में मिलाकर रात को किसी बर्तन में रख दें। सुबह इस मिश्रण को छानकर
इसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला दें और इसे पी लें। इससे उच्च रक्तचाप (हाईब्लड प्रेशर)
कम होता है।
पेट में दर्द :-
õत्रिफला का चूर्ण 3 ग्राम तथा 3 ग्राम मिश्री को मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
õत्रिफला
को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करें। इससे
पेट का दर्द ठीक हो जाएगा।
यकृत (जिगर) का बढ़ना :-
õ20 ग्राम त्रिफला को 120 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब चौथाई पानी रह जाय तो इसे उतारकर छान लें। इसके ठंडा हो जाने पर इसमें 6 ग्राम शहद मिलाकर पीने से यकृत बढ़ने की शिकायत दूर हो जाती है।
õयकृत
बढ़ने पर उपचार करने के लिए 5
ग्राम त्रिफला चूर्ण एक कप पानी के साथ पकाएं। जब चौथाई कप पानी शेष
रह जायें तो उसे उतारकर छान लें। ठंडा हो जाने पर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन
करें। इससे लाभ मिलता है।
चर्मरोग :-
õरात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण पानी के साथ लेने से खून की खराबी दूर हो जाती है और चर्मरोग भी ठीक हो जाते हैं।
õलगभग
50 से 100 मिलीलीटर त्रिफला के रस को रोजाना सुबह-शाम पीने से खून साफ हो जाता है और
त्वचा के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
एक्जिमा के रोग में :-
õत्रिफला, बच, कुटकी, दारु, मजीठ, हल्दी, नींबू की छाल (खाल) तथा गिलोय इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे पानी में डालकर उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में तीन से चार बार पीने से एक्जिमा कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
õत्रिफला, नीम की छाल (खाल) और
परवल के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े से एक्जिमा के भाग को साफ
करने से एक्जिमा जल्दी ठीक हो जाता है।
सिरदर्द :-

õमिश्री
और त्रिफला को घी में मिलाकर खाने से सिर के सभी रोग खत्म हो जाते हैं और सिर का
दर्द ठीक हो जाता है।
õबराबर
मात्रा में त्रिफला का चूर्ण,
धनिया, सौंठ और वायविडंग को लेकर एक कप पानी
में उबालें। जब यह पानी आधा कप रह जाये तो उसे उतारकर काढ़े की तरह सुबह और शाम
पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
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