Uttanpadasana Yoga Pose, Leg Raised PoseHealth Benefits and Steps : उत्तानपादासन योग मुद्रा : उत्तानपादासन करने की विधि और लाभ
'योग कोई धर्म नहीं है। यह एक विज्ञान है,
अच्छा बनने का विज्ञान, ताज़गी का विज्ञान,
शरीर को एक करने का विज्ञान, दिमाग और आत्मा
को शांत रखने का विज्ञान।' योगा कोई हाल ही की घटना नहीं है। यह एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है,
जो कि सिर्फ शरीर को ही शेप में करने के लिए नहीं किया जाता,
बल्कि व्यक्ति के पूरे स्वास्थ्य को ठीक रखने में सहायक है। मैंने योग को एक समग्र पैकेज के रूप में देखा है, जो कि दूसरी शारीरिक गतिविधियों के विपरीत मनुष्य के शरीर को बाहर से साथ
ही अंदर से साफ और फिर से युवा करने में मदद करता है। अगर कोई व्यक्ति योगा को
अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाता है, तो केवल वही व्यक्ति
शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अंतर को समझ सकता है। आज हम आपको
उत्तानपादासन के बारे में बताने जा रहे हैं | यह कई तरह से हमारे स्वास्थ्य के लिए
लाभप्रद होता है | तो आइये जानते हैं उत्तानपादासन की विधियाँ और उससे होने वाले
लाभों के बारे में -
उत्तानपादासन की
विधि-
प्रथम
विधि :
1.सर्वप्रथम
जमीन पर दरी बिछाएं।
2.पीठ के बल भूमि पर चित्त लेट जाएं।
3.दोनों हथेलियों को जांघों के साथ भूमि पर स्पर्श
करने दें। दोनों पैरों के घुटनों, एड़ियों और अंगूठों को आपस में सटाए रखें और टांगें
तानकर रखें।
4.अब श्वास भरते हुए दोनों पैरों को मिलाते हुए
धीमी गति से भूमि से करीब डेढ़ फुट ऊपर उठाएं अर्थात करीब 45 डिग्री
कोण बनने तक ऊंचे उठाकर रखें।
5.फिर श्वास जितनी देर आसानी से रोक सकें उतनी देर
तक पैर ऊपर रखें।
6.फिर धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए पांव नीचे लाकर
बहुत धीरे से भूमि पर रख दें और शरीर को ढीला छोड़कर शवासन करें।
आसन
अवधि : इस आसन का प्रात: और
संध्या को खाली पेट यथाशक्ति अभ्यास करें। जब आप श्वास को छाती में एक मिनट से दो
तीन मिनट तक रोकने का अभ्यास कर लेंगे तब आपका आसन सिद्ध हो जाएगा।
क्या-क्या लाभ मिलते है इस आसन से :
1.इसके अभ्यास से पेट और छाती का थुलथुलापन, पेडू का
भद्दापन दूर हो जाता है।
2.पेट के स्नायुओं को बड़ा बल मिलता है जिससे कद बढ़ता है।
3.इसे कहते रहने से पेट कद्दू की तरह कभी बड़ा नहीं हो सकता।
4.यह आसन पेट का मोटापा दूर करने के अतिरिक्त पेट की आंतें सुदृढ़ कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
5.इस आसन के नियमित अभ्यास से गैस और अपच का नाश होता है।
6.पूराने से पुराना कब्ज का रोग दूर होता है और खूब भूख लगती है।
7.उदर संबंधी अनेक रोक नष्ट होते हैं।
8.नाभि केंद्र जो बहत्तर हजार नाड़ियों का केंद्र है। उसे ठीक करने के लिए उत्तान पादासन सर्वश्रेष्ठ है।
9.इसके अभ्यास द्वारा नाभि मंडल स्वत: ही ठीक हो जाता है।
4.यह आसन पेट का मोटापा दूर करने के अतिरिक्त पेट की आंतें सुदृढ़ कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
5.इस आसन के नियमित अभ्यास से गैस और अपच का नाश होता है।
6.पूराने से पुराना कब्ज का रोग दूर होता है और खूब भूख लगती है।
7.उदर संबंधी अनेक रोक नष्ट होते हैं।
8.नाभि केंद्र जो बहत्तर हजार नाड़ियों का केंद्र है। उसे ठीक करने के लिए उत्तान पादासन सर्वश्रेष्ठ है।
9.इसके अभ्यास द्वारा नाभि मंडल स्वत: ही ठीक हो जाता है।
10.यदि नाभि जगह से हट गई हो तो गिरी हुई धरण पांच मिनट उत्तान
पादासन करने से अपने सही स्थान पर आ जाती है।
दूसरी विधि :
1. सर्वप्रथम
जमीन पर दरी बिछाएं |
2. पीठ के बल भूमि पर चित्त लेट जाएं |
3. दोनों
हाथों को ऊपर उठाकर कमर के ऊपर तथा नीचे का हिस्सा भूमि से लगभग एक फुट उपर उठाएं
|
4. केवल कमर का हिस्सा जमीन पर लगा रहे। इसमें संपूर्ण शरीर को
कमर के बल पर तौलते हैं। जिसका प्रभाव नाभि स्थान पर अच्छा पड़ता है |
5. 10 से 15 सेकेण्ड तक इसी मुद्रा में रहें |
6. इसके पश्चात अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएँ |
7. जब तक संभव
हो इसे दोहराते रहें |
क्या-क्या लाभ मिलते है इस आसन से :
क्या-क्या लाभ मिलते है इस आसन से :
1. मोटापा दूर करने के लिए यह रामबाण है।
2. महिलाएं प्रसव के बाद स्वाभाविक स्थिति में आने के बाद करें
तो पेडू का भद्दापन दूर हो सकता है।
3. इस आसन के करने से हार्निया रोग नहीं होता। जिन्हें हार्निया
हो भी गया हो तो इस आसन से यह रोग दूर हो जाता है।
4. इससे घबराहट दूर हो जाती है। दिल की धड़कन, श्वास फूलना, आदि रोग भी दूर हो जाते हैं।
5. सामान्य रूप से दस्त,
पेचिश, मरोड़, खूनी दस्त,
नसों की खराबी, आंत्र वृद्धि, जलोदर, पेट दर्द, कब्ज, फेफड़ों के रोग
आदि अनेक रोग दूर होते हैं।
आप किसी योग विशेषज्ञ की रेख देख में ही आसन को करें। हमारा प्रयास है आपको स्वस्थ बनाए रखना।
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