Home Remedies to Treat Diabetes Naturally at Home : डायबीटिज से बचाव के लिए बेहद प्रभावी हर्बल और प्राकृतिक उपचार |

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देखा जाए तो मधुमेह रोग का अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं मिल पाया है लेकिन फिर भी चिकित्सा विज्ञान ने इस रोग को नियंत्रित रखने में महारत हासिल कर ली है। हम जानते हैं कि शरीर को ग्लूकोज से शक्ति प्राप्त होती है इसलिए जल्दी पच जाने वाली ग्लूकोज-शर्करा का सेवन करना चाहिए जो प्राकृतिक रूप से फल, फलों के रस, शहद तथा अनाज में पाई जाती है। इन पदार्थों में लार मिलने पर शरीर में इनका सरलता से पाचन हो जाता है। यदि मधुमेह रोग को नियंत्रण में रखना हो तो प्रत्येक आहार तथा प्रवाही को कम से कम 15 बार चबाना बहुत जरूरी है। बचपन से ही भोजन को चबा-चबाकर खाने की आदत डालनी चाहिए।


        मधुमेह रोग होने के मुख्य कारण-                                                                                            


मधुमेह का रोग शरीर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाने के कारण होता है। हम सभी को पता है कि इन्सुलिन खून में शर्करा की मात्रा को बनाये रखता है और इन्सुलिन की मात्रा खून में कम हो जाये तो खून में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण व्यक्ति को मधुमेह रोग हो जाता है। लेकिन मधुमेह रोग केवल इन्सुलिन की कमी के कारण ही नहीं होता है बल्कि शरीर में उन अनेकों प्रकार के परिवर्तनों के कारण भी होता है जो क्लोम ग्रंथि की दोषपूर्ण क्रिया के लिए उत्तरदायी होते हैं।
मधुमेह रोग के होने में आनुवंशिकता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। उम्र भी कई प्रकार से शरीर के अग्न्याशय को निष्प्रभावी करने का कारण बनती है जिसके कारण यह रोग व्यक्ति को हो जाता है। मधुमेह रोग मोटापे के कारण भी हो जाता है क्योंकि मोटा आदमी अधिक खाना खाता है जिसके कारण पाचनक्रिया में चयापचयी परिर्वतन होता है और उस मोटे व्यक्ति को मधुमेह रोग हो जाता है। इस प्रकार के कई मामलों में शरीर का आकार बढ़ जाने के कारण शरीर में इंसुलिन की मांग भी बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप अग्न्याशय इस अधिक इंसुलिन की मात्रा को पूरी करने में असफल हो जाता है। इसके कारण शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और मोटे व्यक्ति को मधुमेह रोग हो जाता है। 

        विभिन्न हर्बल औषधियों से मधुमेह का उपचार-                                                                         

        मेथी :                                                                                                                                


ï5 ग्राम मेथी के दाने एक कप में पानी भरकर, उसमें डालकर रखें। सुबह उसी पानी में मेथी को पीसकर सेवन करने से खून में शर्करा का मिलना बन्द हो जाता है।
ï5 ग्राम मेथी का चूर्ण खाना-खाने के आधा घंटे पहले सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ï10-10 ग्राम मेथी के दाने, सूखा करेला दोनों को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह के समय 1-2 चम्मच तक ताजे पानी के बिना कुछ खाये, इसका सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ï2 चम्मच मेथी दाना में 1 चम्मच सौंफ मिलाकर कांच के गिलास में 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह कपडे़ से छानकर पी लें। जिन रोगियों को मेथी गर्मी करती हो ऐसे गर्म प्रकृति वाले मधुमेह तथा अल्सरेटिव कोलाइटिस के रोगियों के लिए यह सौंफ के साथ मैथी वाला प्रयोग बहुत ही अच्छा रहता है। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
ïदाना मेथी के बीजों के सेवन से मधुमेह सही हो जाता है। मेथी के बीजों से खून में चीनी की मात्रा कम हो जाती है।
ïरात को 1 चम्मच मेथी और आंवला पीसकर, 1 ग्राम चूर्ण के सेवन करने से मधुमेह में फायदा होता है।
ïदाना मेथी 60 ग्राम बारीक पीसकर एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे 12 घण्टे के बाद छानकर पानी पीएं। इस प्रकार सुबह और शाम को प्रतिदिन 2 बार नियमित 6 सप्ताह तक सेवन करने से मधुमेह ठीक हो जाता है। इसके साथ मेथी के हरे पत्तों की सब्जी भी खाएं मधुमेह के रोग में काफी लाभ मिलेगा। मेथी को आटे में मिलाकर रोटी बनाकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
ï25 ग्राम मेथी के बीजों को शाम के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उस पानी को छानकर, बीजों को निकालकर, पीसकर, उसी पानी में घोलकर, उसमें आधा नींबू निचोड़कर पीयें। नींबू लेने से मधुमेह के रोगियों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा बल्कि उनको इससे लगातार विटामिन ही मिलेंगे।
ï20 ग्राम मीठा दही तथा 100 ग्राम लाल टमाटर को मिक्सी में पीसकर रस छान लें। इसमें 2 चम्मच पिसी दाना मेथी मिलाकर रोजाना एक बार पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
ï50 ग्राम दाना मेथी बारीक पीसकर एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे बारह घण्टे बाद छानकर पानी पीयें। इस प्रकार सुबह-शाम रोजाना छ: सप्ताह पिलाने से मधुमेह ठीक हो जाता है। साबुत दाना मेथी भी रात को भिगोकर सुबह भूखे पेट उसी पानी के साथ ले सकते हैं। इसके साथ मेथी के हरे पत्तों की सब्जी भी खाने से लाभ मिलता है। इससे रक्त-शर्करा घट जाती है।
ïमेथी को मोटा (दरदरा) कूट लें। इस मेथी चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर (निथार) खाली पेट ही पियें, यह मधुमेह के रोगियों के लिए अमृत के समान हितकारी है। यदि इसमें विजयसार की लकड़ियां या इसका बुरादा भी 3 ग्राम की मात्रा में भिगो दें तो यह और भी अधिक लाभदायक हो जाता है।
ï3 चम्मच दाना मेथी 1 गिलास पानी में रात को भिगोकर सुबह पानी छानकर पियें और इसे अंकुरित करके खाने से भी लाभ होता है।
ïभुनी हुई दाना मेथी 100 ग्राम और जामुन की गुठली 100 ग्राम लेकर दोनों को पीसकर मिला लें। इस बने मिश्रण की 2 चम्मच मात्रा को, करेले का रस और समान मात्रा में पानी को मिलाकर सुबह-शाम रोजाना लेने से लाभ मिलता है।
ïमेथी, हल्दी, आंवला समान मात्रा में कूट-पीसकर मिला लें। रोजाना एक चम्मच इस मिश्रण की पानी से फंकी लगातार 2 महीने लेते रहने पर मधुमेह में आराम मिलता है।
ïमेथी दाना को पीसकर पाउडर बनाकर रख लें इस पाउडर में से  सुबह-शाम भोजन करने से 20 मिनट पहले इसकी 2 चम्मच की खुराक रोगी को पानी के साथ 20 दिनों तक देने से मूत्र और रक्त में शक्कर कम हो जाती है। इस नुस्खे के इस्तेमाल से मधुमेह, बहुमूत्रमेह तथा हृदय रोग भी दूर होते हैं।
सामग्री : आधा किलो हरी मेथी, आधा किलो पालक, मूली 250 ग्राम, मूंग की दाल 20 ग्राम, टमाटर 20 ग्राम, प्याज 20 ग्राम, मसाले बहुत कम।
विधि : मेथी के पत्ते व मूंग की दाल, पालक और मूली को धोकर बारीक काट लें और प्रेशर कुकर में उबालकर साग बना लें। गलने पर टमाटर, प्याज और मसाला डालकर तड़का तैयार करके उसमें मिला दें यह मेथी का साग मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है क्योंकि इससे कार्बोज की मात्रा बहुत कम होती है।
नोट : दाना मेथी और मेथी के बीज अलग-अलग होते हैं। मेथी के बीज बीजों की दुकान पर मिलते हैं जो दाना मेथी से बहुत छोटे होते हैं।

        जामुन :                                                                                                                                 


ïजामुन की सूखी गुठलियों को 5-6 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ दिन में दो या तीन बार सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ï15 दिन तक लगातार जामुन खाना चाहिए या जामुन की छाल या सूखी हुई जामुन का चूर्ण 20 ग्राम रोज खायें।
30 ग्राम जामुन की नई कोपलें (पत्तियां) और 5 कालीमिर्च, पानी के साथ पीसकर सुबह-शाम पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
ïजामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है। जामुन की गुठली का चूर्ण और सूखे करेले का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। 3 ग्राम चूर्ण रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोग में फायदा होता है।
जामुन की भीतरी छाल को जलाकर भस्म (राख) बनाकर रख लें। रोजाना 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा कम होता है।
ï12 ग्राम जामुन की गुठली और 1 ग्राम अफीम को पानी के साथ मिलाकर 32 गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखाकर बोतल में भर लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ खायें। खाने में जौ की रोटी और हरी सब्जी खाएं। चीनी एकदम न खायें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।
ï60 ग्राम जामुन की गुठली की गिरी पीस लें। 3-3 ग्राम पानी से सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह रोग से लाभ होता है।
8-10 जामुन के फलों को 1 कप पानी में उबालें। फिर पानी को ठंड़ा करके उसमें जामुन को मथ लें। इस पानी को सुबह-शाम पीयें। यह मूत्र में शूगर को कम करता है।
ï1 चम्मच जामुन का रस और 1 चम्मच पके आमों का रस मिलाकर रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
जामुन के 4-5 पत्तों को सुबह के समय थोडे़-से सेंधानमक के साथ चबाकर खाने से कुछ दिनों में ही मधुमेह का रोग मिट जाता है।
ïजामुन के 4 हरे और नर्म पत्ते खूब बारीककर 60 मिलीलीटर पानी में रगड़कर छान लें। सुबह 10 दिन तक लगातार पीयें। इसके बाद इसे हर दो महीने बाद 10 दिन तक लें। जामुन के पत्तों का यह रस मूत्र में शक्कर जाने की परेशानी से बचाता है।
ïमधुमेह रोग के शुरुआत में ही जामुन के 4-4 पत्ते सुबह-शाम चबाकर खाने से तीसरे ही दिन मधुमेह में लाभ होगा।
60 ग्राम अच्छे पके जामुन को लेकर 300 मिलीलीटर उबले पानी में डाल दें। आधा घंटे बाद मसलकर छान लें। इसके तीन भाग करके एक-एक मात्रा दिन में तीन बार पीने से मधुमेह के रोगी के मूत्र में शर्करा आना बहुत कम हो जाता है, नियमानुसार जामुन के फलों के मौसम में कुछ समय तक सेवन करने से रोगी सही हो जाता है।
ïजामुन की गुठली को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम 3 ग्राम ताजे पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है और मूत्र घटता है। इसे करीब 21 दिन तक लें, इससे लाभ होगा।
ïआधा चम्मच जामुन की गुठली का चूर्ण शाम को पानी के साथ लेने से पेशाब में शर्करा आना कम हो जाता है।
जामुन की गुठली और करेले को सुखाकर समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ फंकी लें। इससे मधुमेह मिट जायेगा।
ïजामुन का सेवन रोजाना करें और गुठलियों का चूर्ण बनाकर रखें। उसे 5 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करें, इससे शर्करा ठीक हो जाता है।
ï125 ग्राम जामुन रोजाना खाने से शूगर नियंत्रित हो जाता है।

        करेला :                                                                                                                                  


ï5 मिलीलीटर करेले का रस रोजाना पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ï50 ग्राम करेले को 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
ïमधुमेह के रोगी को 15 मिलीलीटर करेले का रस 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रोज 4 बार लगभग 1 माह तक पिलाये। खाने में भी करेले की सब्जी लेनी चाहिए।
ï10 मिलीलीटर करेले के रस में शहद मिलाकर रोजाना सेवन करने से शर्करा पर नियंत्रण होता है।
ïकरेले की सब्जी बनाकर खाने से भी मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ï20-25 मिलीलीटर तक ताजे करेले के रस को निकालकर उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर नाश्ते के बाद पीने से 2 महीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
ïकरेले को कुचलकर इसका 3-3 चम्मच रस सुबह-शाम लेने से मधुमेह में लाभ होता है।
ï10 मिलीलीटर करेले का रस और 6 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों का रस एक साथ मिलाकर रोजाना सुबह पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
ïछाया में सुखाए हुए करेलों का चूर्ण 6 ग्राम, दिन में 1 बार लेने से मूत्र में शर्करा आना बन्द हो जाता है।
ï250 ग्राम करेला, 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर छानकर पीयें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
ïमधुमेह रोगी बच्चे को रोजाना करेले की सब्जी खिलाने से बहुत लाभ होता है। करेले के 5 मिलीलीटर रस में थोड़ा-थोड़ा शहद मिलाकर सेवन कराने से भी लाभ होता है।
ïकरेले को सुखाकर महीन चूर्ण बना लें और इसे 4-6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।

        बेल :                                                                                                                                     


ïबेल के 10-11 ताजे पत्ते पानी के साथ पीसकर पीने से कब्जयुक्त मधुमेह से आराम मिलता है।
बेल के पत्तों को कूट-पीसकर उसको किसी कपड़े में बांधकर रस निकालें, 10 मिलीलीटर रस रोजाना पीने से मधुमेह रोग में शर्करा आना कम हो जाता है।
ïताजे बेल के 5 पत्ते और 10 कालीमिर्च लेकर इन दोनों को कूट-पीस छान लें, इसे शर्बत की तरह रोजाना सुबह पीने से मधुमेह मिट जाता है।
ïबेल की जड़ को सुखाकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। 1 चम्मच चूर्ण में बेल की पत्तियों का आधा चम्मच रस मिलाकर सेवन करने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है।
ï100 मिलीलीटर बेल के पत्ते का रस शहद के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग मिट जाता है।
ï50-50 ग्राम की मात्रा में बेल की सूखी पत्तियां, घीग्वार, गुड़मार, जामुन की गुठली, करेले की पत्तियां सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह रोग मिट जाता है।
ïबेल की गिरी का चूर्ण, छोटी पिप्पली, वंशलोचन व मिश्री 2-2 ग्राम को इकठ्ठा कर इसमें 10 मिलीलीटर तक अदरक का रस मिलाकर तथा थोड़े पानी में मिलाकर धीमी आग पर पकायें। गाढ़ा हो जाने पर दिन में चार बार चाटें। इससे मधुमेह का रोग मिट जाता है।
ïबेल के पत्ते, हल्दी, गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला, 6-6 ग्राम, सभी को 250 मिलीलीटर पानी में रात को कांच व मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह खूब मसलकर, छानकर आधी मात्रा में सुबह-शाम दो महीने तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
ïबेल के दस पत्ते, नीम के दस पत्ते तथा तुलसी के 5 पत्तों को पीसकर गोली बनाकर सुबह रोजाना पानी के साथ सेवन करें, इससे मधुमेह में आराम मिलेगा।

        नीम :                                                                                                                             


ïनीम पर चढ़ी गिलोय, हालांकि अधिक कड़वी होती है, लेकिन लाभ भी ज्यादा करती है। ऐसी गिलोय 2 किलोग्राम लेकर छ: गुने पानी में 8 घंटे भिगोये रखें और भाप के द्वारा इसका रस निकालकर इसे रख लें।इस रस को 5 चम्मच, 3 ग्राम शहद और चौगुने गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार नियमित पीयें। इसके सुबह-शाम सेवन से 4-5 सप्ताह में मधुमेह के रोग से लाभ होता है।
ïनीम की छाल के काढ़े को 10-20 मिलीलीटर नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलता है।
नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से आराम मिलता है।
ïनीम की छाल को पत्थर पर घिसें, फिर उसी जगह मुर्दासन घिसें। इस लेप से प्रमेह (वीर्य) पिड़िकाओं में लाभ होता है।
ïचौथाई चम्मच नीम की पत्तियों का रस और दो बूंद लहसुन का रस दोनों को मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

        चना :                                                                                                                                     


ïचने और जौ के आटे की रोटी खाने से मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।
ï7 दिनों तक केवल चने की रोटी खायें। गूलर के पत्तों को उबालकर उसी पानी से नहायें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीयें। इससे पेशाब में शक्कर (चीनी) आना बन्द हो जायेगा और मधुमेह में लाभ होगा।
ïरात को 30 ग्राम काले चने दूध में भिगो दें, और सुबह खायें। चने और जौ को बराबर मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें। केवल चने (बेसन) की रोटी ही 10 दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर जाना बन्द हो जाता है।
ïकेवल बेसन (चने का) की रोटी ही दस दिन तक लगातार खाते रहने से पेशाब में शक्कर का जाना बन्द हो जाता है।

        आम :                                                                                                                                  


ïआम के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट-छान लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी से 20-25 दिनों लगातार सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ïआम के 8-10 नये पत्तों को चबाकर खाने से मधुमेह पर नियंत्रण होता है।
ïआम और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से मधुमेह रोग सही हो जाता है।
ïआम के छाया में सुखायें हुए पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में औटावे, चौथाई पानी शेष रहने पर सुबह-शाम पिलाने से कुछ ही दिनों में मधुमेह दूर हो जाता है।
ïआम के कोमल पत्तों का छाया में सुखाया हुआ चूर्ण 25 ग्राम की मात्रा में सेवन करना मधुमेह में उपयोगी है।

        हल्दी :                                                                                                                                 


ï1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को फांककर पानी पीने से मधुमेह में बार-बार पेशाब आना बन्द होता है।
ï8 ग्राम पिसी हल्दी रोजाना दो बार पानी के साथ फंकी लें। इससे बार-बार और अधिक मात्रा में पेशाब का आना, ज्यादा प्यास लगना आदि मधुमेह के रोगों से आराम मिलता है।
ï50 ग्राम हल्दी को बारीक पीसकर 2.5 लीटर गाय के दूध में भिगो दें, और हल्की आंच पर गर्म करें। 5-6 उबाल आने के बाद उतार लें। ठंड़ा होने पर इसकी दही जमा लें। इस दही को मिलाकर (मथकर) मक्खन निकालें और घी बना लें। इस घी को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करते रहने से मधुमेह में नियंत्रण होता है।
ïअगर बार-बार ज्यादा से ज्यादा पेशाब आये और प्यास भी लगे तो 8 ग्राम पिसी हुई हल्दी रोज दिन में 2 बार पानी के साथ सेवन करें या आधा चम्मच पिसी हल्दी शहद में मिलाकर खायें।
ïहल्दी की गांठ को पीसकर और घी में सेंककर शक्कर मिलाकर नियमित खायें। इससे मधुमेह (शुगर) और प्रमेह में फायदा मिलता है।

        आंवला :                                                                                                                               


ï10 मिलीलीटर आंवले का रस, 1 ग्राम हल्दी और 3 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ï5 मिलीलीटर ताजे आंवले के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोगी को फायदा होता है।
ï100 ग्राम सूखा आंवला और 100 ग्राम सौंफ को बारीक पीस लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम खाने से 3-4 महीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
ï2 चम्मच ताजे आंवले का रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन से मधुमेह में लाभ होता है।
ïथोड़ा सूखा आंवला लेकर उसमें 100 ग्राम जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में से 1चम्मच चूर्ण रोजाना बिना कुछ खायें पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ïताजे आंवले के 4 चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है।
ïआंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

        मूली :                                                                                                                                   


ïआधी मूली का रस दोपहर के समय मधुमेह रोगी को देने से उसके लिए यह बहुत अच्छा साबित हुआ है।
ï2 मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह में फायदा होता है।
ï1 कप गाजर का रस, आधा कप पालक का रस और आधा चम्मच जीरे के चूर्ण में दो चुटकी नमक डालकर 20 दिनों तक रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
नोट : इसे उच्चरक्तचाप के व्यक्ति न लें।
ï300 मिलीलीटर गाजर का रस, 200 मिलीलीटर पालक का रस एक साथ मिलाकर, उसमें नमक, जीरा, डालकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ï300 मिलीलीटर गाजर का रस और 150 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से मधुमेह (शूगर) का रोग ठीक हो जाता है।

        गुड़मार :                                                                                                                                  


ïगुड़मार के पत्तों को सुखाकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम फीके दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे मधुमेह रोग से राहत मिलती है।
ï20 ग्राम गुड़मार का चूरा, 10 ग्राम जामुन की गुठली, 10 ग्राम सोंठ, तीनों का बारीक चूर्ण बना लें। इसमें आधा कप ग्वारपाठा का रस मिलाकर चने के समान की गोलियां बना लें। दिन में 3 बार 1-1 गोली शहद के साथ सेवन करें। इससे 20 दिनों में ही मधुमेह की बीमारी मिट जायेगी।
ï100 ग्राम गुड़मार के सूखे पत्ते, 50 ग्राम जामुन की गुठली, 50 ग्राम सोंठ सबको कूटकर कपडे़ से छानकर चूर्ण बना लें। इसकी गोलियां बनाने के लिए इस चूर्ण को बार-बार घीग्वार (ग्वारपाठा) के रस में घोंट लें, तथा लगभग आधा ग्राम की गोली बना लें। रोजाना 3-3 गोली शाम को नियमित रूप से 2 महीने तक देना चाहिए। इससे मधुमेह के रोग में लाभ होता है।

        गिलोय :                                                                                                                                  


ï40 मिलीलीटर हरी गिलोय का रस, 6 मिलीलीटर पाषाण भेद का रस और 6 ग्राम शहद को मिलाकर 1 महीने तक पीने से मधुमेह रोग मिट जाता है।
ï20-50 मिलीलीटर गिलोय का रस सुबह-शाम बराबर मात्रा में पानी के साथ मधुमेह रोगी को सेवन करायें, या जब-जब प्यास लगे तो देने से मधुमेह में अच्छा लाभ होता है।
ï15 मिलीलीटर गिलोय का सत्व और 5 ग्राम घी को मिलाकर दिन में 3 बार रोगी को देने से मधुमेह (शूगर) का रोग दूर हो जाता है।

        मुधुमेह से बचने के अन्य प्राकृतिक उपचार :                                                                            


ïभिन्डी : भिन्डी की डंड़ी काट लें। इसकी डंड़ी को छाया में सुखाकर, पीसकर मैदा की चलनी से छान लें। इनमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर आधा चम्मच सुबह भूखे पेट ठंड़े पानी से रोजाना फांके। इससे मधुमेह मिट जाता है।
ïशलगम : मधुमेह के रोगी को शलगम की सब्जी रोजाना खिलाने से आराम मिलता है।
ïगेहूं : गेहूं के छोटे-छोटे पौधों को पीसकर उनके रस को पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ïशहद : मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने पर शक्कर के स्थान पर बहुत थोड़ी-सी मात्रा में मधुमेह रोगी को शहद देने से उसके मूत्र में शक्कर आना और गुर्दे (वृक्क) के पुराने रोगों से बच सकते हैं। शहद मीठा खाने की ज्यादा इच्छा पर ही इसे लें।
ïखजूर : मधुमेह और ऐसे रोग जिसमें मीठा खाना हानिकारक है और रोगी को मीठा खाने की इच्छा होती है। इसके लिए वह थोड़ी मात्रा में खजूर का सेवन कर सकता है।
ïचकोतरा : मधुमेह रोगियों के लिए चकोतरा बहुत उपयोगी होता है। प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञों का मत है कि इससे शरीर में मधुमेह पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है, क्योंकि इसके प्रयोग से शरीर में स्टार्च की मिठास और वसा में कमी आती है। यह भूख को बढ़ाता है।
ïचालमोंगरा : चालमोंगरा के फल की गिरी का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार खाने से पेशाब में शक्कर जाना कम हो जाता है जब मूत्र में शक्कर जाना बन्द हो जाए तो इसके चूर्ण का प्रयोग बन्द कर दें।
ïदालचीनी : थकान, आंखों की रोशनी कम होना, हृदय, किडनी खराब होना आदि के खतरों से बचाव होता है। सेवन विधि : एक कप पानी में दालचीनी पाउडर उबालकर, छानकर प्रात: पियें। इसे कॉफी, खाद्य पदार्थों में भी मिलाकर पी सकते हैं। इसे सेवन करने के हर दसवें दिन मधुमेह की जांच करवाकर इसके लाभ को देखें।
सावधानी : दालचीनी बताई गई अल्प मात्रा में लें, इसे अधिक मात्रा में लेने से हानि हो सकती है।
ïमशरूम : मधुमेह रोग से पीड़ित स्त्री-पुरुषों को मशरूम के सेवन से अधिक लाभ होता है। मशरूम शारीरिक शक्ति को विकसित करता है।
ïदूधी/लौकी : गुड़मार बूटी, छोटी दूधी, पारासी कयवानी, जामुन की गुठली ये चारों बूटी लेकर समभाग पानी (बराबर मात्रा) में पीसकर झाड़ी के बेर के बराबर की गोलियां बना लेते हैं। यह 2-2 गोली सुबह-शाम ताजे पानी से सेवन करना चाहिए। मीठी, तली, भुनी तथा अम्ल (खट्टी वस्तुओं) का परहेज करना चाहिए।
ïतगर : सिर और मज्जा तंतुओं की खराबी से पैदा हुए मधुमेह और बहुमूत्र में तगर को लगभग चौथाई ग्राम से एक ग्राम तक ताजे फल से दिन में दो या तीन बार लेने से लाभ होता है। यह सिर रोग उन्माद, अपस्मार (मिर्गी) विष के विकारों में भी लाभ होता है।
ïसंतरा : मधुमेह में रोगी को नारंगी कम मात्रा में दे सकते हैं।
ïसोयाबीन : सोयाबीन मोटे भारी-भरकम शरीर वालों के तथा मधुमेह (डायबिटीज) वाले लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।
ïपवांड़ (चक्रमर्द): 10 ग्राम से लेकर 40 ग्राम तक पवांड़ (चक्रमर्द) की जड़ों को पानी में पकाकर चौथाई भाग रहने पर बचे हुए काढ़े का सेवन करने से मधुमेह (डायबटीज) के रोग में लाभ होता है।
ïअनन्नास : अनन्नास मधुमेह में बहुत लाभकारी है। अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस में, तेल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गोखरू और जामुन के बीज 10-10 ग्राम मिला दें। सूखने पर पाउडर बनाकर रखें। इस चूर्ण का सुबह-शाम तीन ग्राम की मात्रा में सेवन, बहुमूत्र रोग तथा मधुमेह में अत्यन्त गुणकारी है भोजन में दूध व चावल, परहेज-लाल मिर्च, खटाई और नमक।
ïसफेद पेठा : पेठे का सेवन अग्नाशय को ठीक करके मधुमेह (डायबिटीज) के रोग में लाभ करता है।
ïग्वारपाठा/एलोवेरा : मधुमेह (शूगर) के रोग में घीग्वार का 5 ग्राम गूदा  आधा ग्राम गूडूची सत्व के साथ देने से लाभ मिलता है।
ïकुन्दरू : कड़वे कुन्दरू के पत्तों का 4 ग्राम चूर्ण मधुमेह में देने से लाभ होता है। मधुमेह में कुन्दरू का शाक लाभदायक है।
ïछुई-मुई : मधुमेह की बीमारी होने पर छुई-मुई की जड़ का काढ़ा 100 मिलीलीटर बनाकर रोजाना सुबह-शाम देने से मधुमेह का रोग ठीक होता है|
ïवत्सनाभ : 70 ग्राम अखरोट में 10 ग्राम शुद्ध बछनाग को मिलाकर उसमें से एक चौथाई ग्राम की मात्रा में रोगी को देने से भयातिसार, मधुमेह, कुष्ठ रोग और पक्षाघात में ज्यादा लाभ होता है। यह दवा दिन में तीन बार दें।
सावधानी : मधुमेह में सम्बंधित रोगों में आलू, गाजर, चुकन्दर, टैपियोका (दक्षिणी मूल), मटर, फलियां, शकरकन्द, क्लस्टर बीन। आदि फलों और सब्जियों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए|
ïजीरा : 10 ग्राम काला जीरा, 10 ग्राम मिर्च तथा तुलसी के 10-12 पत्ते लेकर इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ी-सी कालीमिर्च डालकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोलियों को रोजाना पानी के साथ सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ïअमलतास : अमलतास के थोड़े से गूदे को लेकर गर्म करें। फिर मटर के दाने के बराबर उसकी गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में आराम मिलता है।
ïतेजपात : तेजपात के पत्तों का चूर्ण 1-1 चुटकी सुबह, दोपहर तथा शाम को ताजे पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
ïविजयसार : विजयसार का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मधुमेह का रोग कुछ दिनों में ही मिट जाता है।
ïगुलमोहर : गुलमोहर की एक कली टुकडे़ करके पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद उस पानी में से 1-1 कप पानी सुबह-शाम पीयें। इससे मधुमेह में लाभ होगा।
ïहरड़ : त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) जामुन की गुठली, करेले के बीज, मेथी के दाने सभी 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर 100 ग्राम गुड़मार में कूट-पीसकर मिला लें और सुबह नाश्ते के बाद 2 चम्मच पानी के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह से आराम मिलता है।
ïलहसुन : 2 लहसुन की पुतियों का रस निकालकर बेल के पत्ते के रस के साथ सुबह सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
ïनींबू : पानी में नींबू निचोड़कर पिलाने से मधुमेह रोगी को प्यास अधिक लगने की परेशानी से आराम मिलता है। इसे रोजाना तीन बार रोगी को पिलायें। इससे लाभ होता है।
ïनारंगी : नारंगी के छिलके को छाया में सुखाकर कूट लें। इन्हें 4 चम्मच, 1 गिलास पानी में उबालकर छान लें और रोजाना पीयें। इससे मधुमेह रोग से आराम मिलता है।
ïछुहारा : गुठली निकालकर छुहारे के टुकड़े दिन में 8-10 बार चूसें। कम से कम 6 महीने तक इसका सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

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