Some Acupressure/Acupuncture Points You Should Press Now For Good Health :एक्यूप्रेशर चिकित्सा से सम्बंधित जानकारी ( संक्षिप्त में ) : शरीर के विकारों को दूर कर शरीर की प्राण ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने का उपाय है एक्यूप्रेशर |
Some Acupressure Points You Should
Press Now For Good Health
अरोग्यता मनुष्य की सबसे बड़ी पूँजी है परन्तु वर्तमान युग पूरी
तरह से भौतिकतावादी हो चूका है, यह पूर्ण रूप से भागमभाग और प्रतिस्पर्धा का युग है, जहाँ मनुष्य अपनी सुख-सुविधा, इच्छा और तृष्णा की
पूर्ति के लिए परिस्थितियों तथा प्रकृतिजन्य नियमों के विपरीत जाकर कार्य भी कार्य
करने से नहीं हिचकता है। परिणाम यह होता है कि असमय ही व्यक्ति तनाव व परेशानियों
से घिरने लगता है और नित नए रोगों को आमंत्रण देता है। कहने का तात्पर्य यह कि 80
प्रतिशत मामलों में व्यक्ति स्वयं अपने शारीरिक कष्टों का कारण बन
जाता है। मानव शरीर वास्तव में पृथ्वी के समान वायु, अग्नि,
पृथ्वी, आकाश, जल,
इन पंच तत्वों से बना, प्रकृति की एक रचना है।
मानव शरीर स्वयं का उत्तम चिकित्सक भी है। शरीर में स्थित रोग प्रतिकार शक्ति ही
रोग पर नियंत्रण करती है। रोगों को दूर करने की यह प्राकृतिक शक्ति शरीर में हमेशा
मौजूद रहती है। सोने-उठने-बैठने, रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार, योग-व्यायाम
आदि के नियमों का पालन नहीं करने अर्थात प्रकृति के अनुकूल न चलने की सजा रोग है।
ईश्वर ने हाथ की हथेली, पैर के पंजों आदि की रचना इस
प्रकार की है कि संपूर्ण शरीर उसमें प्रतिबिम्बित होता है। एक्यूप्रेशर एक ऐसी
प्राकृतिक उपचार पद्धति है, जिससे अनेक रोग बिना दवा के
शीघ्र दूर किए जा सकते हैं। साथ ही शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। एक्यूप्रेशर
शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय कर देता है। यह उपचार पद्धति सरल, खर्चरहित, हानिरहित व प्रभावशाली होकर अत्यंत उपयोगी
है। इसका उपयोग घर में, यात्रा में कहीं भी किया जा सकता है।
भारतीय एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति के आधार-तत्व प्रकृति के पंच-तत्व हैं, अतः यह उतनी ही प्राचीन है, जितनी कि प्रकृति है |
एक्यूप्रेशर
उपचार में चिकित्सक कुछ ख़ास बिन्दुओं पर दवाब देकर रोगी की चिकित्सा करते हैं| इन
ख़ास बिन्दुओं को ही एक्यूप्रेशर बिंदु कहा जाता है | आज हम आपको शरीर के कुछ ऐसे
बिन्दुओं के बारे में जानकारी देंगे जो एक्यूप्रेशर उपचार में एक्यूप्रेशर करने के
लिए प्रयुक्त किये जाते हैं-
ये पॉइंट्स हैं खास एक्यूप्रेशर उपचार के लिए :-
ये पॉइंट्स हैं खास एक्यूप्रेशर उपचार के लिए :-
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर के कुल 365 पॉइंट्स
में से कुछ ऐसे हैं, जो काफी असरदार होते हैं और कई तरह की
बीमारियों में राहत दिलाते हैं। उनमें से कुछ बिन्दुओं का वर्णन हम यहाँ कर रहे
हैं | उम्मीद है कि आपको इससे कुछ न कुछ लाभ प्राप्त जरूर होगा -
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 1 :
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 1 :
जीवी 20 या डीयू 20 :
कहां : सिर के बीचोंबीच, जहां कई लोग चोटी
रखते हैं।
उपयोग: याददाश्त बढ़ाता है, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, हाइपर एक्टिविटी को कम कर मन को शांत करता है। पढ़नेवाले बच्चों के लिए खासतौर पर असरदार। यह सारे पॉइंट्स का कंट्रोलिंग पॉइंट भी है, इसलिए इसे हर बीमारी में दबाया जाता है।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 2 :
उपयोग: याददाश्त बढ़ाता है, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, हाइपर एक्टिविटी को कम कर मन को शांत करता है। पढ़नेवाले बच्चों के लिए खासतौर पर असरदार। यह सारे पॉइंट्स का कंट्रोलिंग पॉइंट भी है, इसलिए इसे हर बीमारी में दबाया जाता है।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 2 :
जीबी 20 :
कहां : कान के पीछे के झुकाव में।
उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 3 :
उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 3 :
एलआई 11 :
कहां : एल्बो (कोहनी) क्रीज के बाहरी हिस्से पर।
उपयोग: कॉलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, गले में इन्फेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, उलटी, डायरिया, हिचकी, पीलिया, खून की कमी आदि में। खून से संबंधित हर बीमारी में कारगर। इम्यूनिटी बढ़ाता है। यूबी 17 (बीएल 17) के साथ करें तो बेहतर है।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 4 :
उपयोग: कॉलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, गले में इन्फेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, उलटी, डायरिया, हिचकी, पीलिया, खून की कमी आदि में। खून से संबंधित हर बीमारी में कारगर। इम्यूनिटी बढ़ाता है। यूबी 17 (बीएल 17) के साथ करें तो बेहतर है।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 4 :
एसटी 36 :
कहां : घुटने से चार उंगली नीचे, बाहर की तरफ।
इसे टोनिफिकेशन पॉइंट भी कहा जाता है। इस पर रोजाना मसाज करने से कई बीमारियों से
बचा जा सकता है।
उपयोग: फौरन स्टैमिना बढ़ाता है। थकान और लंबी बीमारी के बाद ठीक होने में मदद करता है। पेट की बीमारियों और लूज मोशंस में असरदार। दस्त में स्टमक 25 (नाभि के दोनों तरफ तीन उंगली की दूरी पर) भी काफी फायदेमंद है।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 5 :
उपयोग: फौरन स्टैमिना बढ़ाता है। थकान और लंबी बीमारी के बाद ठीक होने में मदद करता है। पेट की बीमारियों और लूज मोशंस में असरदार। दस्त में स्टमक 25 (नाभि के दोनों तरफ तीन उंगली की दूरी पर) भी काफी फायदेमंद है।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 5 :
लिव 3 :
कहां : पैर में अंगूठे और साथ वाली उंगली के बीच में, तीन उंगली ऊपर की तरफ।
उपयोग: इमोशन कंट्रोल, पीरियड्स की तकलीफ, शरीर में जकड़न और आंखों की बीमारियां में फायदेमंद। हेपटाइटिस, पीलिया, लिवर से जुड़ी प्रॉब्लम में असरदार।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 6 :
उपयोग: इमोशन कंट्रोल, पीरियड्स की तकलीफ, शरीर में जकड़न और आंखों की बीमारियां में फायदेमंद। हेपटाइटिस, पीलिया, लिवर से जुड़ी प्रॉब्लम में असरदार।
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर पॉइंट 6 :
चेतना पॉइंट :
कहां : लेफ्ट हाथ में कलाई और कोहनी के बिल्कुल बीचोबीच।
उपयोग: 30-35 साल की उम्र के बाद इसे नियमित रूप से दबाने से बुढ़ापा आने की रफ्तार कम होती है। यह नींद लाने में भी मदद करता है।
जानिए किस बीमारी में कौन-सा पॉइंट कारगर होता है
उपयोग: 30-35 साल की उम्र के बाद इसे नियमित रूप से दबाने से बुढ़ापा आने की रफ्तार कम होती है। यह नींद लाने में भी मदद करता है।
जानिए किस बीमारी में कौन-सा पॉइंट कारगर होता है
ïसिरदर्द में :
एलआई 4 - आंखों के आसपास दर्द है तो
एलआई 4 - आंखों के आसपास दर्द है तो
लिव 3 - सामने दर्द है तो
एसटी 44 - माथे में दर्द है
तो
जीबी 43 - सिर के पीछे दर्द में तो
यूबी 67 - सिर से पॉइंट जितना दूर होगा, उतना फायदेमंद।
ïबदन दर्द में :
एसपी 21, जीबी 34, एलआई 4
ïसर्वाइकल, गर्दन में दर्द में :
एसआई 9, जीबी 21, एलयू 7, एसआई 3
ïघुटने में दर्द में :
एसटी 34, एसटी 36, एसपी 10, यूबी 40
ïकमर का दर्द में :
यूबी 23, यूबी 40, यूबी 57, यूबी 60, यूबी 61, जीबी 34, एसटी 36
ïपेटदर्द, गैस, एसिडिटी में :
एसटी 36, एलआई 4, पी 6, रेन 12
ïसर्दी-जुकाम और खांसी में :
डीयू 20, एलआई 4, एलआई 11, एलयू 7, स्प्लीन 10 (नी कैप पर दो इंच ऊपर) एलर्जी के लिए
ïउलटी होने पर : पी 6, एसटी 36, के1 (मॉर्निंग सिकनेस और ट्रैवल सिकनेस में भी असरदार)
ïलूज मोशंस में :
एसटी 36, लिव 13, रेन 6, स्प्लीन 4
ïआंखों की बीमारियां में :
एसटी 1, यूबी 1 (इसमें सूई न लगाएं), एसटी 1, जीबी 1, एक्स्ट्रा 1, यूबी 67
ïमुंहासे होने पर :
एलआई 4, डीयू 20, एलआई 11, एसटी 6, एलयू 7
ïचक्कर आने पर : एलआई 4, सीवी 13, पी 6
ïयाददाश्त बढ़ाने के लिए :
डीयू 20, एक्स्ट्रा 1
ïजीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए :
एसटी 36, एलआई 11 और स्प्लीन 36
ïनींद न आने पर :
डीयू 20, यूबी 62, हार्ट 7 (मन को शांत करता है)
ïस्त्री रोग और जनन संबंधी रोग में :
स्प्लीन 6, रेन 4, लिव 3
ïथकान होने पर :
एसटी 36, रेन 6, चेतना पॉइंट
ïकॉलेस्ट्रॉल में :
सीवी 12, सीवी 13, लिव 13, यूबी 17
ïब्लड प्रेशर होने पर :
लिव 3, लिव 4, एलयू 9, डीयू 20, लिव 4 भी गुस्सा कम करता है और दिमाग को कंट्रोल में रखता है।
ïशुगर में :
एसपी 10, सीवी 12, लिव 13
ïअस्थमा में :
एलयू 6, एलयू 7, एलयू 9, एलआई 11, पी 6, रेन 17, रेन 22 (इमरजेंसी में बेहद कारगर)
ïपीलिया में :
लिव 3, लिव 14, हेपटाइटिस और लिवर से जुड़ी बाकी प्रॉब्लम्स में भी
ïलकवा में :
एलआई 4, एलआई 11, एलआई 15, एसटी 31, एसटी 32, एसटी 36, एसटी 41, स्प्लीन 6, लिव 3
जानिए कौन-सा पॉइंट कहां पाया जाता है :-
ïबदन दर्द में :
एसपी 21, जीबी 34, एलआई 4
ïसर्वाइकल, गर्दन में दर्द में :
एसआई 9, जीबी 21, एलयू 7, एसआई 3
ïघुटने में दर्द में :
एसटी 34, एसटी 36, एसपी 10, यूबी 40
ïकमर का दर्द में :
यूबी 23, यूबी 40, यूबी 57, यूबी 60, यूबी 61, जीबी 34, एसटी 36
ïपेटदर्द, गैस, एसिडिटी में :
एसटी 36, एलआई 4, पी 6, रेन 12
ïसर्दी-जुकाम और खांसी में :
डीयू 20, एलआई 4, एलआई 11, एलयू 7, स्प्लीन 10 (नी कैप पर दो इंच ऊपर) एलर्जी के लिए
ïउलटी होने पर : पी 6, एसटी 36, के1 (मॉर्निंग सिकनेस और ट्रैवल सिकनेस में भी असरदार)
ïलूज मोशंस में :
एसटी 36, लिव 13, रेन 6, स्प्लीन 4
ïआंखों की बीमारियां में :
एसटी 1, यूबी 1 (इसमें सूई न लगाएं), एसटी 1, जीबी 1, एक्स्ट्रा 1, यूबी 67
ïमुंहासे होने पर :
एलआई 4, डीयू 20, एलआई 11, एसटी 6, एलयू 7
ïचक्कर आने पर : एलआई 4, सीवी 13, पी 6
ïयाददाश्त बढ़ाने के लिए :
डीयू 20, एक्स्ट्रा 1
ïजीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए :
एसटी 36, एलआई 11 और स्प्लीन 36
ïनींद न आने पर :
डीयू 20, यूबी 62, हार्ट 7 (मन को शांत करता है)
ïस्त्री रोग और जनन संबंधी रोग में :
स्प्लीन 6, रेन 4, लिव 3
ïथकान होने पर :
एसटी 36, रेन 6, चेतना पॉइंट
ïकॉलेस्ट्रॉल में :
सीवी 12, सीवी 13, लिव 13, यूबी 17
ïब्लड प्रेशर होने पर :
लिव 3, लिव 4, एलयू 9, डीयू 20, लिव 4 भी गुस्सा कम करता है और दिमाग को कंट्रोल में रखता है।
ïशुगर में :
एसपी 10, सीवी 12, लिव 13
ïअस्थमा में :
एलयू 6, एलयू 7, एलयू 9, एलआई 11, पी 6, रेन 17, रेन 22 (इमरजेंसी में बेहद कारगर)
ïपीलिया में :
लिव 3, लिव 14, हेपटाइटिस और लिवर से जुड़ी बाकी प्रॉब्लम्स में भी
ïलकवा में :
एलआई 4, एलआई 11, एलआई 15, एसटी 31, एसटी 32, एसटी 36, एसटी 41, स्प्लीन 6, लिव 3
जानिए कौन-सा पॉइंट कहां पाया जाता है :-
ü एक्स्ट्रा 1 :-
कहां : माथे पर, जहां महिलाएं बिंदी लगाती
हैं।
ü एक्स्ट्रा 2 :-
कहां : आंख के कोने से एक उंगली पीछे कान की तरफ।
ü एलआई 4 :-
कहां : अंगूठे और इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) को मिलाते हैं तो सबसे ऊंचे पॉइंट पर यह मौजूद होता है।
üएलआई 20 :-
कहां : नाक के साइड में, नथुने जहां खत्म होते हैं।
üयूबी 40 :-
कहां : घुटने के पीछे।
üरेन 4 :-
कहां : नाभि से चार उंगली नीचे।
üरेन 6 :-
कहां : नाभि से दो उंगली नीचे।
üरेन 12 :-
कहां : पेट के सामनेवाले हिस्से पर बीच में, नाभि और पसलियों के बीच।
üरेन 17 :-
कहां : दोनों निपल के बीच सीने की हड्डियों के बीच में।
üरेन 22 :-
कहां : गले के सामने वाले गड्ढे में।
üजीबी 21 :-
कहां : कंधे और गले के जोड़ के बीच में।
üसीवी 12 :-
कहां : नाभि से तीन उंगली ऊपर।
üसीवी 13 :-
कहां : नाभि से चार उंगली ऊपर।
üलिव 6 :-
कहां : काफ मसल के पास, टखने से आठ उंगली ऊपर।
üलिव 13 :-
कहां : 12वीं पसली के पास, जहां पेट के साइड में दोनों कुहनियां टच करती हैं।
üलिव 14 :-
कहां : सीने में सामने की तरफ, निपल लाइन से नीचे छठी और सातवीं पसली के बीच।
üएलयू 6 :- कहां : कलाई से आठ उंगली ऊपर, थोड़ा-सा बाहर की तरफ।
üएलयू 7 :-
कहां : एलयू 9 से दो उंगली ऊपर।
üएलयू 9 :-
कहां : कलाई के जोड़ से जहां अंगूठा शुरू होता है, उससे एक इंच अंदर की तरफ।
üएसपी 10 :-
कहां : घुटने से चार उंगली ऊपर साइड में।
üएसपी 21 :-
कहां : सीने पर आठवीं पसली के दोनों तरफ।
üयूबी 23 :-
कहां : रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ दो उंगली साइड में, पसलियों के निचले हिस्से में।
üयूबी 59 :-
कहां : काफ मसल से थोड़ा नीचे।
üयूबी 60 :-
कहां : यूबी 59 से दो उंगली नीचे।
üयूबी 61 :-
कहां : पंजे की बाहरी साइड में, छोटी उंगली के पास एड़ी से थोड़ा अंदर।
üएसटी 31 :-
कहां : जांघ के ऊपरी हिस्से पर।
üएसटी 32 :-
कहां : घुटने से आठ उंगली ऊपर बाहर की तरफ।
üएसटी 41 :-
कहां : टखने के सामने।
ü एक्स्ट्रा 2 :-
कहां : आंख के कोने से एक उंगली पीछे कान की तरफ।
ü एलआई 4 :-
कहां : अंगूठे और इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) को मिलाते हैं तो सबसे ऊंचे पॉइंट पर यह मौजूद होता है।
üएलआई 20 :-
कहां : नाक के साइड में, नथुने जहां खत्म होते हैं।
üयूबी 40 :-
कहां : घुटने के पीछे।
üरेन 4 :-
कहां : नाभि से चार उंगली नीचे।
üरेन 6 :-
कहां : नाभि से दो उंगली नीचे।
üरेन 12 :-
कहां : पेट के सामनेवाले हिस्से पर बीच में, नाभि और पसलियों के बीच।
üरेन 17 :-
कहां : दोनों निपल के बीच सीने की हड्डियों के बीच में।
üरेन 22 :-
कहां : गले के सामने वाले गड्ढे में।
üजीबी 21 :-
कहां : कंधे और गले के जोड़ के बीच में।
üसीवी 12 :-
कहां : नाभि से तीन उंगली ऊपर।
üसीवी 13 :-
कहां : नाभि से चार उंगली ऊपर।
üलिव 6 :-
कहां : काफ मसल के पास, टखने से आठ उंगली ऊपर।
üलिव 13 :-
कहां : 12वीं पसली के पास, जहां पेट के साइड में दोनों कुहनियां टच करती हैं।
üलिव 14 :-
कहां : सीने में सामने की तरफ, निपल लाइन से नीचे छठी और सातवीं पसली के बीच।
üएलयू 6 :- कहां : कलाई से आठ उंगली ऊपर, थोड़ा-सा बाहर की तरफ।
üएलयू 7 :-
कहां : एलयू 9 से दो उंगली ऊपर।
üएलयू 9 :-
कहां : कलाई के जोड़ से जहां अंगूठा शुरू होता है, उससे एक इंच अंदर की तरफ।
üएसपी 10 :-
कहां : घुटने से चार उंगली ऊपर साइड में।
üएसपी 21 :-
कहां : सीने पर आठवीं पसली के दोनों तरफ।
üयूबी 23 :-
कहां : रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ दो उंगली साइड में, पसलियों के निचले हिस्से में।
üयूबी 59 :-
कहां : काफ मसल से थोड़ा नीचे।
üयूबी 60 :-
कहां : यूबी 59 से दो उंगली नीचे।
üयूबी 61 :-
कहां : पंजे की बाहरी साइड में, छोटी उंगली के पास एड़ी से थोड़ा अंदर।
üएसटी 31 :-
कहां : जांघ के ऊपरी हिस्से पर।
üएसटी 32 :-
कहां : घुटने से आठ उंगली ऊपर बाहर की तरफ।
üएसटी 41 :-
कहां : टखने के सामने।
üलंग
7 :-
कहां : कलाई के जोड़ से दो उंगली ऊपर।
üपी
6 :-
कहां : कलाई के सामने वाले हिस्से पर, कलाई के
जोड़ से तीन उंगली ऊपर।
üस्प्लीन 6 :-
कहां : पैर के सामनेवाले हिस्से में, टखने से चार उंगली ऊपर।
üके1 :-
कहां : पैर के तलुवे में बीच वाली उंगली से थोड़ा नीचे, जहां उठा हुआ हिस्सा होता है।
üहार्ट 7 :-
कहां : कलाई पर अंदर की तरफ, एलयू 7 के पास।
üस्प्लीन 6 :-
कहां : पैर के सामनेवाले हिस्से में, टखने से चार उंगली ऊपर।
üके1 :-
कहां : पैर के तलुवे में बीच वाली उंगली से थोड़ा नीचे, जहां उठा हुआ हिस्सा होता है।
üहार्ट 7 :-
कहां : कलाई पर अंदर की तरफ, एलयू 7 के पास।
जानिए
किसका मतलब क्या होता है :
जीवी : गवर्निंग वेल्स
जीबी : गॉल ब्लेडर
यूबी : यूरिनरी गॉल ब्लेडर
एलआई : लार्ज इंटेस्टाइन
लिव : लिवर
एसटी : स्टमक
पी : पेरिकाडिर्म
एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर करते समय कुछ सावधानियां बरतें :-
[एक्युपंक्चर हमेशा अच्छे क्लिनिक और क्वॉलिफाइड डॉक्टर से कराएं।
[साफ-सफाई
का खास ध्यान रखें।
[
सूइयां फिर से इस्तेमाल न करें। खुद की इस्तेमाल की हुई सूइयां भी
फिर से इस्तेमाल न करें। कई लोग कहते हैं कि ज्यादा इस्तेमाल के बाद ही सूइयां
बेहतर काम करती हैं, लेकिन यह सच नहीं है। इस्तेमाल की हुई
सूइयों को दोबारा इस्तेमाल करने से एड्स या हेपटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
[गलत पॉइंट दबाने से फायदा नहीं होगा लेकिन नुकसान भी नहीं होगा। एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
[गलत पॉइंट दबाने से फायदा नहीं होगा लेकिन नुकसान भी नहीं होगा। एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
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