The Power Of The Sesame Seed : Amazing Benefits & Uses Of Sesame Seeds (Til) For Health : सर्दी के मौसम का राजा हैं तिल : जानिए, तिल के क्या है फायदे

        The Power Of The Sesame Seed : Amazing Benefits & Uses Of Sesame Seeds (Til) For Health   


तिल कई प्रकार के होते हैं किन्तु हमारी पहचान सफ़ेद तिल और काले तिल से है | मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर उड़द की खिचडी और तिल के लड्डू खाने का चलन हिन्दुस्तान में सदियों- सदियों से चला आ रहा है | तिल के लड्डू के अतिरिक्त तिल के तेल का चलन भी है जो हम सिर में लगाते हैं जो विद्यार्थियों के लिए अति उत्तम माना गया है | बस तिल का तीसरा कोई प्रयोग चलन में नहीं है| आइये आज अपने ज्ञान में हम वृद्धि करें |विश्वास कीजिए जब आप तिल के गुणों के बारे में जान लेंगे तो फिर सिर्फ मकर संक्रांति में ही नहीं पूरे वर्ष तिल के गुण गायेंगे और लड्डू खायेंगे | विशेषतः काले तिल में कार्बोहाईड्रेट ,प्रोटीन और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है , इसीलिए ये शरीर के लिए अमृत है | हमारा यही उद्देश्य है कि  हमको जो जानकारी उपलब्ध है उसे सभी के लिए उपलब्ध करवाएं | तो आइये जानते हैं तिल के औषधीय उपयोगों के बारे में-

        तिल के कुछ अनोखे औषधीय उपयोग :                                                                         

        नाक के रोगों में :                                                                                                     


ï काली मिर्च या अजवाइन को तिल के तेल में डालकर गर्म करें। इस तेल को नाक पर लगाकर मलने सें बंद नाक खुल जाती है।
ïनाक की फुंसियों को ठीक करने के लिए तिल के तेल में पत्थरचूर के पत्तों के रस को मिलाकर नाक पर लगाएं।

        एड़ियां (बिबाईफटने में:                                                                                          


ïदेशी पीला मोम 10 ग्राम और तिल का तेल 40 मिलीलीटर को मिलाकर गर्म करके पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बिवाई पर लगाने से लाभ मिलता है।
ïतिल के तेल में मोम और सेंधानमक मिलाकर गर्म करें। इस तेल को फटी हुई एड़ियों पर लगाएं। इससे एड़ियों का फटना ठीक हो जाता है। 

        मासिकधर्म सम्बन्धी परेशानियां होने पर :                                                                   


ï5 ग्राम तिल, 7 दाने कालीमिर्च, एक चम्मच पिसी सोंठ, 3 दाने छोटी पीपल। सभी को एक कप पानी में डालकर काढ़ा बना लें। इसे पीने से मासिकधर्म सम्बंधी शिकायतें दूर हो जाती है।
ï5 ग्राम काले तिल को गुड़ में मिलाकर माहवारी (मासिक) शुरू होने से 4 दिन पहले सेवन करना चाहिए। जब मासिकधर्म शुरू हो जाए तो इसे बंद कर देना चाहिए। इससे माहवारी सम्बंधी सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।

        सिर के दर्द में:                                                                                                        


ïतिल के पत्तों को सिरके या पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से माथे का दर्द कम हो जाता है।
ïतिलों को दूध में पीसकर मस्तक पर लेप करने से मस्तक का दर्द ठीक हो जाता है।

        आमातिसार (आंवयुक्त पेचिश ) में:                                                                                


ïतिल के पत्तों को पानी में भिगोने से लुआब (लसदार) बन जाता है। इस लुआब का सेवन रोगी को कराने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
ïतिल के पत्तों के लुआब में थोड़ा अफीम डालकर सुबह और शाम सेवन करने से आमातिसार में लाभ मिलता है।

        खूनी दस्त में:                                                                                                           



ï10 ग्राम काले तिल को पीसकर उसमें 20 ग्राम चीनी और बकरी का दूध 40 मिलीलीटर मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के खूनी दस्त बंद हो जाते हैं।
ï40 ग्राम काले तिलों को 10 ग्राम चीनी में मिलाकर लें। इसमें लगभग 3-6 ग्राम की मात्रा में मिलाकर दिन में 3 बार लेना चाहिए। इससे दस्त के साथ खून का आना बंद हो जाता है।
ïतिल को पीसकर, मक्खन में मिलाकर खाने से खूनी अतिसार में लाभ होता है।

        बिस्तर पर पेशाब करना :                                                                                             


ïतिल और गुड़ को एक साथ मिलाकर बच्चे को खिलाने से बच्चे का बिस्तर पर पेशाब करने का यह रोग समाप्त हो जाता है।
ïरोगी के बिस्तर पर पेशाब करने की आदत छूड़ाने के लिए तिल और गुड़ के साथ अजवायन का चूर्ण मिलाकर रोगी को खिलाएं, इससे लाभ मिलेगा।
ïतिल के तेल को पिलाने से बच्चे के द्वारा रात में पेशाब करने की बीमारी में लाभ होता हैं।

        जल जाने पर:                                                                                                            


ïतिलों को पानी में पीसकर लेप बना लें। जले हुए अंग पर इसका मोटा लेप करने से जलन दूर होकर आराम मिलता है।
ïतिल के बीजों को समान मात्रा में नारियल का तेल मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता है।
        गर्भाशय के रोग में :                                                                                                   


ïलगभग आधा ग्राम तिल का चूर्ण दिन में 3-4 बार सेवन करने से गर्भाशय में जमा हुआ खून बिखर जाता है।
ï100 मिलीलीटर तिल से बना हुआ काढ़ा प्रतिदिन पीने से मासिकधर्म में होने वाले गर्भाशय के कष्ट दूर हो जाते हैं।

        पेट में दर्द (अफारामें:                                                                                              


ïतिल के तेल में हींग, सूंघनी या काला नमक मिलाकर गर्म करके पेट पर मालिश करने और सेंकने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
ïतिलों को पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
ïसाफ तिल के तेल को दालचीनी या लौंग में मिलाकर छोटी-छोटी गोलिया बनाकर खाने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

        वातरोग में:                                                                                                             


ïतिल के तेल की मालिश करने से वात रोग में लाभ मिलता है।
ïतिल के तेल में लहसुन का काढ़ा और सेंधानमक मिलाकर खाने से वात रोग खत्म हो जाता है।
ïकाले तिल और अरण्ड की कुली 50-50 ग्राम लेकर भेड़ के दूध में पीसकर लेप करने से वात रोग ठीक होने लगता है।

        नंपुसकता (नामर्दीमें:                                                                                             


ïकाले तिल, मिर्च, भारड़ी, सोंठ, पीपल और गुड़ बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनाकर 21 दिन तक पीने से शरीर की गर्मी बढ़ती है।
ïनंपुसकता को दूर करने के लिए तिल को गोखरू दूध में उबालकर पीने से  लाभ मिलता है और धातु स्राव बंद हो जाता है और नामर्दी दूर हो जाती है।
ïतिल का चूर्ण 10 से 20 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से सेक्स पावर बढ़ती है और नंपुसकता दूर हो जाती है।
        आँतों का बढना :                                                                                                    


ïकाले तिल, अजवायन 3-3 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम 7 दिनों तक प्रयोग करें। इससे लाभ मिलेगा।
ïकाले तिल 40 ग्राम तथा अजवायन 20 ग्राम को कूटकर छान लें और इसमें गुड़ मिला लें। इसका सेवन प्रतिदिन करने से आंत का बढ़ना ठीक हो जाता है।

        त्वचा के रोग में :                                                                                                          


ï100 मिलीलीटर तिल का तेल और 100 मिलीलीटर हरी दूब का रस मिलाकर हल्की सी आग पर गर्म कर लें। जब यह पूरी तरह से गर्म हो जाये तो इसे उतारकर ठंडा कर लें और छान लें। इसे लगाने से हर प्रकार के त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं।
ïसांप की केंचुली को जलाकर राख करके तिल के तेल में मिलाकर चेहरे पर तथा फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ मिलता है।
        सूखा रोग में :                                                                                                         


ïकेंचुआ और बीरबहूटी को तिल के तेल में भूनकर छान लें। इस तेल से मालिश करने से सूखा रोग (रिकेट्स) समाप्त हो जाता है।
ïतिल के तेल की मालिश करने से शरीर की रूक्षता कम हो जाती है।

        बच्चों के रोगों में :                                                                                                    


ïतिल और चावलों को एक साथ पीसकर पेट की नाभि पर लेप करने से बच्चों को होने वाली खुजली ठीक हो जाती है।
ïतिल, सारिवा, लोध और मुलहठी को एक साथ मिलाकर पीसकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से कुल्ला करने से लाभ मिलता है।
ïतिल और चावलों को एक जगह पीसकर नाभि (टुंडी) पर लेप करने से अथवा भारंगी और मुलेठी को पीसकर नाभि (टुंडी) पर लेप करने से बच्चों के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।


Comments