The Importance of Vitamins To Your Body : Why Are Vitamins Important to Your Body? : जानें अच्छी सेहत के लिए विटामिन्स की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है |

                       

                                     Why Are Vitamins Important to Your Body?       



आज के दौर में हम सभी लोग अपने खान-पान के प्रति ज्यादा सतर्क और सजग नहीं है, हम लोगों के खान-पान में पहले की अपेक्षा काफी बदलाव आया है जैसे कि पहले हमारे माँ-पापा या दादा- दादी  घर का बना स्वास्थयवर्धक खाना और सब्जियां ही खाते थे परन्तु आज कल की जनरेशन को घर के बने खाने की अपेक्षा बाहर का खाना ज्यादा पसंद आता है जिस वजह से उनको वो न्यूट्रीएंट्स पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते हैं जनकी उनके शरीर को आवश्यकता होती है , परिणामस्वरूप उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और कई बीमारियाँ उनके शरीर में घर कर लेती हैं | उन्हीं आवश्यक न्यूट्रीएंट्स में विटामिन्स आती हैं जो हमारे शरीर के लिए काफी आवश्यक होती हैं | विटामिन छोटे अणु होते हैं और शरीर की विभिन्न गतिविधियों को चलाने के लिए इनकी जरूरत पड़ती है। हमारा शरीर अपने आप विटामिनों का निर्माण नहीं करता, इसलिए विटामिन उस भोजन से ही आना चाहिए जो हम खाते हैं। हमारे शरीर को 13 अलग-अलग विटामिनों की आवश्यकता होती है, जिनमें से ”, “बी कॉम्प्लेक्स, “सी”, “डी”, “ और के बहुत महत्वपूर्ण हैं। जब कोई विटामिन आप पर्याप्त मात्रा में नहीं लेते, तब शरीर में इसकी कमी हो जाती है, जिससे अनेक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, तो आज हम उन्हीं जरूरी विटामिन्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका हमारे जीवन में खासा महत्व है -

        विटामिन “ए” :-                                                                                                  


वसा में घुलनशील विटामिन “ए” मुख्य रूप से रेटिनॉइड और कैरोटिनॉइड, दो रूपों में पाया जाता है। सब्जियों का रंग जितना गहरा होगा, उनमें कैरोटिनॉइड की मात्रा उतनी ही अधिक होगी। अनेक कैरोटिन में से बीटा-कैरोटिन, अल्फा कैरोटिन और बीटा-जैन्थोफिल सबसे महत्वपूर्ण हैं। यह विटामिन आंखों की रोशनी को बनाए रखता है। यह स्वस्थ त्वचा, दांतों, हड्डियों, मुलायम उतकों और म्युकस मेंब्रेन, प्रजनन और स्तनपान के लिए भी आवश्यक है। पालक, गाजर, कद्दू, ब्रोकली, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, मांस, दूध, पनीर, क्रीम, लीवर, किडनी और मछली जैसे पशु उत्पादों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 'ईसकी कमी से रतौंधी रोग जन्म लेता है , बच्चों में विटामिन ए की कमी के कारण पाचन मार्ग और श्वसन मार्ग के ऊपरी भाग के संक्रमण का खतरा आदि रोग होते हैं|

        विटामिन “बी”:-                                                                                              


इसमें सम्मिलित हैं विटामिन “बी”-1 (थियामिन), राइबोफ्लेविन (विटामिन “बी”-12), नियासिन (विटामिन “बी”-3), पैंटोथोनिक एसिड (विटामिन “बी”-5), पाइरिडॉक्सिन (विटामिन “बी”-6), बायोटिन (विटामिन “बी”-7), फॉलिक एसिड (विटामिन “बी”-9) और कोबालामिन (विटामिन “बी”-12)। प्रत्येक की विशिष्ट संरचना और विशिष्ट कार्य होते हैं।
“बी”-1 और “बी”-2 मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और हृदय की कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक हैं। “बी”-3 तंत्रिका और पाचन तंत्र को नियंत्रित करने में सहायता करता है। “बी”-6 इम्यून तंत्र को सहारा देता है और प्रोटीन को तोडऩे में शरीर की सहायता करता है। “बी”-9 ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में सहायता करता है। “बी”-12 सर्वाइकल कैंसर की आशंका को कम करता है। साबुत अनाज, पालक, फलियां, अंकुरित अनाज, अंडे का पीला भाग, डेयरी उत्पाद, सुखे मेवे, किडनी और मांस विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के अच्छे स्रोत माने जाते हैं।

        विटामिन “सी”:-                                                                                              


यह एक एंटीऑक्सीडेंट है। विटामिन सी शरीर में एकत्र नहीं होता। यह शरीर की कोशिकाओं को एक साथ रखता है और रक्त नलिकाओं की दीवार को मजबूत करता है। दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखता है। इम्यून तंत्र को मजबूत बनाता है। ब्रोकली, अंकुरित अनाज, गोभी, खट्टे फल, पालक, स्ट्रॉबेरीज, टमाटर आदि इसके स्रोत हैं। इसकी कमी से एनीमिया हो जाता है। मसूड़े कमजोर और दांत ढीले हो जाते हैं। इसकी कमी से त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।

        विटामिन “डी”:-                                                                                             


यह एक मात्र विटामिन है, जो हमें धूप से मुफ्त में मिलता है, फिर भी भारत में 49 प्रतिशत शहरी और 20 प्रतिशत ग्रामीणों में इसकी कमी है। यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की किरणें हैं। जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के संपर्क में आती है तो ये किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन डी का निर्माण करती हैं। इसके अलावा दूध, अंडे, चिकन, मछलियां भी विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। इसकी कमी से 'मांसपेशियों की कमजोरी, जोड़ो में दर्द ,'मार्निंग सिकनेस ,शारीरिक कमजोरी आती है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीडि़त 50 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है।

        विटामिन "के" :-                                                                                            


विटामिन केवसा  में घुलनशील विटामिन है। सेहत के लिए जरूरी होने के बावजूद  आमतौर पर  इस विटामिन  की  चर्चा कम  होती है। मान  लिया  जाता है कि  इसका  मुख्य  कार्य महज  खून  बहने  के दौरान  उसे  जमने में मदद करना है। विटामिन केयह  कार्य  रक्त  जमने  की  प्रक्रिया  में शामिल विभिन्न  प्रोटीन, मिनरल और  कैल्शियम  को  सक्रिय करके  करता  है। हालांकि  हालिया शोध  इसकी  भूमिका  इससे  अधिक  मानते  हैं।  हमारे शरीर  में  विटामिन के’  की  प्रक्रिया दूसरे  वसा-घुलनशील  विटामिनों ए, डी  और  ई  से अलग होती  है। शरीर  इस  विटामिन  में  मौजूद  रक्त  घटकों  को  जरूरत पड़ने  पर  रक्त  वाहिनियों  में  रिसाइकिल  करता  है।  विटामिन “के” शरीर  में  विटामिन  के-1 और विटामिन  के-2, दो  रूपों  में ग्रहण  किया  जाता  है। विटामिन के-1 आहार  खासतौर  पर  वनस्पति पदार्थों से मिलता  है। हरी  पत्तेदार  सब्जियों, हरी और बैंगनी  गोभी और अन्य  रंग-बिरंगी  सब्जियों  में  विटामिन केप्रचुर  मात्र  में  होता  है।  विटामिन  के-2  मांसाहारी  उत्पादों जैसे  चिकन  लिवर और  गेस्ट्रोइंटेस्टिनल  में  मौजूद  अरबों  बैक्टीरिया से मिलता  है।  कैल्शियम केविटामिन ई  की  तरह अच्छे  एंटीऑक्सीडेंट  का  काम  भी  करता  है, जो  फ्री  रेडिकल्स  को  लिवर  को  नुकसान  पहुंचाने  से  रोकता  है। विशेषज्ञों  के अनुसार  वयस्क  महिला  के  लिए  हर  रोज  कम  से  कम 90 एमजी और पुरुष  के  लिए 120 एमजी  विटामिन “के”  की  जरूरत  होती  है। पालक,  सरसों,  शलगम  के  पत्ते,  मेथी  व  अन्य  हरी  पत्तेदार  सब्जियों  को  हर  रोज  कम  से  कम  एक  बार  आहार  में  शामिल  करें।  अंडों  में भी विटामिन केप्रचुर  मात्रा  में होता  है। जैतून के तेल में भी विटामिन “के” होता है।

        विटामिन “ई” :-                                                                                              


विटामिन “ई”, खून में रेड बल्ड सेल या लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell) को बनाने के काम आता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांस-पेशियां, टिशू आदि । यह शरीर को ओक्सिजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है, जिसे ओक्सिजन रेडिकल्स (oxygen radicals) कहते हैं। इस गुण को एंटीओक्सिडेंट (anti-oxidants) कहा जाता है। विटामिन “ई”, सेल के अस्तित्व बनाय रखने के लिये, उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन को बनाय रखता है। विटामिन इ, शरीर के फैटी एसिड को भी संतुलन में रखता है।
समय से पहले हुये या प्रीमेच्योर नवजात शिशु (Premature infants) में, विटामिन “ई” के कमी से खून में कमी हो जाता है। इससे उनमें एनिमीया (anemia) हो सकता है। बच्चों और व्यस्क लोगों में, विटामिन “ई” के अभाव से, दिमाग के नसों का या न्युरोलोजीकल (neurological) समस्या हो सकता है। अत्याधिक विटामिन “ई” लेने से खून के सेलों पर असर पड़ सकता है, जिससे कि खून बहना या बीमारी होना मुमकिन है।

        विटामिन्स के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-                                                         

ïएक अनुमान के अनुसार विश्व के एक तिहाई बच्चे विटामिन “ए” की कमी से पीडि़त हैं।
ïविटामिन “बी”-6 को सबसे ज्यादा स्थिर विटामिन माना जाता है।
ïजिनके रक्त में विटामिन “सी” का स्तर अधिक होता है, उनमें स्ट्रोक की आशंका 42 प्रतिशत कम हो जाती है।
ïसप्ताह में तीन दिन 15 मिनट तक धूप में बैठने से शरीर अपने लिए जरूरी विटामिन “डी” का निर्माण कर लेता है।
ïवसा में घुलनशील विटामिन शरीर के वसा उतकों में संग्रहित होते हैं।
ïपानी में घुलनशील विटामिनों को शरीर सीधे उपयोग कर लेता है। बचे हुए विटामिन यूरीन के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
ïविटामिन “बी”-12 पानी में घुलनशील इकलौता विटामिन है, जो लीवर में कई वर्षों तक स्टोर रह सकता है। इनकी कुल संख्या 9 हैं।
ïआपको कितने विटामिन की प्रतिदिन आवश्यकता होती है, यह आपकी उम्र और लिंग पर निर्भर करता है। दूसरे तत्व जैसे गर्भावस्था और आपका स्वास्थ्य भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ïप्रतिदिन संतुलित भोजन खाएं। ऑस्टियोपोरोसिस से पीडि़त लोगों को कैल्शियम और विटामिन “डी”, विशेषकर विटामिन “डी”-3 और बायोफास्फोनेट को सप्लीमेंट के रूप में लेने की सलाह दी जाती है।
ïविटामिन "के" भी हड्डियों की मजबूती बढ़ाता है, इसलिए कई लोगों को यह विटामिन भी सप्लीमेंट के रूप में दिया जाता है।
ïचार विटामिन वसा में घुलनशील होते हैं, “ए”, “डी”, “ई” और “के”।
ïवसा में घुलनशील विटामिनों “ए”, “डी”, “ई” और के को सावधानीपूर्वक लें, क्योंकि ये वसा कोशिकाओं में संग्रहित हो जाते हैं, आपके शरीर में एकत्र होते रहते हैं और हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं।

ïविटामिन “के”-2 का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज का खतरा 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है।


इस पोस्ट में प्रयुक्त चित्र google image से लिए गए हैं, यदि किसी को इससे कोई आपत्ति/शिकायत है तो vsmskb@gmail.com पर संपर्क करे|

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