The Right Way Drinking Water As Per Ayurveda..............(जानिये सही समय पर पानी पीना हमारे शरीर के लिए है कितना फायदेमंद )

                           

                  The right way drinkink water as per ayurveda          


पानी प्राणी जीवों का प्राणधार है। अगर जल न होता तो ये पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, इंसान सभी मुरझा जाते और धरती सुनसान होती। खाना खाए बिना तो हर प्राणधारी कुछ समय तक जीवित रह सकता है परन्तु बिना जल के जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल लगता है। प्यास लगने पर सभी पानी पीते हैं पर पानी पीने से पूर्व अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो पिया हुआ पानी हमारे शरीर को पूर्ण लाभ देगा। आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद पानी पीना जहर के सामान है। इससे जठराग्नि समाप्त हो जाती है (जो कि भोजन के पचने के बाद शरीर को मुख्य ऊर्जा और प्राण प्रदान करती है) इसलिए ऐसा करने से भोजन पचने के बजाय गल जाता है। इससे ज्यादा मात्रा में गैस और एसिड बनता है और एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है।

         किस समय पानी पीना है लाभदायक -                                                                      





पानी शरीर के लिए बहुत जरूरी है। पानी का पर्याप्त सेवन हमें कई रोगों से दूर रखता है। लेकिन सिर्फ पानी की पर्याप्त मात्रा ही काफी नहीं है आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि कब कितना पानी पीना आपके लिए लाभदायक है। सही समय पर पानी से पीने से आप कई गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं। आइए जानें पानी पीने से सही तरीके के बारे में जिनसे आप रहेंगे हमेशा स्वस्थ-

        १-प्रातः काल उठते ही पानी पियें -                                                                     

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प्रातः काल उठते ही सर्वप्रथम बिना मुँह धोए, बिना ब्रश किये कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पियें क्योंकि रात भर में हमारे मुँह में Lysozyme नामक जीवाणुनाशक तैयार होता है जो पानी के साथ पेट मे जाकर पाचन संस्थान को रोगमुक्त करता है।

        २-खाना खाने से पहले पियें पानी  -                                                                   


खाना खाने के आधा घंटे पहले एक गिलास पानी पीने से खाने पचने में आसानी होती है। खाना खाने से पहले पानी पीना चाहिए और यह खाना खाने से 40 मिनट पहले पीना चाहिए। खाने के बाद मुंह और गले को साफ़ करने के लिए 1 या 2 घूँट गर्म या गुनगुना पानी लिया जा सकता है । ज्यादातर लोग खाना खाने के बाद ढेर सारा पानी पी लेते हैं जो कि गलत है। खाने के बाद पानी पीने की आदत को जल्द से जल्द छोड़ दें। यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकती है। भोजन और पानी के बीच 1.5 से 2.5 घंटों का अंतर होना चाहिए। इसके आलावा यह भूगोलीय स्थितियों पर भी निर्भर करता है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों को खाने के बाद ज्यादा देर से पानी पीना चाहिए बजाय की निचले और गर्म भागों में रहने वालों के। क्यों कि वातावरण के अनुसार ही भोजन को पचने में समय लगता है।

         ३-नहाने से पहले पानी की आदत बना लें -                                                        

 
पानी पीने के आदत आपको कई रोगों से बचा सकती है। नहाने जाने से पहले एक गिलास पानी पानी की आदत बना लें इससे रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। जिन लोगों को रक्तचाप की समस्या है उन्हें यह स्वस्थ आदत तुरंत अपनाना चाहिए। मेडिकल साइंस के अनुसार जिस प्रकार नहाने से शरीर के बाहर की सफाई होती है, ठीक उसी प्रकार पानी पीने से शरीर के अंदर की सफाई होती है। एक वयस्क पुरुष के शरीर में पानी उसके शरीर के कुल भार का लगभग 65 प्रतिशत और एक वयस्क स्त्री के शरीर में उसके शरीर के कुल भार का लगभग 52 प्रतिशत तक होता है|

        ४-सोने जाने से पहले पानी पीने की आदत है बहुत अच्छी-                                            

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सोने जाने से पहले पानी पीने की आदत बहुत अच्छी है। हर रोज बेड पर जाने से पहले एक गिलास पानी जरूर पिएं इससे हृदयघात और हार्टअटैक का खतरा कम होता है। तो अबसे जब भी सोने के लिए जाएं तो एक गिलास पानी पीने की आदत डालें। सोने से पहले 1 गिलास पानी पीने से आप हार्ट अटैक जैसी परेशानी से बच सकते हैं। नहाने के बाद 1 गिलास पानी पीने से कभी लो ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती है।

         पानी पीने में जल्दवाजी न करें -                                                                                



पानी सदैव धीरे-धीरे पीना चाहिये अर्थात घूँट-घूँट कर पीना चाहिये, यदि हम धीरे-धीरे पानी पीते हैं तो उसका एक लाभ यह है कि हमारे हर घूँट में मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जायेगी और पेट में बनने वाले अम्ल को शान्त करेगी क्योंकि हमारी लार क्षारीय होती है और बहुत मूल्यवान होती है। हमारे पित्त को संतुलित करने में इस क्षारीय लार का बहुत योगदान होता है। जब हम भोजन चबाते हैं तो वह लार में ही लुगदी बनकर आहार नली द्वारा अमाशय में जाता है और अमाशय में जाकर वह पित्त के साथ मिलकर पाचन क्रिया को पूरा करता है। इसलिये मुँह की लार अधिक से अधिक पेट में जाये इसके लिये पानी घूँट-घूँट पीना चाहिये और बैठकर पीना चाहिए।

         पानी की एक दिन में कितनी मात्रा है जरूरी -                                                             



आयुर्वेद के अनुसार सूत्र - शरीर के भार के 10 वें भाग से 2 को घटाने पर प्राप्त मात्रा जितना पानी पियें । 

उदाहरण: अगर भार 60 किलो है तो उसका 10 वां भाग 6 होगा और उसमें से 2 घटाने पर प्राप्त मात्रा 4 लीटर होगी ।
लाभ - कब्ज, अपच आदि रोगों में रामबाण पद्धति है मोटापा कम करने में भी सहायता होगी, जिनको पित्त अधिक बनता है उनको भी लाभ होगा।


         पानी पीते समय बरतें सावधानी -                                                                          


 खीरा, ककडी, तरबूज, खरबूजा, सिंघाडे के बाद भी पानी न पिएं क्योंकि इनमें जल की काफी मात्रा होती है। इनके बाद पानी पीने से हैजे का खतरा हो सकता है। गर्म खाद्य पदाथों के सेवन के बाद भी पानी न पिएं जैसे चाय, काफी, दूध आदि। कभी भी खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए (घुटनों के दर्द से बचने के लिए) ! कभी भी बाहर से आने पर जब शरीर गर्म हो या श्वाँस तेज चल रही हो तब थोड़ा रुककर, शरीर का ताप सामान्य होने पर ही पानी पीना चाहिए। भोजन करने से डेढ़ घंटा पहले पानी अवश्य पियें इससे भोजन के समय प्यास नहीं लगेगी।

         ताम्र पात्र में रखा जल अमृत -                                                                      


आप सिर्फ यदि पानी पी रहें हैं तो इसे ताम्बे के बर्तन में रखें इससे इसे गर्म नहीं करना पड़ेगा, इसमें गर्म पानी के सभी गुण आ जायेंगे। घड़े के पानी को भी गर्म करना चाहिए। 18 वर्ष से ज्यादा और 60 वर्ष से काम आयु के लोगों को 1.5 से 2 गिलास पानी पीना चाहिए और अन्य को 1.25 लीटर यानि 3 गिलास पानी पीना चाहिए। यह पानी की वह मात्रा है जो आप बिना प्यास के भी पी सकते हैं। 


         व्यायम के कुछ  समय बाद  पियें पानी -                                                                      


अधिक शारीरिक श्रम और व्यायाम के तुरंत बाद भी पानी न पिएं क्योंकि उस समय शरीर के अंदर गर्मी पैदा हुई होती है। अतः व्यायाम के कुछ समय बाद ही पानी पियें  । व्यायाम के बाद पानी पीना बहुत जरूरी है। शरीर को हाइड्रेट करने के लिए पानी की सही मात्रा बहुत जरूरी है। व्यायाम के दौरान निकलने वाले पसीने की कमी को पूरा करने के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा पीने की जरूरत है। 

          हमेशा शरीर के तापमान के अनुसार  पियें  पानी -                                                


पानी हमेशा शरीर के तापमान के अनुसार पीना चाहिए यानी की न ज्यादा गर्म और न ही ठंड क्योंकि ज्यादा ठंडा पानी पीने से पेट को अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है और अंगों को कार्यशीलता जैसे दिमाग ,ह्रदय आदि के कार्य पर असर होता है। ठंडा पानी कभी नहीं पियें। यह गर्म/ गुनगुना या शरीर के तापमान के अनुसार होना चाहिए। ठंडा पानी पीने से शरीर के कुछ अंगों में रक्त नहीं पहुँचता है। कुछ समय के बाद यह कमजोरी और कई प्रकार की बिमारियों का कारण बनता है जैसे की हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, ब्रेन हेमरेज आदि। अधिकतर बार ठंडा पानी पीना कब्ज का मुख्य कारण होता है। इससे बड़ी आंत सिकुड़ती है जो कि अनेक जटिलताएं पैदा करती है। यह बात अन्य ठंडे खाद्य पदार्थों पर भी लागू होती है।

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