Flatulence (Gas): Learn When it Becomes a Medical Condition (वात प्रकोप/गैस बनना/गैस बढना:- क्या आप जानते हैं कि गैस भी हृदय रोग का कारण बन सकती है)


       Flatulence (Gas): Learn When it Becomes a Medical Condition    


पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी ,  कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। लंबे समय तक अधोवायु को रोके रखने से बवासीर भी हो सकती है। आयुर्वेद कहता है कि आगे जाकर इससे नपुंसकता और महिलाओं में यौन रोग होने की भी आशंका हो सकती है। पेट में गैस या वायु की बीमारी पेट की मंदाग्नि (पाचनशक्ति की कमजोरी या अपच) के कारण होती है। शरीर में रोग तीन भागों से होते हैं। पहला- शाखा, दूसरा-मर्म, अस्थि और संधि तथा तीसरा- कोष्ठ (आमाशय)। वायु या गैस की बीमारी कोष्ठ से पैदा होती है। जब वायु (गैस) कोष्ठ में चलती है, तो मल-मूत्र का अवरोध, हृदय (दिल की बीमारी) रोग, गुल्म (वायु का गोला) और बवासीर आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

       गैस बनने के कारण :-                                                                     

मनुष्य सेवन किया गया भोजन हजम नहीं कर पाता है तो उसका कुछ भाग शरीर के भीतर सड़ने लगता है। इस सड़न से गैस पैदा होती है। गैस बनने के अन्य कारण भी होते हैं, जैसे- ज्यादा व्यायाम करना, ज्यादा मैथुन करना, अधिक देर तक पढ़ना-लिखना, कूदना, तैरना, रात में जागना, बहुत परिश्रम करना, कटु, कषैला तथा तीखा भोजन खाना , लालमिर्च, इमली, अमचूर, प्याज, शराब, चाय, कॉफी, उड़द, मटर, कचालू, सूखी मछली, मैदे तथा बेसन की तली हुई चीजें, मावा, सूखे शाक व फल, मसूर, अरहर, मटर, लोबिया आदि की दालें खाने से भी पेट में गैस बन जाती है।
इसके अतिरिक्त मूत्र (पेशाब), मल, वमन (उल्टी), छींक, डकार, आंसू, भूख, प्यास आदि को रोकने से भी गैस बनती है। आमाशय में वायु के बढ़ने से हृदय (दिल), नाभि, पेट के बाएं भाग तथा हाथ-पैरों में दर्द होने से गैस बन जाती है।



       गैस बनने के लक्षण:-                                                                                      


रोगी की भूख कम हो जाती है। छाती और पेट में दर्द होने लगता है, बेचैनी बढ़ जाती है, मुंह और मल-द्वार से आवाज के साथ वायु निकलती रहती है। इससे गले तथा हृदय के आस-पास भी दर्द होने लगता है। सुस्ती, ऊंघना, बेहोशी, सिर में दर्द, आंतों में सूजन, नाभि में दर्द, कब्ज, सांस लेने में परेशानी, हृदय (दिल की बीमारी), जकड़न, पित्त का बढ़ जाना, पेट का फूलना, घबराहट, सुस्ती, थकावट, सिर में दर्द, कलेजे में दर्द और चक्कर आदि लक्षण होने लगते हैं। 




       किससे बनती है गैस:-                                                                        



शराब पीने से, मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से, बींस, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से। खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से क्योंकि कोल्ड ड्रिंक में गैसीय तत्व होते हैं जो पेट में गैस उत्पन्न करते हैं | तला या बासी खाना खाने से, टेंशन रखना में रहने से , देर से सोना और सुबह देर से जागना। खाने-पीने का टाइम फिक्स्ड न होना आदि से आपको गैस की समस्या हो सकती है|



       अन्य वजहें जिनके कारण गैस बनती है:-                                                          

  ïलीवर में सूजन|
ï  गॉल ब्लेडर में स्टोन
 ï फैटी लीवर, अल्सर या मोटापे से। 
 ï डायबीटीज से
  ïअस्थमा या बच्चों के पेट में कीड़ों की वजह से। 
 ï अक्सर पेनकिलर खाने से। 

ï  कब्ज, अतिसार, खाना न पचने व उलटी की वजह से।

       गैस होने पर भोजन तथा परहेज :-                                                                 


साग-सब्जी, फल और रेशेवाले खाद्य पदार्थो का सेवन करें। आटे की रोटी में चोकर मिलाकर खाएं। मूंग की दाल की खिचड़ी, मट्ठे के साथ और लौकी (घिया), तोरई, टिण्डे, पालक, मेथी आदि की सब्जी का, दही व मट्ठे का प्रयोग हितकर है। क्रोध (गुस्सा), ईर्ष्या (जलन) और प्यास के वेग को रोकना नहीं चाहिए। जैसे क्रोध आने पर ईश्वर के नाम का जाप करें। शारीरिक व्यायाम और पेट सम्बंधी योगासन करें। चावल, अरबी, फूल गोभी और अन्य वायु पैदा करने वाले पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए। मिर्च, मसाले, भारी भोजन, मांस, मछली, अण्डे आदि का सेवन न करें।


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