Benefits of Surya Namaskar: How It Transforms Your whole System (योगासनों में सर्वश्रेष्ठ सूर्य नमस्कार ,जानिए सूर्य नमस्कार के लाभ)
Surya Namaskar: How It Transforms
Your whole System
योगासनों में सर्वश्रेष्ठ सूर्य नमस्कार,जानिए सूर्य नमस्कार के लाभ
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सूर्य नमस्कार एक संपूर्ण एक्सर्साइज है। इसे करने से बॉडी के सभी हिस्सों की एक्सर्साइज हो जाती है। साथ ही फ्लेक्सिबिलिटी भी आती है। सूर्य नमस्कार सुबह के समय खुले में उगते सूरज की ओर मुंह करके करना चाहिए। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और विटामिन डी मिलता है। इससे मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है। वजन और मोटापा घटाने में भी सूर्य नमस्कार लाभकारी है।
सूर्य की उंगली का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य नमस्कार करने से आंखो की रोशनी बढती है, खून का प्रवाह तेज होता है, ब्लड प्रेशर में आरामदायक होता है,सूर्य नमस्कार करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके कुल 10 आसन होते हैं जिन्हें सुबह सूर्य की रोशनी में करना होता है। इन आसनों का अभ्यास साफ-स्वच्छ व हवादार स्थान पर करें तथा जहां भरपूर मात्रा में धूप आपके शरीर पर पड़ सके, वहां इसका अभ्यास करना चाहिए।
इसे भी पढ़ें [ Benefits of Sun Salutation : How It Transforms Your Body(सूर्य नमस्कार:शरीर के अंग-प्रत्यंग को बलिष्ठ एवं निरोग बनाना हो तो नित्य करें सूर्य नमस्कार)
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रक्त की शुद्धि होती है सूर्य नमस्कार के
अभ्यास से –
इस नमस्कार आसन के द्वारा
सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा को शरीर के बाहरी व भीतरी अंगों में प्रवाहित किया जाता
है। जिस तरह प्रकाश से अन्धकार दूर होता है, उसी तरह इस आसन के अभ्यास में सूर्य से निकलने
वाली रोशनी (धूप) शरीर पर पड़ने से खून साफ और शरीर स्वस्थ होता है।
मन की एकाग्रता बढ़े-
योगा करने से आपका शरीर
पूरी तरह से फ्री हो जाता है। इसको करने से वात, पित्त और कफ दोष शांत हो जाते हैं। इससे शरीर
स्ट्रेस से दूर अध्यात्म की ओर चला जाता है।
लचीलापन आता है-
सूर्य नमस्कार करने से
शरीर में अकड़न कम हो जाती है और शरीर में लचक पैदा होने लगती है। यह एक बहुत ही
अच्छा व्यायाम है।
अंगों व नाड़ी तंत्रों का सही रूप से संचालन
होता है-
शरीर
में कार्यशील रूप से सूर्य की रोशनी प्रवाहित करने के लिए योगासनों की सहायता ली जाती है। योगासनों के द्वारा शरीर के समस्त भागों पर दवाव
पड़ता है, जिससे शरीर में मौजूद करोड़ों नसों-नाड़ियों का
खिंचाव होता है और वे स्वस्थ रहते हैं। इससे सभी
अंगों व नाड़ी तंत्रों का सही रूप से संचालन होता है। सूर्य नमस्कार आसन शरीर पर इस
प्रकार कार्य करता है कि सूर्य से मिलने वाली किरण और ऊर्जा शरीर के अंदर पहुंच
जाती है। इस आसन से खून में गति आती है। इस आसन के साथ सूर्य का आह्वान के साथ करने से लाभ और भी बढ़ जाते हैं।
खूबसूरत त्वचा बनाए-
इसे नियमित रूप से करने
पर शरीर में खून का दौरा तेज होने के साथ पेट भी सही रहता है। साथ ही चेहरे से
झुर्रियां मिट जाती हैं।
तनाव दूर होता है-
सूर्य नमस्कार करते वक्त
लंबी सांस भरनी चाहिये, जिससे
शरीर रिलैक्स हो जाता है। इसे करने से बेचैनी और तनाव दूर होता है तथा दिमाग शांत
होता है।
सूर्य नमस्कार के साथ प्राणायाम करने से होते
हैं कई लाभ –
सूर्य
नमस्कार को प्राणायाम के साथ करने से इससे प्राप्त होने वाला लाभ बढ़ जाता है
क्योंकि प्राणायाम को करने से ही मनुष्य की प्राणशक्ति बढ़ जाती है और शरीर में
स्फूर्ति आ जाती है। इससे चेहरे पर चमक और निखार आता है। प्राणायाम के द्वारा फेफड़े के 18 करोड़ कोठरियों में ऑक्सीजन
(प्राणवायु) पहुंचती है। जिससे शरीर स्वस्थ और सुदृढ़ बनता है और हानिकारक वायु
बाहर निकलती है। शरीर में होने वाली इस क्रिया से फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं और
हानिकारक तत्वों से भी बचाव होता है। इन आसनों के साथ सूर्य से प्राप्त रोशनी से
पाचनक्रिया मजबूत होती है, जिससे खुलकर भूख लगती है, कब्ज दूर होती है और शौच खुलकर आता है। प्राणायाम का प्रभाव केवल बाहरी
शरीर पर नहीं पड़ता बल्कि आंतरिक शरीर पर भी पड़ता है। इसका प्रभाव नाभि में उपस्थित
कुण्डलिनी (ऊर्जा) शक्ति, सशक्त ग्रंथियों और चक्रों पर
पड़ता है। इससे आध्यात्मिक व अलौकिक शक्ति का भी विकास होता है। मन, आत्मा की शुद्धि और बुद्धि के विकास के लिए प्राणायाम के साथ सूर्य
नमस्कार को एक अच्छा साधन बताया गया है। इन सभी गुणों से युक्त सभी प्राणायाम को
सूर्य नमस्कार में मिलाकर सूर्य से प्राप्त ऊर्जा के गुणों को अत्याधिक लाभदायक
बना दिया है।
हड्डियां बनाए मजबूत-
सूरज के सामने सूर्य नमस्कार
करने से शरीर में विटामिन डी जाता है, जिससे खूब सारा कैल्शियम हड्डियों दृारा सोख
लिया जाता है।खुले
वातावरण में सूर्य नमस्कार करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन डी मिलता है
जिससे हड्डियों में ताकत आती है।
पीरियड्स रेगुलर करे-
कई महिलाओं में अनियमित
पीरियड्स होते हैं जो कि सूर्य नमस्कार को नियमित रूप से करने से ठीक हो जाता है।
यह हार्मोन को भी बैलेंस करता है।
शरीर के सम्पूर्ण कायाकल्प में सहायक है सूर्य
नमस्कार -
वैज्ञानिकों ने सूर्य की
किरणों का विश्लेषण करके देखा है कि सूर्य की रोशनी मानव शरीर पर गहराई
तक पहुंचने की क्षमता रखती है। इसलिए सूर्य नमस्कार सुबह के समय करने से
उसकी रोशनी शरीर में अंदर तक पहुंचकर समस्त तन्तुओं और कोषों को मजबूत बनाती है और
खून में लाल व सफेद कणों की संख्या को बढ़ाती है। लाल व सफेद रक्तकण कीटाणुओं को
खत्म करने और उनसे उत्पन्न होने वाले रोगों से शरीर का बचाव करते हैं। इससे
शारीरिक शक्ति की वृद्धि होती है। सूर्य किरणों का प्रभाव स्नायु जाल पर पड़ता है, जिससे शरीर में नया जोश पैदा होता है और शरीर में स्फूर्ति, मन प्रसन्न और मस्तिष्क व बुद्धि का विकास होता है।
ब्लड सर्कुलेशन बढाए-
सूर्य नमस्कार करते वक्त
आप अपने शरीर के हर हिस्से का प्रयोग करते हैं जिससे आपके शरीर में खून का दौरा
तेज हो जाता है। ऐसा होने पर शरीर में पूरे दिन एनर्जी भरी रहती है।
पाचन क्रिया में सुधार-
सूर्य नमस्कार करने से
पाचन क्रिया में सुधार होता है। इससे खाना पचाने वाला रस ज्यादा मात्रा में
निकलता है और पेट में छुपी गैस बाहर निकल जाती है, जिससे पेट हमेशा हल्का बना रहता है।
विटामिन डी की कमी को दूर करता है -
सूर्य नमस्कार की क्रिया
सूर्योदय के समय की जाती है तब सूर्य की किरणें भोजन से फास्फोरस और कैल्शियम निकालने
में सहायक होती हैं। जब सूर्य की रोशनी शरीर पर पड़ती है, तो खून की गति बढ़ जाती है और खून गर्म हो जाता है, जिससे खून में ´अर्गोसटेरोल´ नामक पदार्थ सूर्य की किरणों के साथ मिलने से विटामिन ´डी´ में बदल जाता है। विटामिन ´डी´ आंतों में अम्ल व क्षार की सामान्य मात्रा
को बनाएं रखने में सहायक होता है। सूर्य के द्वारा घटित इन क्रियाओं के द्वारा
फास्फोंरस और कैल्शियम की प्राप्ति होती है।
अनिंद्रा दूर होती है-
लोगों में अनिंद्रा की
समस्या आम हो गई है तो ऐसे मे सूर्य नमस्कार जरुर करना चाहिये। इस अभ्यास के
द्वारा हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाड़ियाँ क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं।इससे शरीर रिलैक्स हो जाता है, जिससे रात को अच्छी नींद आती है।
शारीरिक मुद्रा में सुधार-
कई लोग झुक कर चलते व
बैठते हैं, जिससे
उनके शरीर की पूरी बनावट खराब दिखती है। लेनिक सूर्य नमस्कार करने से अंदर से
शारीरिक सुधार होने लगता है। इससे शरीर का सारा दर्द भी खतम हो जाता है।
पाचनक्रिया को शक्तिशाली बनाने में सूर्य ऊर्जा
अत्यंत आवश्यक-
जो व्यक्ति हमेशा ठंडे मे
रहता है या जिसके शरीर पर धूप नहीं पड़ती उसके शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है
और उसकी हड्डियां और दांत कमजोर हो जाते हैं। इस तरह सूर्य से प्राप्त धूप (रोशनी)
न मिलने पर पाचनशक्ति भी खराब रहती है और धीरे-धीरे शरीर में रोग उत्पन्न होने
लगते हैं। ऐसे स्थान जहां सूर्य अधिक समय पर निकलता है, उस स्थान पर लोगों की स्थिति
ऐसी हो जाती है कि उन्हें खुलकर भूख नहीं लगती और धीरे-धीरे उनकी पाचनशक्ति खराब
हो जाती है। इसलिए पाचनक्रिया को शक्तिशाली बनाने के लिए सूर्य से प्राप्त ऊर्जा
की अत्यंत आवश्यकता होती है। जो हमें सूर्य नमस्कार से प्राप्त हो जाती है |
वजन कम होता है-
सूर्य नमस्कार करने से
शरीर के हर भाग पर जोर पड़ता है, जिससे वहां की चर्बी धीरे धीरे गलने लगती है। अगर आप मोटे हैं तो सूर्य
नमस्कार रोज करें।
सूर्य नमस्कार के आवश्यक नियम-
ïइसका आविष्कार सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए किया गया है। इसलिए इस व्यायाम का अभ्यास सूर्य निकलते समय ही करें।
ïअभ्यास के लिए ऐसा स्थान चुनें जहां पर सूर्य की रोशनी पूरे शरीर पर पड़े।
ïसुबह सूर्य निकलने से 3 घंटे बाद तक सूर्य स्नान (सनबाथ) कर सकते हैं। क्योंकि सुबह सूर्य से निकलने वाली किरणों में अत्यंत लाभकारी गुण होते हैं। सूर्योदय के 3 घंटे के अंदर ही इस व्यायाम को करें तथा 3 घंटे के बाद सूर्य-स्नान (सनबाथ) नहीं करना चाहिए।
ïसूर्य स्नान (सनबाथ) करने के लिए उचित स्थान पर बैठे जहां सूर्य की भरपूर रोशनी हो।
ïअभ्यास वाला स्थान स्वच्छ-साफ व हवादार होना चाहिए।
ïके समय कम से कम कपड़े पहने ताकि पूरे शरीर पर धूप (रोशनी) पड़ सकें।
ïइस व्यायाम को खाली पेट करना चाहिए।
ïअभ्यास के लिए स्थान पर बैठकर मुंह को जिस ओर से सूर्य निकलता है अर्थात पूर्व की ओर करके रखें।
ïइस क्रिया को साधारण रूप में या मन को स्थिर करने के लिए किसी देवता आदि के फोटो को सामने रखकर भी अभ्यास कर सकते हैं। इस व्यायाम में मन को गतिशील और इधर-उधर न भटकने दें।
ïहमेशा नाक से सांस लेना चाहिए और मुंह को बंद करके रखना चाहिए।
ïसूर्य नमस्कार का अभ्यास पहले थोड़ी देर तक करें और धीरे-धीरे ही इसके अभ्यास के समय को बढ़ाना चाहिए। इससे व्यक्ति की भावना जागृत होती है और इसके द्वारा आटोसजैशन क्रिया संचालित हो जाएगी। इससे इच्छा शक्ति बढ़ती है। इसके द्वारा अत्यंत लाभ प्राप्त होता है।
ïसूर्य नमस्कार आसन को नियमित करना चाहिए।
ï8 वर्ष से कम आयु के बच्चे को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। परंतु 8 से 12 वर्ष की आयु वाले को 24 से 40 बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए और 12 से 16 वर्ष के व्यक्ति को 40 से 100 बार अभ्यास करना चाहिए। इससे अधिक आयु के व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए। इसके अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 300 बार तक किया जा सकता है।
ïसूर्य नमस्कार में खान-पान का ध्यान रखना आवश्यक है। अभ्यास के क्रम में चाय, सिगरेट, शराब आदि पदार्थों का सेवन न करें। इससे शारीरिक हानि होती है। इसके साथ खान-पान का ध्यान अवश्य करना चाहिए।
ïयह आसन स्त्रियों के लिए भी लाभकारी है। स्त्री केवल मासिकधर्म आने के 6 दिन तक और गर्भावस्था के आखिरी 4 महीनों में इसका अभ्यास बंद कर के हमेशा इसका अभ्यास कर सकती हैं।
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