Thyroid Disease Symptoms, Causes, Treatment & Cure(जानिये शरीर को कैसे प्रभावित करती हैं थायराइड समस्यायें)
जानिये शरीर को कैसे प्रभावित करती हैं
थायराइड समस्यायें
Thyroid Disease Symptoms, Causes, Treatment & Cure
Thyroid Disease Symptoms, Causes, Treatment & Cure
हमारी जीवनशैली में आ रहा परिवर्तन हमारे शरीर में रोज नयी समस्याएं उत्पन्न कर रहा हैं I ऐसी ही अनेकों समस्याओं में से एक है थाइरोइड की बीमारी I वैसे तो यह बीमारी पुरानी है, लेकिन पांच साल में यह समस्या ज्यादा बढ़ गयी है । फिलहाल इसके मूल कारणों का पता नहीं चल पाया है। फिर भी बदल रही जीवन शैली व खाद्य पदार्थों में मिलावट को कारण बताया जा रहा है। अतः वर्तमान में यह समस्या आम हो गयी है I थायराइड की समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को कई गुना अधिक हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। यह समस्या थाइरोइड ग्रंथि में होने वाले असंतुलन के फलस्वरूप उत्पन्न होती है |
थायराइड ग्रंथि मानव शरीर में गले में श्वास नाली के समीप पाई जाने वाली एक ऐसी ग्रंथि है जो थायाराक्सिन नामक हार्मोन का स्राव करती है, वही हार्मोन हमारे शरीर में होने वाली अधिकाधिक जैव रासायनिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है | यह हार्मोन मानव शरीर में होने वाली लगभग सभी क्रियाओं को प्रभावित करता है | थायराइड की समस्या थायरॉक्सिन हार्मोन के असंतुलन के कारण होती है। इस हार्मोन की वजह से पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिसमें ऊर्जा में कमी, चिड़चिड़ापन, वजन असंतुलन, रक्तचाप आदि लक्षण शामिल हैं। थायराक्सिन शरीर के वजन, नींद, उत्साह, भूख, प्यास, ऊर्जा इत्यादि को नियंत्रित व संतुलित करता है |
थायरायड ग्रंथि
के कार्य:-
v शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करती है।
vबच्चों के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान होता है।
vयह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में मदद करता है।
vइसके द्वारा शरीर के टम्परेचर को नियंत्रण किया जाता है।
vकोलेस्ट्रॉल लेवल का नियंत्रित करना
vप्रजनन और स्तनपान
vमांसपेशियों के विकास को बढ़ावा देता है
थाइराइड रोग होने का
कारण:-
v यह रोग अधिकतर शरीर में आयोडीन की कमी के कारण होता
है।
v यह रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जो अधिकतर पका
हुआ भोजन करते हैं तथा प्राकृतिक भोजन बिल्कुल नहीं करते हैं। प्राकृतिक भोजन करने
से शरीर में आवश्यकतानुसार आयोडीन मिल जाता है लेकिन पका हुआ खाने में आयोडीन नष्ट
हो जाता है।
v मानसिक, भावनात्मक तनाव, गलत तरीके से
खान-पान तथा दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
थाइरोइड की बीमारी के प्रकार-
जब थायराइड
ग्रन्थि ठीक से कार्य नहीं करती है तो हमारे रक्त में थायराक्सिन नामक हार्मोन का
स्तर ज्यादा या कम होने लगता है | थायरोक्सिन के कम या ज्यादा होने से निम्न समस्याएं
उत्पन्न हो जाती हैं इनका विवरण नीचे दिया गया है -
1- हाइपरथाइरोडिज्म (HYPERTHYROIDISM)-
जब थाइरोइड ग्रंथि
बहुत अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है तो शरीर, उर्जा का उपयोग मात्रा से अधिक करने लगता है। इसे हाइपर थाइराडिज़्म कहते
हैं। यह रोग अधिकतर स्त्रियों में होता है। इस रोग का एक मुख्य लक्षण
गलगण्ड या बढ़ी हुई थायरॉयड होता है। इसमें थायरॉयड ग्रंथि अपने वास्तविक आकार से
दो तिहाई बढ़ जाती है।
इस रोग में आंखों के पिछले भाग में शोथ (सूजन) हो
जाती है जिससे आंखें बाहर की ओर आ जाती हैं। इसे नेत्रोत्सेध कहते हैं। मेटाबोलिस्म दर असामान्य रूप से ऊंची हो जाती है । इस उच्च
चयापचयी दर के विभिन्न प्रभाव पड़ते हैं। जिसमें नाड़ी की गति तेज होना, शरीर में उच्च रक्तचाप (हाई
ब्लडप्रेशर) होना, असहनीय ताप होना (शरीर में गर्मी बढ़ जाना)
तथा त्वचा पर लालिमा धब्बे होना आदि रोग उत्पन्न होता है। इसमें व्यक्ति का
शारीरिक वजन कम होने लगता है तथा स्नायविक ऊर्जा अधिक हो जाती है, जिससे व्यक्ति में उत्तेजना उत्पन्न होती है और उसके हाथों में कंपन
उत्पन्न होता है |
इसे भी पढ़े èFoods To Avoid If You Have Hyper-thyroidism (हाइपर-थाइरॉइडिस्म कि समस्या है तो भूल कर भी ना ले यह आहार )
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हाइपरथाइरोडिज्म के
लक्षण:-
Æ रोगी
का वजन कम होने लगता है |
Æ भूख नहीं लगती है |
Æ अंगुलियों
में अधिक कंपकपी होने लगती है |
Æ शरीर
में अधिक कमजोरी होने लगती है |
Æ शरीर
से अधिक पसीना आने लगता है |
Æ गर्मी
सहन नहीं होती है |
Æ घबराहट
होने लगती है।
Æ पेशाब
बार-बार आने लगता है |
Æ रोगी के बाल भी झड़ने लगते हैं |
Æ याददाश्त
कमजोर होने लगती है |
Æ उच्च
रक्तचाप का रोग हो जाता है |
Æ मासिकधर्म
में गड़बड़ी होने लगती है।
2- हाइपोथायाराइडिज्म –(HYPOTHYROIDISM)-
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की थाइराइड ग्रन्थि द्वारा थायरोक्सिन हार्मोन का स्राव कम होने लगता है | इसको हाइपो-थाइरोइड कहते हैं | थायरॉयड के हार्मोन्स का अल्पस्राव भ्रूण अवस्था(Embryo Stage),एवं युवावस्था(Teenage) के दौरान होता है। इससे
शिशु में बौनापन की समस्या हो जाती है | हाइपोथायरायडिज्म मनुष्य में होने वाले
रोग की वह अवस्था या रोग है जो थायरायड ग्रंथि से थायरायड
हॉर्मोन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण होता है। हाइपोथायरायडिज्म आयोडीन की कमी से
या प्रसव पश्चात थायरोडिटिस के परिणामस्वरूप भी हो सकता है, यह
एक ऐसी स्थिति है जो लगभग महिलाओं को बच्चे के जन्म देने के बाद एक वर्ष के भीतर
प्रभावित करती है। कभी-कभी हाइपोथायरायडिज्म आनुवंशिक भी होता है और कभी कभी यह
गुणसूत्र पर अप्रभावी लक्षण के रूप में भी पाया जाता है।
हाइपोथायाराइडिज्म के लक्षण:-
Æ रोगी
को सिरदर्द की समस्या प्रारंभ हो जाती है |
Æ व्यक्ति
की नब्ज की गति धीमी हो जाती है |
Æ दिन-भर
आलस्य का अनुभव बना रहता है |
Æ अधिक
नींद का आना शुरू हो जाती है |
Æ रोगी
व्यक्ति का वजन दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगता है |
Æ गर्दन
का दर्द होने लगता है |
Æ बच्चों
में ऊँचाई की जगह चौड़ाई बढ़ने लगती है |
Æ रोगी
के पेट में कब्ज बनने लगती है |
Æ इसके
अलावा रोगी की कमर में दर्द प्रारंभ हो जाता है |
Æ दिन
भर थकान बनी रहती है |
Æ बाल
एवं त्वचा रुखे-सूखे हो जाते हैं।
Æ भूख
कम हो जाती है |
Æ रोगी ठंड का अधिक अनुभव |
Æ चेहरे
पर सूजन आ जाती है |
Æ जोड़ों
में अकड़न होना चालू हो जाती है |
Æ चेहरे
और आँखों पर सूजन आ जाती
है |
3- घेँघा (गलगंड)-(GOITRE)
गलगंड यानी घेंघा रोग के कारण थाइराइड ग्रन्थि में सूजन आजाती है तथा यह सूजन गले पर हो जाती है। इसमें रोगी का गला में होने वाली सूजन
देखने में कापी डरवानी लगती है लेकिन यह जानलेवा नहीं होता है। यह स्थिति थायराइड
ग्रंथि से जुड़ी होती है। जब थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है तो उसे गलगंड के
नाम से जाना जाता है। गलगंड होने पर दर्द नहीं होता है लेकिन कफ और सूजन के कारण
सांस लेने में समस्या हो सकती है।
घेघा (गलगंड) रोग
होने के लक्षण:-
Æ इस रोग से पीड़ित रोगी की एकाग्रता
शक्ति (सोचने की शक्ति) कमजोर हो जाती है।
Æ धीरे-धीरे वजन भी कम होने लगता है।
Æ रोगी को आलस्य आने लगता है तथा
उसे उदासी भी हो जाती है।
Æ किसी
भी कार्य को करने में रोगी का मन नहीं करता है।
Æ रोगी व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है, मानसिक संतुलन खो जाता है |
Æ धीरे-धीरे
शरीर के भीतरी भागों में रुकावट आने लगती है।
थाइराइड रोगों का
प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
इनका खाद्य
पदार्थों का सेवन करें-
v थाइराइड रोगों का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (नारियल पानी, पत्तागोभी, अनन्नास, संतरा, सेब, गाजर, चुकन्दर, तथा अंगूर का रस) पीना चाहिए तथा इसके बाद 3 दिन तक फल तथा तिल को दूध में डालकर पीना चाहिए। इसके बाद रोगी को सामान्य भोजन करना चाहिए जिसमें हरी सब्जियां, फल तथा सलाद और अंकुरित दाल अधिक मात्रा में हो। इस प्रकार से कुछ दिनों तक उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
v इस रोग से पीड़ित रोगी
को कम से कम 1 वर्ष तक फल, सलाद, तथा अंकुरित भोजन का सेवन करना चाहिए। सिंघाड़ा, मखाना
तथा कमलगट्टे का सेवन करना भी लाभदायक होता है।
हफ्ते में दो दिन उपवास रखना चाहिए-
घेंघा रोग को ठीक करने के लिए रोगी को 2 दिन के लिए उपवास रखना चाहिए और उपवास के समय में केवल फलों का रस पीना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके पेट को साफ करना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
इन खाद्य पदार्थों से परहेज-
थाइराइड रोगों से पीड़ित रोगी को तली-भुनी चीजें,स्ट्रॉबेरी ,ब्रोकली सोयाबीन पीच शलगम बंदगोभी मैदा, चीनी, चाय, कॉफी, शराब, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
पालक के
रस में शहद मिलाकर सेवन करें-
1 कप पालक के रस में 1 बड़ा चम्मच शहद मिलाकर फिर चुटकी भर जीरे का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन
रात के समय में सोने से पहले सेवन करने से थाइराइड रोग ठीक हो जाता है।
गांठों पर भापस्नान दे-
कंठ के पास गांठों पर भापस्नान देकर दिन में 3 बार मिट्टी की पट्टी बांधनी चाहिए और रात के समय में गांठों पर हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए।
आयोडीन की अधिक मात्रा पयोग करें
-
इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को
उन चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करना चाहिए जिसमें आयोडीन की अधिक मात्रा हो।
धनिये का उपचार करें-
1 गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रात के समय में भिगोकर रख दें तथा सुबह के समय में इसे मसलकर उबाल लें। फिर जब पानी चौथाई भाग रह जाये तो खाली पेट इसे पी लें तथा गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से थाइराइड रोग ठीक हो जाता है।
एनिमा क्रिया एवं कटिस्नान करें-
थाइराइड रोगों को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को
अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने
पेट को साफ करना चाहिए और इसके बाद कटिस्नान करना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो
जाता है।
अधिक से अधिक आराम करना चाहिए-
इस रोग से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए ताकि थकावट न आ सके और रोगी व्यक्ति को पूरी नींद लेनी चाहिए। मानसिक, शारीरिक परेशानी तथा भावनात्मक तनाव यदि रोगी व्यक्ति को है तो उसे दूर करना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।
यौगिक क्रियाएं तथा योगासन करें -
योगमुद्रासन, प्राणायाम, योगनिद्रा, शवासन, पवनमुक्तासन, सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन आदि।