Anemia: Causes, Types, Symptoms, Diet, and Treatment(एनीमिया रोग : एनीमिया को हल्के में लेना कहीं आपके लिए घातक साबित न हो जाए )
एनीमिया को हल्के में लेना कहीं आपके लिए घातक साबित
न हो जाए
ANEMIA: CAUSES, TYPES, SYMPTOMS, DIET, AND
TREATMENT
हमारे शरीर में खून की कमी होना वैसे तो एक आम
समस्या मानी जाती है लेकिन यह आपके शरीर की ही नहीं, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को भी नुकसान
पहुंचा सकती है। खून की कमी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखी जाती है। हमारे
शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और ऑक्सीजन को
शरीर के विभिन्न भागों में लाल रक्त कणिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन की सहायता से
पहुंचाया जाता है पहुंचाया जाता है। शरीर में आयरन की कमी से लाल रक्त
कणिकाओं और हीमोग्लोबिन का निर्माण प्रभावित होता है ।
जब हमारे खून में लाल रक्त कणिकाओं की कमी हो
जाती है तो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन एक तरह का
प्रोटीन होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन के संचरण का काम करता है। अतः हीमोग्लोबिन
की कमी से हमारी कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जो कार्बोहाइड्रेट और वसा को जला कर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए
जरूरी है। अतः इस कारण हमारे शरीर और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इसकी
कमी से एनीमिया नाम का रोग हो जाता है। एनीमिया मुख्य रूप से तीन तरह का होता है |
è
खून की कमी से होने वाला एनीमिया ।
è
हेमोलाइसिस एनीमिया ।
è
लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में कमी के कारण होने वाला एनीमिया ।
हमारे शरीर में खून का स्तर-
हीमोग्लोबिन का
स्तर पुरुष और महिलाओं में अलग-अलग होता है. महिलाओं और पुरुषों में हीमोग्लोबिन
का आदर्श स्तर 12 ग्राम
प्रति डेसीलीटर (डीएल या 0.1 लीटर) से 18 ग्राम प्रति डीएल होता है. लेकिन यदि पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12
ग्राम प्रति डेसीलीटर हो तो एनीमिया होने की आशंका ज़्यादा होती है
जबकि औरतों में इतना ही हीमोग्लोबिन सामान्य होता है. ख़ून में हीमोग्लोबिन की सही
मात्रा बहुत ज़रूरी होती है और हीमोग्लोबिन में रेड-ब्लड सेल्स का निर्माण और
कार्यशैली भी प्रभावित होने से एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है |
एनीमिया की विभिन्न स्थितियां -
!यदि व्यक्ति के शरीर में
हीमोग्लोबिन का स्तर 10-12 ग्राम प्रति डीएल(gm/dl) हो तो
ऐसी स्थिति माइल्ड एनीमिया कहलाती है |
!यदि
हीमोग्लोबिन की मात्रा 6 से 10 ग्राम प्रति डीएल(gm/dl)
हो तो व्यक्ति को मॉडरेट
एनीमिया होता है |
!6 ग्राम प्रति डीएल(gm/dl) से कम हुआ हीमोग्लोबिन,
तो सीवीयर यानी ख़तरनाक एनीमिया की स्थिति पैदा कर देता है |
मानव शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा-
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के अनुसार विभिन्न आयुवर्ग के लोगों में हीमोग्लोबिन की ग्राम/ डीएल (डेसीलीटर) की इससे कम मात्रा एनीमिया की निशानी है-
Æबच्चे (5 माह से 5
वर्ष तक) 11. 0 ग्राम/डीएल
Æबच्चे (5 से12
वर्ष) 11. 5 ग्राम/डीएल
Æकिशोर (12 से15
वर्ष) 12 ग्राम/डीएल
Æमहिलाएं (15 वर्ष से
अधिक) 12 ग्राम/डीएल
Æमहिलाएं (गर्भवती) 11. 0 ग्राम/डीएल
Æपुरुष (15 वर्ष से
अधिक) 13 ग्राम/डीएल
विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार-
अगर आपका ब्लड काउंट कम आता है, तो समझिए कि
आप एनीमिया की शिकार हैं। तो आपको इसे बनाए रखना है। आयरन को खासतौर पर महिला के
शरीर का सबसे जरूरी तत्व माना जाता है। यह शरीर मी हर कोशिका के निर्माण में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रेडब्लड सेल्स में मौजूद आयरन ऑक्सीजन को सभी
कोशिकाओं में पहुंचाने का काम करता है, जो मांसपेशियों व
शरीर के अंगों के लिए जरूरी है। आयरन प्राकृतिक रूप से शरीर के बोन मैरो और लिवर
में स्टोर होता है। जब शरीर इसकी कमी से ज्यादा कमजोर हो जाता है, तो इमरजेंसी में इन जगहों से शरीर को मदद मिलती है। पर मदद तभी मिलेगी,
जब पूर्णरूप से आयरन शरीर में मौजूद होगा ।
एनीमिया के कारण-
v लौह तत्व की कमी।
v पेट
में इन्फेक्शन के कारण ।
v विटामिन बी 12 की कमी ।
v स्मोकिंग
।
v फोलिक एसिड की कमी
।
v एजिंग
v मां के दूध पिलाने
के कारण ।
v दवाइयों
का साइड इफ़ेक्ट
v बहुत ज्यादा खून
की कमी होने पर ।
एनीमिया के क्या हैं लक्षण-
v दिन-भर सुस्ती आना
।
v सर्दी
के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना।
v अधिक थकावट महसूस
करना |
v पैरों
और हाथों में सूजन आ जाना
v शरीर में कमजोरी
महसूस होना |
v क्रॉनिक
हार्ट बर्न।
v सांस लेने में
परेशानी होना |
v ज्यादा
पसीना आना।
v घबराहट होना
v स्टूल
में खून आना।
एनीमिया की पहचान कैसे
करें-
प्रारंभिक अवस्था में एनीमिया को पहचान
पाना काफी मुश्किल होता है क्योंकि प्रारंभिक अवस्था में इसके शुरुआती
लक्षण बहुत ही सामान्य होते हैं। एनीमिया की पहचान व्यक्ति की मेडिकल
हिस्ट्री, शारीरिक जांच और रक्त
परीक्षण, जिसमें रक्त में लाल रक्त कणिकाओं और हीमोग्लोबिन के स्तर को
मापने के लिए कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) भी शामिल होता है आदि परीक्षणों
द्वारा की जाती है।
एनीमिया हमारे स्वास्थ्य
के लिए कितना खतरनाक है -
एनीमिया एक सामान्य और पूरी तरह ठीक
होने वाली स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन
अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो यह घातक जटिलताएं भी पैदा कर सकता है। जब
लाल रक्त कणिकाओं की संख्या कम हो जाती है, तब पूरे शरीर को अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए
हृदय को ज्यादा रक्त पंप करना पड़ता है। अगर हृदय इतनी मेहनत करेगा तो उसकी धड़कन
बढ़ जाएगी और इससे एक गंभीर अवस्था लेफ्ट वेंट्रीक्युलर हाइपरट्रॉफी (एलवीएच) हो
जाएगी, जिसमें हृदय की मांसपेशियों का आकार बढ़ जाता है। इससे
हार्ट फेल होने या लाल रक्त कणिकाओं के जल्दी नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।
एनीमिया से किन लोगों को अधिक खतरा है –
वैसे तो एनीमिया किसी को कभी भी हो सकता है, लेकिन ऐसे लोग जो गंभीर किडनी रोग, डायबिटीज, हृदय रोग आदि से पीड़ित हैं, उनमें इसकी आशंका अधिक होती है।
एनीमिया
हो तो करें ये उपाय -
यदि आप एनीमिया रोग से पीड़ित तो
शुरुआत में अगर इसका इलाज़ कर लिया तो एनीमिया के खतरे से बचा जा सकता है अतः आप इन
उपायों को अपनाकर एनीमिया के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है |
1) खानपान का खास ख्याल है
जरूरी-
+ संतुलित
भोजन खाएं, जिसमें अंडे, साबुत
अनाज, सूखे मेवे, फल
और हरी पत्तेदार सब्जियां
भरपूर मात्रा में हों।
+ भोजन
में र॓शेदार पदार्थों का अधिक से अधिक मात्रा सेवन |
+ दूध, हरी सब्जी, फल, विटामिन ए व बी, अण्डा, लाल मीट, तुअर
की दाल, राजमा, चावल
व
फाइबरयुक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन कर॓ |
+ तरल
व जल्दी पचने वाले खाद्य पदार्थ का नियमित सेवन करने से एनीमिया से बचाव संभव है ।
+ आजकल
बाजार में लौहतत्व व आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध है। इसमें आयोडीन के साथ
आयरन कम्पाउंड होते हैं जो शरीर में आयोडीन के साथ आयरन की पूर्ति करते हैं।
+लौहासव तथा आयरन वाले कैप्सूलों का प्रयोग सीमित
मात्रा में ही करना चाहिए।
+अगर किसी महिला को मासिकधर्म के दौरान रक्तस्नव अधिक
हो तो तुरंत डॉक्टर को
दिखाएं, क्योंकि इससे शरीर में आयरन के संग्रह में तेजी
से कमी आती है।
+अगर कोई महिला मां बनने वाली है या वह मां बनना चाहती
है तो डॉक्टर की सलाह से आयरन के
सप्लीमेंट जरूर लें।
+समय से पहले जन्मे बच्चों में आयरन की कमी हो जाती
है। ऐसे बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान
दें। एनीमिया का सबसे
प्रमुख कारण आयरन की कमी है, इसलिए आयरन से भरपूर भोजन लें।
आयरन के अच्छे स्रोतों में लाल मांस, साबुत अनाज, ब्रेड, अंडे, सूखे मेवे, हरी पत्तेदार
सब्जियां, मटर, बादाम, खुबानी, फलियां, किशमिश शामिल हैं।
+ गेहूं, चना, मोठ, मूंग को अंकुरित कर नींबू मिलाकर सुबह नाश्ते में
खाएं।
+ मूंगफली
के दाने गुड़ के साथ चबा-चबा कर खाएं।
+ पालक, सरसों, बथुआ, मटर, मेथी, हरा धनिया, पुदीना
तथा टमाटर खाएं।
+ फलों
में पपीता, अंगूर, अमरूद, केला, सेब, चीकू, नींबू
का सेवन करें।
+ अनाज, दालें, मुनक्का, किसमिस, गाजर
तथा पिंड खजूर दूध के साथ लें।
2) योगाभ्यास करें स्वस्थ
रहें -
योग
के अभ्यास से एनीमिया की समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। इस समस्या का
मूल कारण मन तथा भावनाओं का असंतुलन है जो अंत में शरीर को कमजोर एवं रोगी बना
देता है। योग शरीर, मन एवं भावनाओं को स्वस्थ कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य की
रक्षा करता है। इसके लिए कुछ यौगिक क्रियाएं हैं जिनका अभ्यास कर आप एनीमिया की
समस्या में राहत पा सकते हैं।
A) आसन का अभ्यास करे -
एनीमिया
के रोगी में कमजोरी तथा उदासी के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। इसलिए उन्हें
कठिन तथा अधिक मात्र में आसनों के अभ्यास की सलाह नहीं दी जाती है। इस स्थिति में
प्रारम्भ में सूर्य
नमस्कार के
एक या दो चक्र, शवासन ,वज्रासन, पवनमुक्तासन, मर्करासन, तितली आसन, गोमुख आसन, मण्डूक आसन आदि का ही अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करना चाहिए।
जैसे-जैसे स्थिति में सुधार होता जाए, अभ्यास
में धीरे-धीरे सर्वांगासन, पश्चिमोत्तासन ,उत्तानपादासन ,विपरीत-करणी मुद्रा,धनुरासन, वृश्चिकासन ,भुंजगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन जैसे कठिन आसनों को जोड़ा जा सकता है।
B) प्राणायाम
से ऑक्सीजन की मात्र बढ़ाएं-
एनीमिया के रोगी के लिए कपालभाति के साथ नाड़ीशोधन, भ्रामरी प्राणायाम ,अनुलोम विलोम , भस्त्रिका का अभ्यास बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। इसके अभ्यास से शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त पोषण मिलता है। इससे मानसिक शांति तथा एकाग्रता भी प्राप्त होती है।
c) अन्य
उपाय-
+ रोज
सुबह-शाम टहलने जाएं। प्रात:काल नंगे बदन धूप में बैठें। नियमित रूप से सारे शरीर
की मालिश करें। ठंडे पानी से स्नान करें और तौलिये से बदन को इस प्रकार रगड़ें कि
त्वचा हल्की लाल हो जाए।
+ प्रतिदिन
योगनिद्रा एवं ध्यान करें। नींद भी भरपूर और नियंत्रित होकर लें। मानसिक तनाव और
चिंता को विवेक द्वारा दूर करें।
JJJ स्वस्थ रहें खुश रहें JJJ
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