Powerful and 100% Natural Cancer Cures and Alternative Treatments : कैंसर में संजीवनी जैसा काम करतीं हैं ये 10 प्राकृतिक औषधियां |
कैंसर का नाम सुनते ही मन में एक डर सा पैदा हो जाता है । वजह? इस बीमारी का बहुत ही घातक होना । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 33% महिलाओ और 25% पुरुषो को उनके जीवनकाल में कैंसर होने की सम्भावना होती है। कैंसर जैसा घातक रोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हमारे देश में शराब व धूम्रपान की लत की वजह से लोग कैंसर जैसी महामारी के चपेट में बड़ी तेजी से फंसते जा रहे है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक देश के प्रत्येक घर का एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होगा। लेकिन हर व्यक्ति के स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से 40-50% कैंसर से बचाव भी संभव है। मासिक स्वयं जाँच के द्वारा 10-20% कैंसर मामलो का पता लगाया जा सकता है। कैंसर की समय से पहचान और इलाज होने पर इसको पूर्ण रूप से ठीक करना संभव है। और ठीक होने के बाद कोई भी व्यक्ति सामान्य रुप से जिंदगी को जी सकता है।
कैंसर
के लक्षण :
ïमुंह के अंदर छालों का होना, सफ़ेद, लाल या भूरे धब्बो का पाया जाना, मुंह का सिकुड़ना और पूरी तरह से मुंह का न खुलना ।
ïमुंह के अंदर छालों का होना, सफ़ेद, लाल या भूरे धब्बो का पाया जाना, मुंह का सिकुड़ना और पूरी तरह से मुंह का न खुलना ।
ïशौच
या मूत्र की आदतो में बदलाव आना । * कभी न ठीक/न भरने वाला घाव/नासूर आदि का होना।
ïस्तन
में/या शरीर के किसी हिस्से में गांठ व असामान्य उभार। * याददाश्त में कमी, देखने-सुनने में दिक्कत होना , सिर में भारी दर्द
होना ।
ïकमर
या पीठ में लगातार दर्द ।
ïमुंह
खोलने,
चबाने, निगलने या खाना हजम करने में परेशानी
होना।
ïशरीर
के किसी भी तिल/मस्से के आकार व रंग में बदलाव का होना।
ïलगातार
होने वाली खासी व आवाज का बैठ जाना ।
यदि इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण 2 हफ्ते से अधिक समय तक हो तो तुरंत इसकी जाँच किसी अच्छे डाक्टर से कराये की कहीं ये कैंसर तो नही है वैसे इन लक्षणों के अन्य कोई और कारण भी हो सकते है।
कैंसर
रोग होने के कारण :
ïतम्बाकू ,पान मसाला ,खैनी ,सुपारी इत्यादि से कैंसर के होने की सम्भावना बहुत ज्यादा बड़ जाती है।
ïशराब
भी कैंसर को बढ़ावा देती है , अत: इसका बहुत ही कम या
बिलकुल भी सेवन ना करें ।
ïमीट
को हजम करने में ज्यादा एंजाइम और ज्यादा वक्त लगता है। ज्यादा देर तक बिना पचा
खाना पेट में एसिड और दूसरे जहरीले रसायन बनाते हैं, जिनसे
भी कैंसर को बढ़ावा मिलता है।
ïअधिक
तले भुने चर्बी वाले खाद्द्य पदार्थों से भी कैंसर हो सकता है ।
ïमोटपा
,
किसी संक्रमणों ,जैसे एच.आई वी ,हेपेटाइटिस बी आदि की वजह से भी कैंसर की सम्भावना होती है ।
ïअनुवांशिक
कारण /खानदानी कैंसर होना।
ïधुँआ
,प्रदूषण ,कीटनाशक ,पेंट ,थिनर आदि ।
इसके अतिरिक्त कोई अज्ञात कारण से भी कैंसर संभव है ।
कैंसर के कुछ रामबाण प्राकृतिक उपचार :
कैंसर
का एलोपेथिक विज्ञान में कोई भी प्रभावी इलाज अभी तक सामने नहीं आया है | यदि किसी
डॉक्टर से कैंसर का इलाज करवाने जाओ तो वह कीमो थेरिपी की सलाह देता है, जोकि
हमारे शरीर के लिए बेहद घातक साबित होती है | कैंसर का रोगी कैंसर की बीमारी के
साथ बिना इलाज के यदि 5 साल तक जीवित रहेगा ,वही कैंसर का इलाज यानि कीमो करवाने
पर मात्र 10-11 महीने ही जीवित रहेगा | कीमोथेरिपी में रेडिओएक्टिव लिक्विड इंजेक्शन
की सहायता से या अन्य किसी तरीके से हमारे शरीर में प्रवेश कराया जाता है | यह रेडिओएक्टिव
लिक्विड शरीर में उपलब्ध कैंसर की कोशिकाओं को जलाने के साथ-साथ हमारे शरीर में
मौजूद अच्छे बक्टीरिया को भी जला देता है जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर का इम्यून
सिस्टम ख़राब हो जाता है और हमारा शरीर बीमारियों का घर बन जाता है | इतना सब होने
के बाद भी कोई डाक्टर कैंसर को जड़ से ख़तम करने की गारंटी नहीं लेता है | अप आप
स्वयं ही विचार कीजिये कि आपको क्या अपनाना है ! ढेरों साइड इफ़ेक्ट वाली कीमोथेरेपी
या बिना साइड इफ़ेक्ट वाले ये आयुर्वेदिक उपचार ?
गौमूत्र:
इसमें
कैसर को रोकने वाली ‘करक्यूमिन‘ पायी जाती है | गौमूत्र का असर गले के कैंसर पर आहार
नली के कैंसर पर पेट के कैंसर पर बहुत ही अच्छा है। शरीर में जब करक्यूमिन नाम के
तत्व की कमी होती है। तभी शरीर में कैंसर का रोग आता है। गौमूत्र में यही
करक्यूमिन भरपूर मात्रा में है और पीने के तुरन्त बाद पचने वाला है। जिससे कि
तुरंत असरकारक हो जाता है। कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग
में लाए जाते है | गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने
लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है | गौअर्क आँपरेशन के
बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है, यानी गौमूत्र में कैसर बीमारी को दूर
करने की शक्ति समाहित है | कैंसर ठीक करने वाला तत्व
करक्युमिन हल्दी के साथ-साथ गौमूत्र में भी भरपूर मात्रा में होता है। गौमूत्र के अन्य
गुणों की जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कीजिये-
गाजर:
कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए इसका इलाज पहले चरण में ही कराना बेहतर होता है। लेकिन कैंसर के ज्यादातर मामलों में इसका खुलासा तब होता है, जब यह अपनी प्रारंभिक अवस्था से आगे बढ़ चुका होता है। ऐसे में कीमोथैरेपी के अलावा कैंसर को और कोई इलाज नहीं होता और यह अत्यधिक तकलीफदेह होता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी, कि चौथी स्टेज पर आने के बाद भी कैंसर का इलाज संभव है, और वो भी सिर्फ गाजर के सेवन से। शोध के मुताबिक गाजर में मौजूद फैलकारिनॉल, फैलकैरिन्डियॉल और एंटी कैंसर तत्व लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर व कोलोन कैंसर के खतरे को कम करते हैं। इसमें पाया जाने वाला रेटिनॉइड एसिड महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर की कारक कोशिकाओं के शुरूआती बदलाव को रोकने में कारगर होता है। गाजर के सेवन से कैंसर की चौथी स्टेज पर जीत हासिल करने का भी एक उदाहरण सामने आया है। इंडिया टाइम्स डॉट कॉम में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, कैमरून नामक एक महिला ने गाजर के जूस का सेवन कर कैंसर को चौथे चरण में आने के बावजूद मात देने में कामयाबी हासिल की है।
कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए इसका इलाज पहले चरण में ही कराना बेहतर होता है। लेकिन कैंसर के ज्यादातर मामलों में इसका खुलासा तब होता है, जब यह अपनी प्रारंभिक अवस्था से आगे बढ़ चुका होता है। ऐसे में कीमोथैरेपी के अलावा कैंसर को और कोई इलाज नहीं होता और यह अत्यधिक तकलीफदेह होता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी, कि चौथी स्टेज पर आने के बाद भी कैंसर का इलाज संभव है, और वो भी सिर्फ गाजर के सेवन से। शोध के मुताबिक गाजर में मौजूद फैलकारिनॉल, फैलकैरिन्डियॉल और एंटी कैंसर तत्व लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर व कोलोन कैंसर के खतरे को कम करते हैं। इसमें पाया जाने वाला रेटिनॉइड एसिड महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर की कारक कोशिकाओं के शुरूआती बदलाव को रोकने में कारगर होता है। गाजर के सेवन से कैंसर की चौथी स्टेज पर जीत हासिल करने का भी एक उदाहरण सामने आया है। इंडिया टाइम्स डॉट कॉम में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, कैमरून नामक एक महिला ने गाजर के जूस का सेवन कर कैंसर को चौथे चरण में आने के बावजूद मात देने में कामयाबी हासिल की है।
तुलसी
:
आयुर्वेद
में तो तुलसी को 'संजीवनी बूटी' माना गया है वहीं होम्योपैथिक में तुलसी को अमृतोपम मानते हैं। तुलसी में
ऐसे गुण होते हैं जो जटिल बीमारियों को दूर करने में भी चमत्कारिक असर करते हैं। तुलसी
का भारतीयों के जीवन में बहुत बड़ा योगदान हैं, हम इसको माँ
की तरह पूजा जाता हैं, क्योंकि इसके सेवन से हमारे शरीर के
अनेक अनेक रोग वैसे ही समाप्त हो जाते हैं। यदि आपको कैंसर होने की संभावना है या
आप कैंसर से पीड़ित हैं तो आप सुबह-सुबह पाँच तुलसी के पत्ते खायें। एक-एक घण्टे के
अंतर से एक-एक पत्ता मुँह में रखें। 50 ग्राम ताजे दही में 10 ग्राम तुलसी का रस
मिलाकर दिन में दो तीन बार लें। तुलसी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होने के
कारण ब्रेस्ट कैंसर और ओरल कैंसर से बचने के लिए तुलसी खाना फायदेमंद है| कैंसर की
प्रारम्भिक अवस्था में रोगी अगर तुलसी के बीस पत्ते थोड़ा कुचलकर रोज पानी के साथ
निगले तो इसे जड़ से खत्म भी किया जा सकता है। तुलसी के बीस पच्चीस पत्ते पीसकर एक
बड़ी कटोरी दही या एक गिलास छाछ में मथकर सुबह और शाम पीएं कैंसर रोग में बहुत
फायदेमंद होता है। तुलसी के अन्य गुणों की जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर
क्लिक कीजिये-
हल्दी:
हल्दी
के गुणों के बारे में हम वर्षों से जानते है हर रोज इसके नए नए गुणों की खोज
विकसित की जा रही है. आजकल तो वैज्ञानिक इसके इसके नए गुणों के बारे में अध्ययन कर
रहे है | वर्तमान में ही हल्दी को लेकर एक शोध हुआ है जिसमे हल्दी को कैंसर की
रोकथाम की दवा बताया गया है| हल्दी में एक प्रकार का तत्व पाया जाता है जिसे
करक्यूमिन कहते है. यह तत्व मेटास्टेसिस की रोकथाम में बहुत ही गुणकारी है| मेटास्टेसिस
नामक बीमारी से कैंसर फैलता है| हल्दी मुंह के कैंसर के इलाज में भी मददगार साबित
होती है । सब्जी बाजार में आपको कच्ची हल्दी आसानी से मिल जाएगी | आप कच्ची हल्दी
की गांठों को अच्छे से पीसकर तथा उसे कपडे से निचोड़ कर उसका रस निकालें | यह रस कैंसर
के रोगी को सुबह शाम पिलायें | आपको एक माह के अन्दर-अन्दर फायदा दिखने लगेगा |
अतः आप पूर्ण रूप से फायदा पहुँचने तक इसका सेवन कर सकते हैं | यदि कच्ची हल्दी
उपलब्ध न हो तो पीसी हुई हल्दी की पानी के साथ सुबह शाम फंकी मर लें | हल्दी के अन्य
गुणों की जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कीजिये-
गेंहूं
के जवारे :
हमारी
आंतों में पड़ा हुआ खाना सड़ता है, और इस वजह
से टॉक्सीन पैदा होते हैं और ये टॉक्सीन रक्त को दूषित करते हैं और इस वजह से
मनुष्य कैंसर का शिकार हो जाता है, इसलिए गेहूं के जवारों के
सेवन से पोषण ही प्राप्त नहीं होता है बल्कि समस्त पाचन अंगों की प्राकृतिक सफाई
भी हो जाती है। गेंहू के जवारे के रस में भरपूर क्लोरोफिल होता है,क्लोरोफिल शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, जो शरीर को ऑक्सीजन से लबालब भर देता है। जिससे कैंसर कोशिकाओं को ज्यादा
ऑक्सीजन मिलती है और ऑक्सीजन और कैंसर कभी एक साथ नहीं रह सकते और ऑक्सीजन की
अधिकता से कैंसर की कोशिकाये मरने लगती है। अगर नियमित इस रस का सेवन किया जाए तो
कैंसर की गाँठे तक गल जाती है। गेहूँ के ज्वारे का रस कैंसर की कोशिकाओं को
ढूंड-ढूंड कर नष्ट करता है। सभी कैंसर रोगों में
इन जवारों का उपयोग बहुत लाभकारी है। गेंहूं के जवारों के अन्य
गुणों की जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कीजिये-
दही :
जो
लोग नियमित दही का सेवन करते है उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है जो उन्हें
रोगों से सुरक्षा देती है | दही का नियमित सेवन करने वाले
व्यक्तियों में गामा इंटरफरान नमक प्रोटीन की मात्र अधिक पायी जाती है जो उनकी
इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है | कई शोधों से यह भी पता चला
है की दही का अधिक सेवन से कई प्रकार के प्रकार के कैंसर से भी सुरक्षा देता है
विशेषतः बड़ी आंत के कोलोन कैंसर से | दही की सबसे बड़ी विशेषता
यह है की इसमें लेक्टिक अम्ल की प्रचुर मात्रा होती है जिसके कारण बड़ी आंत में इस
प्रकार का वातावरण बनता है, जो सड़ांध पैदा करने वाले जीवाणु
यानि फुटरे फेकटिव वेक्टीरिया के विकास को रोकता है | इन
जीवाणु को कोलोन बेसिल या बी कोली के नाम से भी जाना जाता है | मतलब बड़ी आंत में जीवाणुओं का संतुलन बनाए रखने के लिए हमें दही का नित्य
उपयोग करना चाहिए | इसमें हानिकारक सूक्ष्म जीवाणुओं की
वृद्धि रोकने की क्षमता होती है , जिसके कारण आंत में
दुर्गंध कम उत्पन्न होती है | दही में कैल्सियम और लेक्टिक
अम्ल की प्रचुर मात्रा होती है |
लहसुन
:
शास्त्रों
के अनुसार लहसुन को वैसे तो तामसिक यानी काम व गुस्से की भावना बढ़ाने वाला माना
गया है। लेकिन लहसुन के औषधिय गुण इन बुराईयों से कही अधिक बढ़कर हैं। ये गुण ऐसे
हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। हमेशा से कैंसर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता
है। लेकिन शायद आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेद के अनुसार रोजाना थोड़ी
मात्रा में लहसुन का सेवन करने से कैंसर होने की संभावना अस्सी प्रतिशत तक कम हो
जाती है।कैंसर के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। लहसुन में
कैंसर निरोधी तत्व होते हैं। यह शरीर में कैंसर बढऩे से रोकता है। लहसुन के सेवन
से ट्यूमर को 50 से 70फीसदी तक कम किया जा सकता है। लहसुन प्रोस्टेट, कोलोन और पेट के कैंसर से भी बचाता है। इस तरह के कैंसर के लिए बनाई जाने
वाली दवाओं में लहसुन का इस्तेमाल होता है।
सोयाबीन
:
सोया
कैंसर होने वाले एस्ट्रोजन को रोकने में सहायक है| जो महिलाएं सोयाबीन का सेवन
करती हैं उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है | सोयाबीन एन्टी आक्सीटेन्ट
तत्वों से भरपूर पावरहाउस हैं | इसके साथ-साथ इसमें रोगाणुओं के विरूद्ध लड़ने वाले
दूसरे तत्व भी मौजूद रहते हैं। सोयाबीन में जेनिसटीन नामक केमिकल पाया जाता है
जोकि कैंसर से लड़ने में काफी मददगार साबित होता है | विदेशी वैज्ञानिक स्टीफन
बर्ने के अनुसार इसमें पाया जाने वाला जेनेसटीन स्तन और प्रोस्टेट कैंसर को रोकने
में सहायक होता है। जेनिसटीन केमिकल कैंसर को हर अवस्था में उसकी जड़ों में पहुँचकर
उसे बढ़ने से रोकता है। यह एन्जाइना को, जो बाद में
कैंसर जीन में परिवर्तित हो जाते हैं, नष्ट कर देता है। यह
प्रत्यक्षतः हर किस्म के कैंसर, स्तन, बड़ी
आँत, फेफड़े, प्रोस्टेट, त्वचा और खून में पाए जाने वाले कैंसर की वृद्धि को रोकता है।
अलसी
:
प्रथ्वी
पर लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है। लिगनेन केंसर की कोशिकाओं में होने वाली वृद्धि
को रोकता है और कैंसर बनाने वाले गंदे जीवाणुओं को बन्ने से भी रोकता है | अलसी
शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर शरीर को बाहरी संक्रमण या आघात से लड़ने में
मदद करती हैं और शक्तिशाली एंटी-आक्सीडेंट है। लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने
वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन का
वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और
रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन स्तन,
बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट,
त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा एंलार्ज प्रोस्टेट आदि बीमारियों से बचाव व उपचार करता
है। अलसी के अन्य गुणों की जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कीजिये-
गिलोय
:
दीर्घायु
प्रदान करने वाली अमृत तुल्य गिलोय और गेहूं के ज्वारे के रस के साथ तुलसी के 7
पत्ते तथा नीम के पत्ते खाने से कैंसर जैसे रोग में भी लाभ होता है। गिलोय और
पुनर्नवा मिर्गी में लाभप्रद होती है। इसे आवश्यकतानुसार अकेले या अन्य औषधियों के
साथ दिया जाता है। कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें इसमें गेंहूं
के जवारे का जूस और 5-7 पत्ते तुलसी के और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर
काढ़ा बना लें | इसका सेवन खाली पेट करने से कैंसर तथा एनीमिया भी ठीक होता है | गिलोय-रस
10 से 20 मिलीग्राम, घृतकुमारी रस 10 से 20 मिलीग्राम,
गेहूं का ज्वारा 10 से 20 मिलीग्राम, तुलसी-7
पत्ते, सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी
असाध्य रोगों में अत्यन्त लाभ होता है। यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व रोग प्रतिरोधक
क्षमता के लिए अत्यन्त लाभकारी है। गिलोय के अन्य गुणों की जानकारी के लिए नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कीजिये-
कैंसर
में खानपान वा सावधानियां :
ïलाल, नीले, पीले और जामुनी रंग की फल-सब्जियां जैसे टमाटर, जामुन, काले अंगूर, अमरूद, पपीता, तरबूज आदि खाने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इनको ज्यादा से ज्यादा अपने भोजन में शामिल करें ।
ïहल्दी
का अपने खाने में प्रतिदिन सेवन करें । हल्दी ठीक सेल्स को छेड़े बिना ट्यूमर के
बीमार सेल्स की बढ़ोतरी को धीमा करती है।
ïहरी
चाय स्किन, आंत ब्रेस्ट, पेट ,
लिवर और फेफड़ों के कैंसर को रोकने में मदद करती है। लेकिन यदि चाय
की पत्ती अगर प्रोसेस की गई हो तो उसके ज्यादातर गुण गायब हो जाते हैं।
ïसोयाबीन
या उसके बने उत्पादों का प्रयोग करें । सोया प्रॉडक्ट्स खाने से ब्रेस्ट और
प्रोस्टेट कैंसर की आशंका कम होती है।
ïबादाम, किशमिश आदि ड्राई फ्रूट्स खाने से कैंसर का फैलाव रुकता है।
ïपत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली आदि में कैंसर को ख़त्म करने का गुण
होता है।
ïकैंसर
के इलाज / बचाव में लहसुन बहुत ही प्रभावी है । इसलिए रोज लहसुन अवश्य खाएं। इससे
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
ïरोज
नींबू,
संतरा या मौसमी में से कम-से-कम एक फल अवश्य ही खाएं। इससे मुंह,
गले और पेट के कैंसर की आशंका बहुत ही कम हो जाती है।
ïऑर्गेनिक
फूड का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें ,ऑर्गेनिक
यानी वे दालें, सब्जियां, फल जिनके
उत्पादन में पेस्टीसाइड और केमिकल खादें इस्तेमाल नहीं हुई हों।
ïपानी
पर्याप्त मात्रा में पीएं, रोज सुबह उठकर रात को ताम्बे
के बर्तन रखा 3-4 गिलास पानी अवश्य ही पियें ।
ïरोज
15
मिनट तक सूर्य की हल्की रोशनी में बैठें।
ïनियमित
रूप से व्यायाम करें।
ïकैंसर
का पता लगने पर दूध या दूध के बने पदार्थों का उपयोग बंद कर दें । इनसे व्यक्ति को
नहीं वरन कैंसर के बैक्टीरिया को ताकत मिलती है ।
ïनियमित
रूप से गेंहू के पौधे के रस का सेवन करें ।
ïतुलसी
और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का इलाज संभव है। वैसे तो तुलसी और
हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले
महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता
बढ़ा देती है। घाव भरने में भी तुलसी मददगार होती है।
ïएक
से अधिक साथी से यौन सम्बन्ध न रखने से भी मासाने व गर्भास्य के कैंसर से बचा जा
सकता है।
ïअनार
का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें अनार कैंसर के इलाज खासकर स्तन कैंसर में बहुत ही
प्रभावी माना गया है |
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