How ajwain or carom seeds can boost your health : बहुत सारे औषधीय गुण की खान है अजवाइन
How ajwain or carom seeds can boost your health
अजवाइन भारतीय रसोइयों में मसाले की
तरह इस्तेमाल किया जाने वाला एक बीज है। भारतीय और मध्य-पूर्व के खाड़ी देशों के
भोजन में अजवाइन का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। बेहतरीन स्वाद के अलावा इसके कई
फायदे भी हैं। दोपहर या रात के खाने के बाद अजवाइन लेकर आप भोजन को बड़े आराम से
पचा पाएंगे। तंदरुस्त बनाने के साथ-साथ यह सांसों की दुर्गंध भी दूर करता है। इन
बीजों को बहुत आसानी से किसी भी सुपर बाज़ार या किराना स्टोर से प्राप्त किया जा
सकता है। यूँ तो आप इसे खुली मात्रा में भी ले सकते हैं लेकिन पैक किए हुए और आई
एस आई प्रमाणित बंद पैकेटों में आप ज्यादा अच्छी गुणवत्ता वाली अजवाइन प्राप्त कर
सकते हैं।
भारत
के पंजाब में इसे बहुत इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि कुछ खास तरह के ब्रेड और
अजवाइन पराठों में।भारत के ही विभिन्न भागों में अजवाइन कई प्रकार की दालों, व्यंजनों, सब्जियों और माँस पकाने में इस्तेमाल किया
जाता है। इसके इस्तेमाल से एक खुशनुमा फ्लेवर आ जाता है। इसके अलावा इसे कई तरह के
अचार और सूप, बिस्किट इत्यादि बनाने में भी इस्तेमाल किया
जाता है।
रंग
:- अजवाइन
का रंग भूरा काला मिला हुआ होता है।
स्वाद
:- इसका
स्वाद तेज और चरपरा होता है।
स्वरूप
:- अजवाइन
एक प्रकार का बीज है जो अजमोद के समान होता है।
स्वभाव :- यह
गर्म व खुष्क प्रकृति की होती है।
अजवाइन के हानिकारक प्रभाव:-
1-अजवाइन पित्त प्रकृति वालों में सिर दर्द पैदा करती है और दूध कम करती है।
2. अजवाइन ताजी ही लेनी चाहिए क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश नष्ट हो जाता है जिससे यह वीर्यहीन हो जाती है। काढ़े के स्थान पर रस या फांट का प्रयोग बेहतर है।
3. अजवाइन का अधिक सेवन सिर में दर्द उत्पन्न करता है।
Carom seeds benefits in Hindi – अजवाइन के स्वास्थ्य लाभ –
अजवाइन के गुण
पहले जब दवाओं का विज्ञान इतना विकसित नहीं था तब अजवाइन ही कई तरह की बीमारियों की आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेमाल में लायी जाती थी | आज हम आपको अजवाइन के ढेर सारे औषधीय गुणों से अवगत कराएँगे -
पहले जब दवाओं का विज्ञान इतना विकसित नहीं था तब अजवाइन ही कई तरह की बीमारियों की आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेमाल में लायी जाती थी | आज हम आपको अजवाइन के ढेर सारे औषधीय गुणों से अवगत कराएँगे -
शीतपित्त में:-
ï1अजवाइन
50 ग्राम अच्छी तरह
कूटकर 50 ग्राम गुड़ के साथ 6-6 ग्राम
की गोलियां बनाकर सुबह-शाम 1-1 गोली ताजे पानी के साथ लें।
एक हफ्ते में ही सारे शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी।
ïआधा
चम्मच अजवाइन और एक चम्मच गुड़ मिलाकर सेवन करने से जल्द ही लाभ होगा।
ïपित्ती
होने पर 1 चम्मच अजवाइन और
कालानमक मिलाकर सुबह खाली पेट पानी से फंकी लेने से फायदा होता है।
ïअजवाइन
और गेरू मिलाकर गुड़ के साथ खाने से लाभ होता है।
ïअजवायन
और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा में मिलाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम मात्रा में शहद के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होती है।
ïअजवाइन
और गेरू को सिरके में पीसकर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है।
ïअजवाइन, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, जवाखार। इन
सब चीजों को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें इसमें से दो चुटकी
चूर्ण रोज गर्म पानी के साथ खायें।
पेट के दर्द में:-
ïअजवाइन
और काला नमक को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ पीने से
पेट में दर्द मिटता है।
ï20
ग्राम अजवाइन तथा 10 ग्राम नौसादर को पीसकर रख
लें। इसे 2 ग्राम की खुराक के रूप में गर्म पानी के साथ पीने
से पेट के दर्द में लाभ होता है।
ï2 ग्राम अजवाइन और 1 ग्राम नमक को मिलाकर गर्म पानी के
साथ पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
ï15
ग्राम अजवाइन, 5 ग्राम कालानमक और आधा ग्राम
हींग को अच्छी तरह पीसकर शीशी में रखकर लें, आधा चम्मच की
मात्रा में दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ सेवन करने से लाभ
होता हैं।
ï2 चम्मच अजवाइन, 8 चम्मच जीरा और 2 चम्मच कालानमक को पीसकर शीशी में भरकर रख लें, फिर 1
गिलास पानी में 2 चम्मच का चूर्ण और नींबू को
निचोड़कर पीने से पेट के दर्द, अपच (भोजन का न पचना) में लाभ
मिलता है।
ï1 चम्मच अजवाइन गुड़ को मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
ïअजवाइन, झाऊ का बक्कल,
धनिया, त्रिफला, बड़ी
पीपल, काला जीरा, अजमोद, पीपला मूल (पीपल की जड़) और वायबिडंग को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह
पीसकर रख लें। इस बने चूर्ण में 4 गुना थूहर का दूध डालकर
मिश्रण बना लें, फिर रोज थोड़ी-सी मात्रा में लेकर प्रयोग करने
से पेट की बीमारियों में लाभ होता है।
ïअजवाइन
1 चम्मच, जीरा आधा चम्मच को बारीक पीसकर मिश्रण बना लें, इसमें
आधे नींबू का रस और थोड़ी-सी मात्रा में कालानमक मिलाकर पीने से भोजन का न पचना और
पेट की गैस में लाभ होता है।
ïअजवाइन
को पीसकर प्राप्त हुए रस को थोड़ी मात्रा में पानी के साथ सुबह और शाम दें।
ïअजवाइन
का चूर्ण 60 ग्राम और काला नमक 10 ग्राम को पानी के साथ पीने से
पेट का दर्द, पेट की गैस (अफारा), वायु
गोला (मल के न त्यागने के कारण रुकी हुई वायु या गैस) में तुरंत लाभ होता है।
ïअजवाइन
12 ग्राम, सोंठ 6 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक को पीसकर
छानकर प्रयोग करें।
ïअजवाइन
का चूर्ण 300 ग्राम और 50 ग्राम कालानमक को गुनगुने पानी के साथ
सेवन करने से खांसी, पेट का तनाव, गुल्म
(ट्यूमर), तिल्ली (प्लीहा), कफ और गैस
की काफी बीमारियों को समाप्त करती है।
ïअजवाइन, सेंधानमक, संचर नमक, यवाक्षार, हींग,
सूखा आंवला को पीसकर चूर्ण बना लें। इसे 5 से 10
ग्राम की मात्रा में रोज शहद के साथ सुबह और शाम चाटने से पेट के
दर्द में आराम होता है।
ïअजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता या हाऊबेर को अच्छी तरह पीसकर छाछ के साथ
पीने से `जलोदर´ बादी के कारण होने वाला
दर्द मिट जाता है।
ïअजवाइन
के चूर्ण को पोटली में बांधकर पेट पर सेंकने से पेट की पीड़ा शांत होती है।
ï3 से 5 ग्राम अजवाइन के चूर्ण में 1 ग्राम कालानमक डालकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ
होता है।
ïएक
चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच जीरा को बारीक पीसकर उसमें आधे नींबू का रस और थोड़ा-सा काला नमक
मिलाकर पी लें। इसे पीने से पेट की गैस और भोजन के न पचने के कारण होने वाली
बीमारियों में लाभ होता है।
ï300
ग्राम अजवाइन को तवे पर, 300 ग्राम हींग को
लौह के बर्तन पर तब तक भूने जब तक वह लाल न हो जाये, फिर
इसमें 250 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस
बने चूर्ण को 8 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ दिन
में दो बार रोजाना देने से पेट के दर्द, गैस और कब्ज की
शिकायत में लाभ होता है।
ïपिसी
अजवाइन का चूर्ण लगभग 1 ग्राम
का चौथा भाग को दूध में मिलाकर दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से पेट के दर्द में
लाभ होता हैं।
ïअजवाइन
3 ग्राम को लाहौरी नमक 1
ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ लें।
ïअजवाइन
2 ग्राम और नमक एक
ग्राम गर्म पानी के साथ देने से पेट दर्द बंद हो जाता है और पाचन क्रिया ठीक होती
है। पतले दस्त होते हो तो वे बंद हो जाते हैं, प्लीहा की
विकृति दूर हो जाती है।
ï15
ग्राम अजवाइन, 5 ग्राम कालानमक और आधा ग्राम
हींग तीनों को पीसकर शीशी में भर लें। पेट दर्द होने पर 1 ग्राम
की मात्रा सुबह-शाम गर्म पानी से लें। इससे भूख भी बढ़ती है।
हैजा:-
ïअजवाइन
का रस 4 चम्मच प्रत्येक 3
घंटे पर पूर्ण लाभ होने तक दें। पूर्ण लाभ हो जाने पर सुबह शाम कुछ
दिन तक दें।
ïअजवाइन
का चूर्ण और पुदीने का रस मिलाकर रोगी को कई बार दें। पानी की कमी से बचाने के लिए
सौंफ़ का पानी बार-बार दें।
ïअजवाइन
का चूर्ण, पिपरमिंट का चूर्ण और
कपूर तीनों को मिलाने से एक तरल पदार्थ बन जाता है। इसमें से 3 से 4 बूंद बतासे में डालकर पानी के साथ हैजा के
प्रारम्भ में सेवन करा दिया जाये तो स्थिति नियन्त्रित हो जाती है। इसके सेवन से
उल्टी, दस्त सब ठीक हो जाते हैं। अमृत धारा जैसी औषधि में
मूलत: यही गुण हैं।
ïपुदीने
का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम,
देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में
डालकर अच्छी प्रकार से डाट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीजें गलकर
पानी बन जायेंगी। हैजे में इसकी चार-पांच बूंद देना विशेष रूप से गुणकारी है। इसको
हैजे की प्रारिम्भक अवस्था में देने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में आराम न हो
तो 15-15 मिनट के अंतर से दो या तीन बार दे सकते हैं।
ïअजवाइन
का चूर्ण हाथ-पैरों के तलुओं पर मलने से शरीर में गर्मी आती है।
खांसी:-
ïएक
चम्मच अजवाइन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी का सेवन करने से लाभ होता है।
ïरात
में लगने वाली खांसी को दूर करने के लिए पान के पत्ते में आधा चम्मच अजवाइन लपेटकर
चबाने और चूस-चूसकर खाने से लाभ होगा।
ï1 ग्राम साफ की हुई अजवाइन को लेकर रोजाना रात को सोते समय पान के बीडे़ में
रखकर खाने से खांसी में लाभ मिलता है।
ïजंगली
अजवाइन का रस, सिरका तथा शहद को एक साथ मिलाकर रोगी को रोजाना दिन में 3 बार देने से पुरानी खांसी, श्वास, दमा एवं कुक्कुर खांसी (हूपिंग कफ) के रोग में लाभ होता है।
ïअजवाइन
के रस में एक चुटकी कालानमक मिलाकर सेवन करें। और ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे
खांसी बंद हो जाती है।
ïअजवाइन
के चूर्ण की 2 से 3 ग्राम मात्रा को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ
दिन में 2 या 3 बार लेने से भी जुकाम
सिर दर्द, नजला, मस्तकशूल (माथे में
दर्द होना) और कृमि (कीड़ों) पर लाभ होता है।
ïकफ
अधिक गिरता हो, बार-बार खांसी चलती हो, ऐसी दशा में अजवाइन का बारीक
पिसा हुआ चूर्ण लगभग 1 ग्राम
का चौथा भाग, घी 2 ग्राम और शहद 5 ग्राम में
मिलाकर दिन में 3 बार खाने से कफोत्पित्त कम होकर खांसी में
लाभ होता है।
ïखांसी
तथा कफ ज्वर यानि बुखार में अजवाइन 2 ग्राम और छोटी पिप्पली आधा ग्राम का काढ़ा
बनाकर 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में
सेवन करने से लाभ होता है।
ï1 ग्राम अजवाइन रात में सोते समय मुलेठी 2 ग्राम,
चित्रकमूल 1 ग्राम से बने काढ़े को गर्म पानी
के साथ सेवन करें।
ï5 ग्राम अजवाइन को 250 मिलीलीटर पानी में पकायें,
आधा शेष रहने पर, छानकर नमक मिलाकर रात को
सोते समय पी लें।
ïखांसी
पुरानी हो गई हो, पीला दुर्गन्धमय कफ गिरता हो और पाचन क्रिया मन्द पड़ गई हो तो अजवाइन का
जूस दिन में 3 बार पिलाने से लाभ होता है।
पेट में कृमि (पेट के कीड़े) होने पर:-
ïअजवाइन
के लगभग आधा ग्राम चूर्ण में इसी के बराबर मात्रा में कालानमक मिलाकर सोते समय
गर्म पानी से बच्चों को देना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।
कृमिरोग में पत्तों का 5 मिलीलीटर अजवाइन का रस भी लाभकारी है।
ïअजवाइन
को पीसकर प्राप्त हुए चूर्ण की 1
से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ
पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
ïअजवाइन
के बारीक चूर्ण 4 ग्राम को 1 गिलास छाछ के साथ पीने या अजवाइन के तेल
की लगभग 7 बूंदों को प्रयोग करने से लाभ होता है।
ïअजवाइन
को पीसकर प्राप्त रस की 4 से 5 बूंदों को पानी में डालकर सेवन करने आराम मिलता
है।
ïआधे
से एक ग्राम अजवाइन का बारीक चूर्ण करके गुड़ के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना
लें। इसे दिन में 3 बार खिलाने से छोटे बच्चों (3 से लेकर 5 साल तक) के पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
ïअजवाइन
का आधा ग्राम बारीक चूर्ण और चुटकी भर कालानमक मिलाकर सोने से पहले 2 गाम की मात्रा में
पिलाने से पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
ïअजवाइन
का चूर्ण आधा ग्राम,
60 ग्राम छाछ के साथ और बड़ों को 2 ग्राम चूर्ण
और 125 मिलीलीटर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
ïअजवाइन
का तेल 3 से 7 बूंद तक देने से हैजा तथा पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
ï25
ग्राम पिसी हुई अजवाइन आधा किलो पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह
इसे उबालें। जब चौथाई पानी रह जाये तब उतार कर छान लें। ठंडा होने पर पिलायें। यह
बड़ों के लिए एक खुराक है। बच्चों को इसकी दो खुराक बना दें। इस तरह सुबह, शाम दो बार पीते रहने से पेट के छोटे-छोटे कृमि मर जाते हैं|
ïअजवाइन
के 2 ग्राम चूर्ण को बराबर
मात्रा में नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से अजीर्ण (पुरानी कब्ज), जोड़ों के दर्द तथा पेट के कीड़ों के कारण उत्पन्न विभिन्न रोग, आध्मान (पेट का फूलना और पेट में दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
ïपेट
में जो हुकवर्म नामक कीडे़ होते हैं, उनका नाश करने के लिए अजवाइन का बारीक चूर्ण
लगभग आधा ग्राम तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर से 3 बार देने से और मामूली जुलाब (अरंडी तैल नही दें) देने से पेट के कीड़े
निकल जाते हैं। यह प्रयोग, पीलिया के रोगी और निर्बल पर नहीं
करना चाहिए।
गठिया (जोड़ों का दर्द ):-
ïजोड़ों
के दर्द में पीड़ित स्थानों पर अजवाइन के तेल की मालिश करने से राहत मिलेगी।
ïगठिया
के रोगी को अजवाइन के चूर्ण की पोटली बनाकर सेंकने से रोगी को दर्द में आराम पहुंचता
है।
ïजंगली
अजावयन को अरंड के तेल के साथ पीसकर लगाने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
ïअजवाइन
का रस आधा कप में पानी मिलाकर आधा चम्मच पिसी सोंठ लेकर ऊपर से इसे पीलें। इससे
गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
ï1 ग्राम दालचीनी पिसी हुई में 3 बूंद अजवाइन का तेल
डालकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे दर्द ठीक होता है।
पेट में पानी की अधिकता होना (जलोदर):-
ïगाय
के 1 लीटर पेशाब में
अजवाइन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गौमूत्र के साथ खाने से जलोदर मिटता है।
ïयही
अजवाइन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
ïअजवाइन
को बारीक पीसकर उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से
जलोदर एवं पेट के अफारे में लाभ होता है।
ïअजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर मात्रा में मिलाकर
छाछ पीने से जलोदर में लाभ होता है।
ïअजवाइन, हाऊबेर, त्रिफला, सोंफ, कालाजीरा,
पीपरामूल, बनतुलसी, कचूर,
सोया, बच, जीरा, त्रिकुटा, चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरमूल,
कूठ, पांचों नमक और बायबिण्डग को 10-10
ग्राम की बराबर मात्रा में, दन्ती 30 ग्राम, निशोथ और इन्द्रायण 20-20 ग्राम और सातला 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह बारीक
पीसकर चूर्ण बनाकर बनाकर रख लें। यह चूर्ण सभी प्रकार के पेट की बीमारियों में
जैसे अजीर्ण, मल, गुल्म (पेट में वायु
का रुकना), वातरोग, संग्रहणी (पेचिश),
मंदाग्नि, ज्वर (बुखार) और सभी प्रकार के
जहरों की बीमारियों को समाप्त करती है। इस बने चूर्ण को 3 से
4 गर्म की मात्रा में निम्न रोगों में इस प्रकार से लें,
जैसे- पेट की बीमारियों में- छाछ के साथ, मल
की बीमारी में- दही के साथ, गुल्म की बीमारियों में- बेर के
काढ़े के साथ, अजीर्ण और पेट के फूलने पर- गर्म पानी के साथ तथा
बवासीर में- अनार के साथ ले सकते हैं|
पेट की गड़बड़, पेट में दर्द, मंदाग्नि, अम्लपित्त:-
ï3 ग्राम अजवाइन में आधा ग्राम कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ फंकी लेने से
पेट की गैस, पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
ïअजवायन, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर एकत्र कर लें। इसे 1
से 2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ
सेवन करने से पेट का दर्द नष्ट होता है। इस चूर्ण के साथ वचा, सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली का
काढ़ा गर्म-गर्म ही रात में पीने से कफ व गुल्म नष्ट होता है।
ïप्रसूता
स्त्रियों (बच्चे को जन्म देने वाली महिला) को अजवाइन के लड्डू और भोजन के बाद
अजवाइन 2 ग्राम की फंकी देनी
चाहिए, इससे आंतों के कीड़े मरते हैं। पाचन होता है और भूख
अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों से बचाव होता है।
ïभोजन
के बाद यदि छाती में जलन हो तो एक ग्राम अजवाइन और बादाम की 1 गिरी दोनों को खूब
चबा-चबाकर या कूट-पीस कर खायें।
ïअजवाइन
के रस की 2-2 बूंदे पान के बीड़े में लगाकर खायें।
ïअजवाइन
10 ग्राम, कालीमिर्च और सेंधानमक 5-5 ग्राम गर्म पानी के साथ 3-4
ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करें।
ïअजवाइन
80 ग्राम, सेंधानमक 40 ग्राम, कालीमिर्च 40
ग्राम, कालानमक 40 ग्राम,
जवाखार 40 ग्राम, कच्चे
पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन
सबको महीन पीसकर कांच के बरतन में भरकर 1 किलो नींबू का रस
डालकर धूप में रख दें और बीच-बीच में हिलाते रहें। 1 महीने
बाद जब बिल्कुल सूख जाये, तो सूखे चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से
मंदाग्नि शीघ्र दूर होती है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्ण (अपच), संग्रहणी, अम्लपित्त इत्यादि रोगों में लाभ होता है।
ïशिशु
के पेट में यदि दर्द हो और सफर (यात्रा) में हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अंदर
अजवाइन को रखकर, शिशु की मां यदि उसके मुंह में चटायें तो शिशु का पेट दर्द तुरंत मिट जाता
है।
पेट के रोगों पर:-
ïएक
किलोग्राम अजवाइन में एक लीटर नींबू का रस तथा पांचों नमक 50-50 ग्राम, कांच के बरतन में भरकर रख दें, व दिन में धूप में रख
दिया करें, जब रस सूख जाये तब दिन में सुबह और शाम 1 से 4 ग्राम तक सेवन करने से पेट सम्बन्धी सब विकार
दूर होते हैं।
ï1 ग्राम अजवाइन को इन्द्रायण के फलों में भरकर रख दें, जब वह सूख जाये तब उसे बारीक पीसकर इच्छानुसार काला नमक मिलाकर रख लें,
इसे गर्म पानी से सेवन करने से लाभ मिलता हैं।
अजवाइन
चूर्ण तीन ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी से लें।
ï1.5
लीटर पानी को आंच पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1
लीटर रह जाये तब नीचे उतारकर आधा किलोग्राम पिसी हुई अजवाइन डालकर
ढक्कन बंद कर दें। जब ठंडा हो जाये तो छानकर बोतल में भरकर रख लें। इसे 50-50
ग्राम दिन में सुबह, दोपहर और शाम को सेवन
करें।
ïपेट
में वायु गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 मिलीलीटर मट्ठे में 2 ग्राम
अजवाइन और आधा ग्राम कालानमक मिलाकर आवश्यकतानुसार सेवन करें।
बवासीर (अर्श) के रोग में:-
ïअजवाइन
देशी, अजवाइन जंगली और
अजवाइन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन में मिलाकर
मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्से सूख जाते हैं।
ïअजवाइन
और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गर्म पानी के साथ लें।
ïअजवाइन
के चूर्ण में सेंधानमक और छाछ (मट्ठा) मिलाकर पीने से कोष्ठबद्धकता (कब्ज) दूर
होती है।
ïदोपहर
के भोजन के बाद एक गिलास छाछ में डेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) पिसी हुई अजवाइन और एक
ग्राम सैंधानमक मिलाकर पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं।
मासिक-धर्म सम्बंधी विकार में:-
ïअजवाइन
10 ग्राम और पुराना गुड़
50 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में
पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय का मल साफ होता है और रुका हुआ मासिक-धर्म
फिर से जारी हो जाता है।
ïअजवाइन, पोदीना, इलायची व सौंफ इन चारों का रस समान मात्रा में लेकर लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में मासिक-धर्म के समय पीने से आर्तव (माहवारी) की
पीड़ा नष्ट हो जाती है।
ï3 ग्राम अजवाइन चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मासिक धर्म
की रुकावट दूर होती है और मासिकस्राव खुलकर आता है।
बुखार में:-
ïअजीर्ण
की वजह से उत्पन्न हुए बुखार में 10 ग्राम अजवाइन, रात को 125
मिलीलीटर पानी में भिगों दें, प्रात:काल
मसल-छानकर पिलाने से बुखार आना बंद हो जाता है।
ïशीतज्वर
में 2 ग्राम अजवाइन
सुबह-शाम खिलायें।
ïबुखार
की दशा में यदि पसीना अधिक निकले तब 100 से 200 ग्राम अजवाइन
को भूनकर और महीन पीसकर पूरे शरीर पर लगायें।
ïअजवाइन
को भूनकर बारीक पीसकर शरीर पर मलने से अधिक पसीना आकर बुखार में बहुत लाभ मिलता
है।
ï10
ग्राम अजवाइन रात को 100 मिलीलीटर पानी में
भिगोकर रख दें। सुबह उठकर पानी को छानकर पीने से बुखार मिटता जाता है।
ï5 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर पानी में उबालकर,
छानकर 25-25 ग्राम पानी 2 घण्टे के अतंराल से पीने पर बुखार और घबराहट भी कम होती है।
श्वास या दमा रोग में:-
ïखुरासानी
अजवाइन लगभग 1 ग्राम
का चौथा भाग सुबह-शाम सेवन करने से श्वास नलिकाओं का सिकुड़ना बंद हो जाता है और
श्वास लेने में कोई भी परेशानी नहीं होती है।
ïअजवाइन
का रस आधा कप इसमें इतना ही पानी मिलाकर दोनों समय (सुबह और शाम) भोजन के बाद लेने
से दमा का रोग नष्ट हो जाता है।
ïदमा
होने पर अजवाइन की गर्म पुल्टिश से रोगी के सीने को सेंकना चाहिए।
ï50
ग्राम अजवाइन तथा मोटी सौंफ 50 ग्राम की
मात्रा में लेते हैं तथा इसमें स्वादानुसार कालानमक मिलाकर नींबू के रस में भिगोकर
आपस में चम्मच से मिलाते हैं। फिर छाया में सुखाकर इसे तवे पर सेंक लेते हैं जब भी
बीड़ी, सिगरेट या जर्दा खाने की इच्छा हो तो इस चूर्ण की आधा
चम्मच मात्रा का सेवन (चबाना) करें। इससे धूम्रपान की आदत छूट जाती है। इसके
साथ-साथ पेट की गैस (वायु) नष्ट होती है, पाचन शक्ति बढ़ती है
तथा भूख भी बढ़ जाती है। पेट की गैस, वायु निकालने के लिए यह
बहुत ही सफल नुस्का (विधि, तरीका) है।
कब्ज में:-
ïअजवाइन
10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें
ïरोजाना 3 से 5 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को हल्के गर्म
पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।
ï5 ग्राम अजवाइन, 10 कालीमिर्च और 2 ग्राम पीपल को रात में पानी में डाल दें। सुबह उठकर शहद में मिलाकर 250
मिलीलीटर पानी के साथ पीने से वायु गोले का दर्द ठीक होता है।
ïअजवाइन
20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10
ग्राम आदि को पुदीना के लगभग 1 ग्राम
का चौथा भाग रस में कूट लें फिर छानकर 5-5 ग्राम सुबह और शाम खाना खाने के बाद गर्म
पानी के साथ लें।
ïलगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अजवाइन के बारीक
चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज समाप्त होती जाती है।
ïअजवाइन
और कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के दर्द
में आराम देता है।
पेट की गैस बनना:-
ïअजवाइन
और कालानमक को छाछ के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
ï1 चम्मच अजवाइन, 2 लाल इलायची के दानों को पानी में
उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में कालानमक और हींग को डालकर पीने से लाभ होता है।
ïअजवाइन
1 चम्मच को 1 गिलास पानी के साथ सुबह सेवन करने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
ï6 ग्राम पिसी हुई अजवाइन में 2 ग्राम कालानमक मिलाकर
खाना खाने के बाद गर्म पानी से लेने से पेट की गैस बाहर निकल जाती है। ध्यान रहे
कि किसी भी रूप में अजवाइन लेनी जरूर चाहिए क्योंकि यह पेट में गैस को बनने नहीं
देती है।
अग्निमान्द्य (हाजमे की खराबी ) होने पर:-
ï2 चम्मच अजवाइन, 2 छोटी हरड़, हींग
आधी चुटकी, सेंधानमक को इच्छानुसार लेकर पीस लें। खाना खाने
के बाद इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
ïअजवाइन, सौंफ और लाल इलायची
के दानों को पीसकर चूर्ण लें।
ïअजवाइन
को भूनकर उसमें थोड़ा-सा कालानमक मिलाकर खाना खाने के बाद दिन में 2 बार 1-1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ पीने से अग्निमान्द्य (अपच) की शिकायत दूर होती
है।
ïअजवाइन
और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर काला नमक खाना खाने के बाद देने
से लाभ होता है।
ïअजवाइन
40 ग्राम और 10 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें, सुबह-सुबह
3-3 ग्राम चूर्ण थोड़े-से सिरके के साथ सेवन करें।
ï100
ग्राम अजवाइन, सौंफ 100 ग्राम,
कलौंजी 50 ग्राम, सेंधानमक
आधा चम्मच को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें से आधा-आधा
चम्मच चूर्ण सुबह और शाम पानी के साथ पीने से लाभ होता है|
कैन्सर (कर्कट) के रोग:-
ï1 मिट्टी के बर्तन में 300 मिलीलीटर पानी भर लें।
इसमें 12 ग्राम अजवाइन, 12 ग्राम मोटी
सौंफ, 2 बादाम की गिरी रात को भिगो दें। सुबह पानी के साथ
छानकर इनको पत्थर के सिलबट्टे पर पीसें। इनको पीसने में इन्हें भिगोकर छाना हुआ
पानी ही काम में लें। फिर 21 पत्ते तुलसी के तोड़कर, धोकर इस पिसे पेस्ट में डालकर फिर से बारीक पीसें और छानकर रखे पानी में
स्वाद के अनुसार मिश्री पीसकर घोलें। अन्त में पेस्ट मिलाकर कपड़े से छान लें और
पीयें। यह सारा काम पीसकर, घोल बनाकर पीना, सब सूर्य उगने से पहले करें। सूर्य उगने के बाद बनाकर पीने से लाभ नहीं
होगा। इसे करीब 21 दिनों तक सेवन करें। जब तक लाभ न हो,
आगे भी पीते रहें। इससे हर प्रकार के कैंसर से लाभ होता है।
हृदय
रोग में:-
ïयदि
दिल की कमजोरी के कारण छाती में दर्द होता हो, तो 1 चम्मच अजवाइन को 2
कप पानी में उबालें। आधा कप पानी बचा रहने पर काढ़े को छानकर रात के
समय सेवन करें। अजवाइन काढ़ा रोजाना 40 दिन तक सेवन करें और
ऊपर से आंवले का मुरब्बा खाएं। यह हृदय रोग को दूर करने में लाभकारी है।
3 ग्राम अजवाइन का चूर्ण पानी के साथ सेवन कराने पर हृदय शूल (दिल का दर्द)
शांत होता है।
त्वचा के रोग के लिए:-
ïदाद, खाज-खुजली और
फुन्सियां होने पर अजवाइन को पीसकर गर्म पानी में मिलाकर लेप करें।
ïअजवाइन
को पानी में उबालकर जख्म को धोने से लाभ होता है।
चेहरे
के काले दाग दब्बों के लिए:-
ïलगभग 25 ग्राम देसी अजवाइन को पीसकर 25 ग्राम दही में मिला
लें और सोते समय चेहरे पर लगाएं। सुबह उठने के बाद चेहरे को हल्के गर्म पानी से
धोने से चेहरे के काले दाग दूर होते हैं
दाद
के रोग में:-
ïदाद
होने पर गर्म पानी के साथ अजवाइन को पीसकर लेप करने से लाभ होता है। अजवाइन को
पानी में उबालकर उस पानी से दाद को धोने से भी लाभ होता है।
ïदाद
को नाखून से खुजली कर फिर जंगली अजवाइन को पीसकर दाद पर लेप करने से दाद के कीटाणु
समाप्त हो जाते हैं और दाद ठीक हो जाते हैं।
ïअजवाइन
को जलाकर उसमें थोड़ा सा नीलाथोथा और घी को मिलाकर लगाने से बीछी-दाद समाप्त हो
जाता है।
गले के रोग में:-
ïतिजारा
के डोडे और अजवाइन को पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करने से बैठा हुआ गला साफ
हो जाता है।
ï10
ग्राम अजवाइन को लगभग 200 मिलीलीटर पानी में
उबालकर और फिर छानकर पानी को थोड़ा ठंडा होने पर दिन में 2 से
3 बार गरारे करें।
गले का बैठ जाना:-
ïअजवाइन
और शक्कर को पानी में उबालकर रोजाना दो बार पीने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
मालकांगनी, बच, अजवाइन, खुरासानी कुलंजन और पीपल को बराबर मात्रा
में लेकर इसमें शहद मिलाकर रोजाना 3 ग्राम चटाने से गले में
आराम आता है।
प्लीहा
(तिल्ली) में वृद्धि होने पर:-
ïसुबह
के समय 2 कप पानी मिट्टी के
बर्तन में लें। इसमें 15 ग्राम अजवाइन डालकर दिन में घर के
अंदर और रात में खुले में रख दें। अगले दिन सुबह उठकर छानकर इसे पियें तथा इसका
प्रयोग लगातार 15 दिनों तक करें, इससे
बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है। केवल अजवाइन का भी प्रयोग किया जा सकता है।
ïअजवाइन, चित्रक के जड़ की छाल,
दन्ती और बच इन सभी का चूर्ण बना लें और रोजाना इस चूर्ण को 3
ग्राम दही के पानी से सेवन करें या 6 ग्राम
गोमूत्र के साथ जवाखार लेने से तिल्ली निश्चित रूप से छोटी हो जाती है।
नाक
के रोग में:-
ï10
ग्राम अजवाइन और 40 ग्राम पुराने गुड़ को लगभग 450
मिलीलीटर पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। उबलने पर जब 250
मिलीलीटर के करीब पानी बाकी रह जाये तो उस पानी को थोड़ी देर तक रखकर
थोड़ा ठंडा होने पर पीकर ऊपर से चादर ओढ़ कर सो जाये। इससे छींक आना बंद हो जाती है।
ïअजवाइन
के काढ़े या अजवाइन के रस से फुंसियों को अच्छी तरह से साफ करने से नाक की फुंसियां
ठीक हो जाती हैं।
खाज-खुजली में:-
ï20
ग्राम अजवाइन को 100 मिलीलीटर पानी में उबाल
लें और छान लें फिर शरीर में जहां पर खुजली हो उस भाग को इस पानी से साफ करने से
खुजली मिट जाती है।
ïअजवाइन
को पानी के साथ पीसकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
ïहल्के
गर्म पानी के अंदर अजवाइन पीसकर लेप करने से खुजली दूर हो जाती है।
ïजंगली
अजवाइन को तेल में पका लें और उस तेल को खुजली वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता
है|
पेशाब के रोग में:-
ïअजवाइन
2 चम्मच, काले तिल 4 चम्मच। दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें।
इसमें 150 ग्राम पुराना गुड़ मिलायें। इसकी छोटी-छोटी गोलियां
बना लें और सुबह-शाम 1-1 गोली ताजे पानी से लेते रहें।
ïमूत्रमार्ग
में दर्द होने पर खुरासानी अजवाइन का काढ़ा 40 मिलीलीटर सुबह-शाम लें या लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक चूर्ण ही खायें।
गर्भधारण कराना:-
ïमासिक-धर्म
के प्रारम्भ से 8 दिन तक नित्य 25 ग्राम अजवाइन और 25 ग्राम मिश्री, 125 मिलीलीटर पानी में रात को मिट्टी
के बर्तन में भिगों दें। सुबह ठंडाई की तरह पीसकर पीयें। भोजन में मूंग की दाल और
रोटी (बिना नमक की) लें। इस प्रयोग के दौरान संभोग करने से गर्भ धारण होगा।
ïमासिक-धर्म
खत्म होने के बाद 10
ग्राम अजवाइन पानी से 3-4 दिनों तक सेवन करने
से गर्भ की स्थापना में लाभ मिलता है।
सभी प्रकार के दांत दर्द में:-
ïहर
प्रकार का दांत दर्द अजवाइन के प्रयोग से ठीक होता है। आग पर अजवाइन डालकर दर्द
करते हुए दांतों पर धूनी दें। उबलते हुए पानी में नमक और एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन
डाल कर रख दें। पानी जब गुनगुना रहें तो इस पानी को मुंह में लेकर कुछ देर रोके, फिर कुल्ला करके थूक दें। इस प्रकार कुल्ले करें। अजवाइन की धुआं और
कुल्ले करने के बीच 2 घण्टे का अंतर रखें। इस प्रकार दिन में
तीन बार करने से दांत दर्द ठीक हो जाता है। गले में दर्द हो तो इसी प्रकार के पानी
से गरारे करने लाभ होता है।
जुकाम में:-
ïअजवाइन
की बीड़ी या सिगरेट बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है।
ïअजवाइन
को पीसकर एक पोटली बना लें, उसे दिन में कई बार सूंघे, इससे बंद नाक खुल जाएगी।
ï6 ग्राम अजवाइन पतले कपड़े में बांधकर हथेली पर रगड़कर बार-बार सूंघें। इससे
जुकाम दूर हो जायेगा।
ïएक
चम्मच अजवाइन और इसका चौगुना गुड़ एक गिलास पानी में डालकर उबालें। आधा पानी रहने
पर छान लें तथा गर्म-गर्म पीकर ओढ़ कर सो जायें। जुकाम में लाभ होगा।
फ्लू (जुकाम-बुखार ) में:-
ï3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी दोनों को उबालकर
इनका पानी पिलायें।
ï12
ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, आधा रहने पर ठंडा करके छानकर पीयें। इसी प्रकार रोज 4 बार पीने से फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है।
शराब की आदत छुड़वाने में:-
ïशराबियों
को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा न जाये तब अजवाइन 10-10 ग्राम की मात्रा
में 2 या 3 बार चबायें।
ïआधा
किलो अजवाइन 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब आधा से भी कम शेष रहे
तब छानकर शीशी में भरकर फ्रिज में रखें, भोजन से पहले एक कप
काढ़े को शराबी को पिलायें जो शराब छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीं पाते, उनके लिए यह प्रयोग एक वरदान के समान है।
मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट ) होना:-
ï3 से 6 ग्राम अजवाइन की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से
मूत्र की रुकावट मिटती है।
ï10
ग्राम अजवाइन को पीसकर लेप बनाकर पेडू पर लगाने से अफारा मिटता है,
शोथ कम होता है तथा खुलकर पेशाब होता है।
ï10
ग्राम अजवाइन को 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी
में पकाकर या फांट तैयार कर प्रत्येक 2 घंटे के बाद 25-25
मिलीलीटर पिलाने से रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। 24
घंटे में ही लाभ हो जाता है।
ïअजवाइन, दालचीनी की 2-2
ग्राम मात्रा को 50 मिलीलीटर पानी में उबालें।
इसके बाद इसे ठंडाकर-छानकर सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
ï12
ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा बच जायें तब ठंडा करके छान लें और रोजाना 4 बार पीने से लाभ होता है।
दस्त में:-
ïजब
मूत्र बंद होकर पतले-पतले दस्त हो, तब अजवाइन तीन ग्राम और नमक लगभग 500 मिलीलीटर ताजे पानी के साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ होता है। अगर एक बार
में आराम न हो तो 15-15 मिनट के अंतर पर 2-3 बार लें।
ïअजवाइन
को पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 1 ग्राम
का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में लेकर मां के दूध के साथ पिलाने
से उल्टी और दस्त का आना बंद हो जाता है।
ïअजवाइन, कालीमिर्च, सेंधानमक, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची आदि को पीसकर
चूर्ण बना लें, फिर इसे एक चम्मच के रूप में पानी के साथ
लेने से खाना खाने के ठीक से न पचने के कारण होने वाले दस्त यानी पतले ट्टटी को
बंद हो जाता है।
सिर में दर्द होने पर:-
ï200
से 250 ग्राम अजवाइन को गर्म कर मलमल के कपड़े
में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर गर्म करके सूंघने से छींके आकर जुकाम व सिर का दर्द
कम होता है।
ïअजवाइन
को साफ कर महीन चूर्ण बना लें,
इस चूर्ण को 2 से 5 ग्राम
की मात्रा में नस्वार की तरह सूंघने से जुकाम, सिर का दर्द,
कफ का नासिका में रुक जाना एवं मस्तिष्क के कीड़ों में लाभ होता है।
ïअजवाइन
और अरंड की जड़ को पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
ïअजवाइन
के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
दाद, खाज-खुजली:-
ïत्वचा
के रोगों और घावों पर इसका गाढ़ा लेप करने से दाद, खुजली, कीडे़युक्त घाव
एवं जले हुए स्थान में लाभ होता है।
ïअजवाइन
को उबलते हुए पानी में डालकर घावों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली आदि
त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
दांत दर्द में:-
ïपीड़ित
दांत पर अजवाइन का तेल लगाएं। 1
घंटे बाद गर्म पानी में 1-1 चम्मच पिसी अजवाइन
और नमक मिलाकर कुल्ला करने से लाभ मिलता है।
ïअजवाइन
और बच बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर लुगदी (पेस्ट) बना लें। आधा ग्राम लुग्दी
(पेस्ट) रात को सोते समय दाढ़ (जबड़े) के नीचे दबाकर सो जाएं। इससे दांतों के कीड़े
मर जाते हैं तथा दर्द खत्म हो जाता है।
बहुमू़त्र (बार-बार पेशाब आना ):-
ï2 ग्राम अजवाइन को 2 ग्राम गुड़ के साथ कूट-पीसकर,
4 गोली बना लें, 3-3 घंटे के अंतर से 1-1
गोली पानी से लें। इससे बहुमूत्र रोग दूर होता है।
ïअजवाइन
और तिल मिलाकर खाने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है।
ïगुड़
और पिसी हुई कच्ची अजवाइन समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच रोजाना 4 बार
खायें। इससे गुर्दे का दर्द भी ठीक हो जाता है।
ïजिन
बच्चे को रात में पेशाब करने की आदत होती है उन्हें रात में लगभग आधा ग्राम अजवाइन
खिलायें।
स्त्री रोगों में:-
ïप्रसूता (जो स्त्री बच्चे को जन्म दे चुकी हो) को 1 चम्मच अजवाइन और 2 चम्मच गुड़
मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कमर का दर्द दूर हो जाता है
और गर्भाशय की शुद्धि होती है। साथ ही साथ भूख लगती है व शारीरिक शक्ति में वृद्धि
होती है तथा मासिक धर्म की अनेक परेशानियां इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं।
नोट :-
प्रसूति (डिलीवरी) के पश्चात योनिमार्ग में अजवाइन की पोटली
रखने से गर्भाशय में जीवाणुओं का प्रवेश नहीं हो पाता और जो जीवाणु प्रवेश कर जाते
हैं वे नष्ट हो जाते है। जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए योनिमार्ग से अजवाइन का
धुंआ भी दिया जाता है तथा अजवाइन का तेल सूजन पर लगाया जाता है।
वायु विकार में:-
ï5 ग्राम पिसी हुई अजवाइन को 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर
छाछ (मट्ठे) के साथ लेने से लाभ होता है।
ïएक
चम्मच अजवाइन और थोड़ा कालानमक एक साथ पीसकर इसमें छाछ मिलाकर पीने से पेट की गैस
की शिकायत दूर होती है।
कमर दर्द में:-
ïअजवाइन
को 1 पोटली में रखकर उसे
तवे पर गर्म करें। फिर इस पोटली से कमर को सेंकने से आराम होगा।
ï50-50
ग्राम अजवाइन, मेथी, शुंठी
लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 2 ग्राम चूर्ण दिन में दो
बार हल्के जल से लेने से शीत के कारण उत्पन्न कमर दर्द मिट जाता है।
घाव हो जाने पर:-
ïखुरासानी
अजवाइन का चूर्ण लगभग 1 ग्राम
का चौथा भाग सुबह-शाम सेवन करने से घाव की पीड़ा दूर होती है। इससे नींद भी आती है।
ïअजवाइन
के बारीक चूर्ण को पानी में घोलकर या अजवाइन के काढे़ से घाव को धोया जाये तो घाव
जल्दी ठीक हो जाता है।
पथरी होने पर:-
ïअजवाइन
5 ग्राम और जीरा 4
ग्राम को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के
साथ लेने से सभी प्रकार की पथरी निकल जाती है।
ïअजवाइन
6 ग्राम प्रतिदिन
सुबह-शाम फांकने से गुर्दे व मलाशय की पथरी घुलकर निकल जाती है।
यकृत
का बढ़ना:-
ï1.5
ग्राम अजवाइन का चूर्ण और 5 मिलीलीटर भांगरे
का रस एक साथ मिलाकर पिलाने से यकृत वृद्धि मिट जाती है।
ïअजवाइन, चीता, यवक्षार, पीपलामूल, दन्ती की
जड़, छोटी पीपल आदि को एक साथ 5-5 ग्राम
की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से एक चुटकी चूर्ण दही
के पानी के साथ बच्चे को दें। इससे यकृत
रोग मिट जाता है।
नींद
न आना:-
ïजब
किसी व्यक्ति को नींद नहीं आ रही हो तो अजवाइन के तेल को कान के पीछे कनपटियों पर
मलने से नींद आ जाती है।
ïलगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खुरासानी अजवाइन का
चूर्ण सुबह-शाम लेने से अच्छी नींद आती है।
बच्चों
के यकृत दोष में:-
ïमद्य
(शराब) के साथ खुरासानी अजवाइन को पीसकर यकृत (जिगर) की जगह पर ऊपर से लेप करने से
दर्द और सूजन मिट जाती है।
ïअजवाइन
को पानी में पीसकर कालानमक डालकर रखें। एक चम्मच बच्चों को देने से यकृत (लीवर) के
अनेक रोग सही हो जाते हैं।
अजवाइन में इतने सारे औषधीय गुण होते हैं कि उनको हम एक पोस्ट में नहीं दे सकते हैं इसलिए अजवाइन के कुछ अन्य लाभ हम अपनी अगली पोस्ट में देंगे|
Comments
Post a Comment