Flaxseed Health Benefits, Food Sources, Recipes, and Health Tips : बड़े फ़ायदे है अलसी के : जो अलसी खाए वो रहे सदा जवान , अलसी है अमृत समान
Flaxseed Health Benefits, Food Sources, Recipes, and Health
Tips
क्या आपको हार्ट
प्रॉब्लम्स हैं…? क्या आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है….? क्या आपका वजन बढ़ रहा है ? क्या आपको मधुमेह है ?
क्या आपको त्वचा सम्बन्धी परेशानियाँ है? क्या
आपको जोड़ों से सम्बंधित कोई रोग है?
यदि आपका जवाब हां में
है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। अलसी में छुपा हुआ है,
आपकी इन समस्याओं का समाधान। जी हां, अलसी के
छोटे- छोटे बीजों में आपकी सेहत के बड़े-बड़े राज छुपे हुए हैं। अगर आप नहीं जानते,
तो जरूर पढ़िए -
भारत देश के कुछ प्रांतों में अलसी का तेल खाद्य
तेलों के रूप में आज भी प्रचलन में है। धीरे-धीरे अलसी को हम भूलते जा रहे हैं,
परंतु अलसी पर हुए नए शोध-अध्ययनों ने बड़े चमत्कारी प्रभाव एवं
चैंकाने वाले तथ्य दुनिया के सामने लाए हैं। आज सारे संसार में इसके गुणगान हो रहे
हैं। विशिष्ट चिकित्सकों की सलाह में भी अलसी के चमत्कारों की महिमा गाई जा रही
है। अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है।

अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3
फेटी एसिड,20 प्रतिशत प्रोटीन, 27
प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी
ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। सम्पूर्ण विश्व ने
अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना
लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है,
पुराने लोग अलसी का नाम भूल चुके है और युवाओं ने अलसी का नाम सुना
ही नहीं है।
अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा,
पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी
आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में
नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के
रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर
होते थे और जीते जी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती थी। आज मैं अलसी के मुख्य बिन्दुओं
पर संक्षेप में चर्चा करती हूँ।
लिगनेन है सुपरमैन :-
पृथ्वी पर लिगनेन का सबसे
बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है। अलसी शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर शरीर
को बाहरी संक्रमण या आघात से लड़ने में मदद करती हैं और शक्तिशाली एंटी-आक्सीडेंट
है। लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है
जो स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न
अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव,
मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन
रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है। लिगनेन रजोनिवृत्ति
जनित-कष्ट और अभ्यस्त गर्भपात का प्राकृतिक उपचार है। लिगनेन दुग्धवर्धक है।
लिगनेन स्तन, बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट, त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा एंलार्ज प्रोस्टेट आदि
बीमारियों से बचाव व उपचार करता है।
ओमेगा - थ्री :-
ओमेगा-थ्री हमे रोगों से फ्री करता है। शुद्ध,
शाकाहारी, सात्विक, निरापद
और आवश्यक ओमेगा-थ्री का खजाना है अलसी। ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं,
उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया आदि
संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन
झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता
है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती
है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट
या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन
बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं,
हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने
लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस
और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।
फाइबर, विटामिन्स तथा प्रोटीन्स :-
अलसी के बीजों में फाइबर, विटामिन्स तथा प्रोटीन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के सही विकास में सहायक होते हैं। अलसी में फाइबर की मात्रा उच्च होने के कारण कोलोन का स्वास्थ्य बरकरार रहता है और आंतडिय़ों की गतिविधि में सुधार होता है।
ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स :-
अलसी के बीजों में ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं जो छाती में सूजन को कम करते हैं, हृदय रोगों से बचाते हैं और जोड़ों के दर्द, अस्थमा, डायबिटीज तथा कई किस्मों के कैंसर को भी रोकते हैं।
एंटीऑक्सीडैंट्स :-
अलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडैंट्स रक्त को शुद्ध करते हैं, त्वचा तथा बालों को चमक देते हैं। ये शरीर की कई रोगों से सुरक्षा भी करते हैं। अलसी के बीजों में मौजूद फाइटो-एस्ट्रोजैन्स महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से लडऩे में सहायक होते हैं। माहवारी के दौरान जिन महिलाओं को अत्यधिक पेट दर्द होता है, वे अलसी के बीजों से इस दर्द से राहत पा सकती हैं।
अनेक रोगों में सहायक है अलसी :-

अलसी हमारी पाचन शक्ति बढ़ाती है और
हमारे शरीर को ऊर्जा देने में सहायता करती है। ये बीज शरीर में ताप पैदा करते हैं,
जो सर्दी तथा बरसात में जुकाम-खांसी से राहत देने में सहायक होता
है।
एक छोटा चम्मच
अलसी के बीजों को चबाने से आपको पेट संबंधी समस्याओं तथा पैप्टिक अल्सर से छुटकारा
मिल सकता है।
कई असाध्य रोग जैसे अस्थमा, एल्ज़ीमर्स,
मल्टीपल स्कीरोसिस, डिप्रेशन, पार्किनसन्स, ल्यूपस नेफ्राइटिस, एड्स, स्वाइन फ्लू आदि का भी उपचार करती है अलसी।
कभी-कभी चश्में से भी मुक्ति दिला देती है अलसी। दृष्टि को स्पष्ट और सतरंगी बना
देती है अलसी।
अलसी सेवन का तरीका :-

हमें प्रतिदिन 30 – 60
ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के
ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि
बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में
बुडविग आहार-विहार की पालन पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड,
केक, कुकीज, आइसक्रीम,
चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये
जाते हैं।
अलसी के लड्डू :-
अलसी खाने
का सबसे अच्छा तरीका है लड्डू । यही अलसी के लड्डू (Alsi Ke Ladoo) की रेसिपी आज हम आपके साथ शेयर
करेंगे। अलसी की पिन्नी भी बनती है जो प्रसूति के बाद महिलाओं को दी जाती है लेकिन
इसमें सामग्री काफी ज्यादा पड़ती है। सामान्य दिनों में आप अलसी का लड्डू बना लें
ये आसानी से बन जाता है।
अलसी के लड्डू सामग्री :-
1. ताजा पिसी अलसी 100 ग्राम
2. आटा 100 ग्राम
3. मखाने 75 ग्राम
4. नारियल कसा हुआ 75 ग्राम
5. किशमिश 25 ग्राम
6. कटी हुई
बादाम 25 ग्राम
7. घी 300 ग्राम
8.चीनी का बूरा 350 ग्राम
लड्डू बनाने कि विधि :-
कढ़ाही में लगभग 50 ग्राम घी गर्म करके उसमें मखाने हल्के हल्के तल कर पीस लें।
लगभग 150 ग्राम घी गर्म करके उसमें आटे को हल्की ऑच पर गुलाबी होने तक भून लें। जब
आटा ठंडा हो जाये तब सारी सामग्री और बचा हुआ घी अच्छी तरह मिलायें और गोल गोल
लड्डू बना लें।
इस पोस्ट में प्रयुक्त चित्र google image से
लिए गए हैं, यदि किसी को इससे कोई आपत्ति/शिकायत है तो vsmskb@gmail.com
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