Benefits of Wheatgrass: Amazing Wheatgrass Benefits for Health, and Beauty : गेहूं के जवारे : एक अमृत तुल्य रस / पृथ्वी की संजीवनी बूटी / गुणों से भरा गेहूँ के जवारे / गेहूं के जवारे यानी 'ग्रीन ब्लड' / रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु गेहूँ का जवारा
Benefits of Wheatgrass:
Amazing Wheatgrass Benefits for Health, and Beauty
प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें
से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी
कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ
नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ
स्वास्थ्य पा सकता है। गेहूँ के जवारे को आहार शास्त्री
धरती की संजीवनी मानते है। यह वह अमृत है जिसमे अनेक पोषक तत्वों के साथ साथ रोग
निवारक तत्व भी है। अनेक फल व सब्जियों के तत्वों का मिश्रण हमें केवल गेहूँ के रस
में ही मिल जाता है। गेहूँ के रस में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व होते है जिनके
सेवन से कब्ज व्याधि और गैसीय विकार दूर होते हैं, रक्त का शुद्धीकरण भी होता है परिणामतः रक्त सम्बन्धी विकार जैसे फोड़े, फुंसी, चर्मरोग आदि भी दूर हो
जाते हैं। आयुर्वेद में माना गया है कि फूटे हुए घावों व फोड़ो पर जवारे के रस की
पट्टी बाँधने से शीघ्र लाभ होता है। श्वसन तंत्र पर भी गेहू रस का अच्छा प्रभाव
होता है सामान्य सर्दी खांसी तो जवारे के प्रयोग से ४-५ दिनों में ही मिट जाती है
व दमे जैसा अत्यंत दुस्साहस रोग भी नियंत्रित हो जाता है। गेहूँ के रस के सेवन से गुर्दों
की क्रियाशीलता बढती है और पथरी भी गल जाती है। इसके अतिरिक्त दाँत व हड्डियों की
मजबूती के लिये, नेत्र विकार दूर करने और नेत्र ज्योति बढाने के लिये, रक्तचाप व ह्रदय रोग से
दूर रहने के लिये, पेट के कृमि को शरीर से बाहर निकालने के लिये तथा मासिक धर्म की अनियमितताए
दूर करने के लिये भी जवारे का रस के प्रयोग की बात कही जाती है।
गेंहूं के जवारों के गुण:-
गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते
हैं, जिससे
इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख
तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल
(गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है।
गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त
की कमी, उच्च
रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व
अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान
में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा
सकता है।
1-हरा रक्त ( जवारे ):-
हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन
में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी
समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के
अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन
व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में
मैग्नेशियम, जबकि
हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि
हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा
रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
2- रोग निरोधक व रोग निवारक :-
गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई
आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की
प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व
रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल
रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति
में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है। यहां एक रोग से ही मुक्ति नहीं मिलती है वरन अनेक रोगों से भी मुक्ति
मिलती है, साथ
ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनशक्ति में अपार वृद्धि
होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गेहूं के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही
है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार शक्ति पाता है। इसका नियमित सेवन
करने से शरीर में थकान तो आती ही नहीं है।
यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग
कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों
का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं
के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे
औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है।
जवारों में पाए जाने वाले पोषक तत्व :-
इसमें मौजूद सभी पोषक तत्वों का पता वैज्ञानिक नहीं लगा पाए हैं, फिर भी कुछ तत्व जिनके
बारे में पता है, इस प्रकार हैं:
गेहूँ के ज्वारे क्लोरोफिल का सर्वश्रेष्ठ स्रोत होते हैं। इसमें सभी
विटामिन्स प्रचुर मात्रा में होते हैं जैसे विटामिन ए, बी1, 2, 3, 5, 6, 8, 12 और 17 (लेट्रियल); सी, ई तथा के। इसमें केल्शियम, मेग्नीशियम, आयोडीन, सेलेनियम, लौह, जिंक और अन्य कई खनिज होते हैं।
लेट्रियल
या विटामिन बी-17 बलवान कैंसररोधी है और मेक्सिको के
ओएसिस ऑफ होप चिकित्सालय में पिछले पचास वर्ष से लेट्रियल के इंजेक्शन, गोलियों और आहार चिकित्सा से कैंसर के रोगियों का उपचार होता आ रहा है।
1-बीटा
कैरोटीन:-
शरीर में बीटा कैरोटीन विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है। सभी जानते हैं कि विटामिन ‘ए’ हमारी त्वचा एवं आंखों की रोशनी के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
2-फोलिक एसिड:-
फोलिक एसिड हमारे शरीर में लाल रक्त कणों को
परिपक्व करने के लिए एवं रक्त में होमोसिस्टीन नामक रसायन की मात्रा कम करने के
लिए जरूरी है। होमोसिस्टीन की रक्त में मात्रा ज्यादा होने से न केवल रक्तचाप बढ़
जाता है अपितु हृदय रोग की भी संभावना बढ़ जाती है।
3-क्लोरोफिल:-
यह मानव रक्त से बहुत मिलता-जुलता है। इसमें और
मानव रक्त में केवल एक फर्क होता है, वह है क्लोरोफिल के केंद्र में मैग्नीशियम कण होता है तो हीम
रिंग में लौह कण। शरीर को क्लोरोफिल को रक्त में बदलने के लिए केवल एक रासायनिक
क्रिया करनी पड़ती है, मैग्नीशियम कण को निकालकर उसकी जगह लौह कण को डालना होता है और निकाले हुए
मैग्नीशियम को शरीर की हड्डियों की मजबूती तथा रक्तचाप(ब्लडप्रेशर) को नियमित
(सामान्य) करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। क्लोरोफिल केवल रक्त ही नहीं
बनाता अपितु यह एक अति प्रभावी ऐन्टीबायोटिक के रूप में भी कार्य करता है। इससे
शरीर कीटाणुओं के संक्रमण से बचा रहता है।
4- केल्शियम :-
गेहूं के जवारों में मौजूद केल्शियम शरीर की हड्डियों एवं
दांतों की मजबूती एवं स्वास्थ्य हेतु सामान्य रासायनिक क्रिया के लिए अति लाभप्रद
है।
5- मेग्नीशियम:-
इनमें मौजूद मेग्नीशियम रक्तचाप को सामान्य करने के लिए अति आवश्यक
है। क्लोरोफिल के केंद्र में मैग्नीशियम कण होता है| शरीर को क्लोरोफिल को
रक्त में बदलने के लिए केवल एक रासायनिक क्रिया करनी पड़ती है, मैग्नीशियम कण को
निकालकर उसकी जगह लौह कण को डालना होता है और निकाले हुए मैग्नीशियम को शरीर की
हड्डियों की मजबूती तथा रक्तचाप(ब्लडप्रेशर) को नियमित (सामान्य) करने के लिए
इस्तेमाल में लाया जाता है।
6- फ्री रेडिकल:-
ये अत्यंत क्रियाशील
इलेक्ट्रोन होते हैं, जो हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में रासायनिक
क्रियाओं के उपरांत उत्पन्न होते हैं। चूंकि ये इलेक्ट्रोन असंतृप्त होते हैं, अपने को संतृप्त करने के लिए ये कोशिकाभित्ति से इलेक्ट्रोन लेकर संतृप्त
हो जाते हैं, परंतु कोशिकाभित्ति में असंतृप्त
इलेक्ट्रोन छोड़ जाते हैं। यही असंतृप्त इलेक्ट्रोन फिर इलेक्ट्रोन लेकर संतृप्त हो
जाते हैं और इस प्रकार से बार बार नये असंतृप्त इलेक्ट्रोन /फ्री रेडिकल उत्पन्न
होते हैं और नष्ट होते रहते हैं। अगर इन फ्री रेडिकलों को संतृप्त करने के लिए
समुचित मात्रा में एन्टी ओक्सिडेंट नहीं मिलते तो कोशिकाभित्ति क्षतिग्रस्त
हो जाती है। यही क्रिया बार-बार होते रहने से कोशिका समूह क्षतिग्रस्त हो जाता है
और मनुष्य एक या अनेक रोगों का शिकार हो जाता है। यही
एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है आजकल की लाइफस्टाइल बीमारियों मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप, गठिया, गुर्दे और आंखों के काले या सफेद मोतिया रोग इत्यादि का। गेहूं के जवारे
इन्हीं फ्री रेडिकलों को नष्ट करने में शरीर की हर संभव सहायता करते हैं।
हमारी अगली पोस्ट में हम
आपको घर पर जवारे उगाने तथा उसका जूस बनाने की विधि के बारे में बताएँगे |
इस पोस्ट में प्रयुक्त चित्र google image से लिए गए हैं, यदि किसी को इससे
कोई आपत्ति/शिकायत है तो vsmskb@gmail.com पर संपर्क करे |
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