Amazing Benefits uses of Asafoetida (हींग के चमत्कारी गुणों को जानकर चौंक जाएंगे आप)
परिचय :-
हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में डालने के लिए किया जाता है इसलिए इसे `बघारनी´ के नाम से भी जाना जाता है। हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है। इसका पौधा 60 से 90 सेमी तक ऊंचा होता है। ये पौधे-ईरान, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, ब्लूचिस्तान, काबुल और खुरासन के पहाड़ी इलाकों में अधिक होते हैं। हींग के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वहीं दूध पेड़ पर सूखकर गोंद बनता हैं उसे निकालकर पत्तों या खाल में भरकर सुखा लिया जाता है। सूखने के बाद वह हींग के नाम से जाना जाता है। मगर वैद्य लोग जो हींग उपयोग में लाते हैं। वह हीरा हींग होती है और यही सबसे अच्छी होती है।
हमारे देश में इसकी बड़ी खपत है। हींग बहुत से रोगों को खत्म करती है। वैद्यों का कहना है कि हींग को उपयोग लाने से पहले उसे सेंक लेना चाहिए। चार प्रकार के हींग बाजारों में पाये जाते हैं जैसे कन्धारी हींग, यूरोपीय वाणिज्य का हींग, भारतवर्षीय हींग, वापिंड़ हींग।
रंग : हींग का रंग सफेद, हल्का गुलाबी और पीला, व सुरखी मायल जैसा होता है।
गुण :-
हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में डालने के लिए किया जाता है इसलिए इसे `बघारनी´ के नाम से भी जाना जाता है। हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है। इसका पौधा 60 से 90 सेमी तक ऊंचा होता है। ये पौधे-ईरान, अफगानिस्तान, तुर्किस्तान, ब्लूचिस्तान, काबुल और खुरासन के पहाड़ी इलाकों में अधिक होते हैं। हींग के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वहीं दूध पेड़ पर सूखकर गोंद बनता हैं उसे निकालकर पत्तों या खाल में भरकर सुखा लिया जाता है। सूखने के बाद वह हींग के नाम से जाना जाता है। मगर वैद्य लोग जो हींग उपयोग में लाते हैं। वह हीरा हींग होती है और यही सबसे अच्छी होती है।
हमारे देश में इसकी बड़ी खपत है। हींग बहुत से रोगों को खत्म करती है। वैद्यों का कहना है कि हींग को उपयोग लाने से पहले उसे सेंक लेना चाहिए। चार प्रकार के हींग बाजारों में पाये जाते हैं जैसे कन्धारी हींग, यूरोपीय वाणिज्य का हींग, भारतवर्षीय हींग, वापिंड़ हींग।
रंग : हींग का रंग सफेद, हल्का गुलाबी और पीला, व सुरखी मायल जैसा होता है।
स्वाद : इसका स्वाद
खाने में कडुवा और गन्ध से भरा होता है।
स्वभाव : हींग गर्म और खुश्क होती है।
हानिकारक : यह गर्म दिमाग और गर्म मिजाज वालों को हानि पहुंचा सकती है।
दोषों को दूर करने वाला : कतीरा और बनफ्सा हींग में व्याप्त दोषों को
दूर करते हैं।
तुलना : हींग की
तुलना सिकंजीव से कर सकते हैं।
मात्रा : सवा दो ग्राम।गुण :-
हींग पुट्ठे और दिमाग की
बीमारियों को खत्म
करती है जैसे मिर्गी, फालिज, लकवा
आदि। हींग आंखों की
बीमारियों में फायदा
पहुंचाती है। खाने को हजम करती है, भूख को भी बढ़ा देती है। गरमी पैदा करती है
और आवाज को साफ करती हैं। हींग का लेप घी या तेल के साथ चोट और बाई पर करने से लाभ मिलता है तथा
हींग को कान में डालने से कान में
आवाज़ का गूंजना
और बहरापन दूर होता है। हींग जहर को भी खत्म करती है। हवा से लगने वाली
बीमारियों को भी हींग मिटाती है। हींग हलकी, गर्म और और
पाचक है। यह कफ तथा वात को खत्म
करती है। हींग हलकी तेज और रुचि बढ़ाने वाली है। हींग श्वास की बीमारी और खांसी का नाश करती है। इसलिए हींग एक गुणकारी
औषधि है।
विभिन्न रोगों में सहायक:-
1. आचार की सुरक्षा: आचार की सुरक्षा के लिए बर्तन में पहले हींग का धुंआ दें। उसके
बाद उसमें अचार भरें। इस प्रयोग से आचार खराब नहीं होता है।
2. पसली का दर्द: हींग को गर्म पानी
में मिलाकर पसलियों पर मालिश करें। इससे दर्द में लाभ मिलता है।
3. पित्ती: हींग को घी में मिलाकर मालिश करना पित्ती में लाभकारी होता है।
4. जहर खा लेने पर: हींग को
पानी में घोलकर पिलाने से उल्टी होकर ज़हर का असर खत्म हो जाता है।
5. दांतों की बीमारी: दांतों में दर्द होने पर दर्द वाले दातों के नीचे हींग दबाकर रखने से
जल्द आराम मिलता है।
6. दांतों में कीड़े लगना: हींग को थोड़ा गर्मकर कीड़े लगे दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे
दांत व मसूढ़ों के कीड़े मर जाते हैं।
7. दांत दर्द:
·
हींग को पानी में उबालकर उस पानी से
कुल्ले करने से दांतों का दर्द दूर हो जाता है।
·
शुद्ध हींग को चम्मच भर पानी में गर्म
करके रूई भिगोकर दर्द वाले दांत के नीचे रखें। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
·
हींग को गर्म करके दांत या जबड़े के नीचे
दबाने से दांतों में लगे हुए कीड़े मर जाते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
8. अपच: हींग, छोटी हरड़, सेंधानमक, अजवाइन, बराबर मात्रा में पीस लें। एक चम्मच प्रतिदिन 3 बार गर्म
पानी के साथ लें। इससे पाचन शक्ति ठीक हो जाती है।
9. भूख न लगना: भोजन करने
से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकड़ा, मक्खन के साथ लें। इससे भूख खुलकर आने लगती है।
10. पागल कुत्ते के काटने पर: पागल कुत्ते के काटने पर हींग को पानी
में पीसकर काटे हुए स्थान पर लगायें। इससे पागल कुत्ते के काटने का विष समाप्त हो
जाता है।
11. सांप के काटने पर:
·
हींग को एरण्ड की कोपलों के साथ पीसकर
चने के बराबर गोलियां बना लें सांप के विष
पर ये गोलियां हर आधा घंटे के अन्दर सेवन करने से लाभ
होता है।
·
गाय के घी के साथ थोड़ा-सा हींग डालकर
खाने से सांप का जहर उतर जाता है।
12. बुखार:
·
हींग का सेवन करने से सीलन भरी जगह में
होने वाला बुखार मिटाता है।
·
हींग को नौसादार या गूगल के साथ देने से
टायफायड बुखार में लाभ होता है।
13. कमर दर्द: 1 ग्राम तक
सेंकी हुई हींग थोड़े से गर्म पानी में मिलाकर धीरे-धीरे पीने से कमर का दर्द, स्वरभेद, पुरानी
खांसी और जुकाम आदि में लाभ होता है।
14. अजीर्ण:
·
हींग की गोली (चने के आकार की) बनाकर घी
के साथ निगलने से अजीर्ण और पेट के दर्द में लाभ होता है।
·
पेट दर्द होने पर हींग को नाभि पर लेप
लगाएं।
15. वातशूल: हीग को 20 ग्राम पानी में उबालें। जब थोड़ा-सा पानी बच जाए तो तब इसको
पीने से वातशूल में लाभ होता है।
16. पीलिया:
·
हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाने
से पीलिया में लाभ होता है।
·
पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर
आंखों पर लगायें।
17. पेशाब खुलकर आना: हींग को
सौंफ के रस के साथ सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है।
18. चक्कर: घी में
सेंकी हुई हींग को घी के साथ खाने से गर्भावस्था के दौरान आने वाले चक्कर और दर्द
खत्म हो जाते हैं।
19. घाव के कीड़े: हींग और नीम के पत्ते पीसकर उसका लेप करने से व्रण (घाव) में पड़े हुए
कीडे़ मर जाते हैं।
20. कान दर्द: हींग को तिल के तेल में पकाकर उस तेल की बूंदें कान में डालने से तेज
कान का दर्द दूर होता है।
21. मलशुद्धि: हींग, सेंधानमक
और एरण्ड के तेल से बत्ती बनाकर गुदा में रखने से वायु का अनुलोमन होकर मल की
शुद्धि होती है।
22. हिचकी:
·
हींग और उड़द का चूर्ण अंगारे पर डालकर
उसका धुंआ मुंह में लेने से हिचकी मिटती है।
·
थोड़ी-सी हींग 10 ग्राम गुड़ में मिलाकर खाने से हिचकियां
आना बंद हो जाती हैं।
·
हींग और उड़द का ध्रूमपान करने से हिचकी
में लाभ होता है।
·
2 ग्राम हींग, 4 पीस बादाम की गिरी दोनों को एक साथ
पीसकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
·
थोड़ी-सी हींग पानी में घोलकर पीने से
हिचकी में लाभ होता है।
·
बाजरे के बराबर हींग को गुड़ या केले में
रखकर खाने से अधिक हिचकी नहीं आती है।
23. गर्भसंकोचन: हींग का नियमित सेवन करने से गर्भाशय का संकोचन होता है।
25. उल्टी:
·
हींग को पानी में पीसकर पेट पर लेप करने
से उल्टी बंद होती है।
·
हींग 1 हिस्सा, कालीमिर्च और अफीम 2-2 हिस्से लेकर इन तीनों चीजों को पुदीना
के रस में अच्छी तरह पीसकर चने के बराबर गोलियां बना
लें। 1-1 गोली 1-1
घंटे के अन्तर से पानी के साथ रोगी को सेवन कराने से उल्टी और दस्त बंद हो
जाते हैं।
·
3 ग्राम हींग और 3 ग्राम अनन्त-मूल के चूर्ण को पानी के
साथ मिलाकर खाने से हर तरह की उल्टी आना बंद हो जाती है।
·
1 ग्राम हींग, 5 ग्राम बहेड़ा का छिलका और 4 लौंग को एक साथ पीसकर 1 कप पानी में मिलाकर पीने से उल्टी आना
रुक जाती है।
26. आमातिसार (दस्त के आंव का आना):
·
हींग 5 ग्राम, कपूर 10 ग्राम, कत्था 10 ग्राम और नीम के कोमल
पत्ते 3 ग्राम लेकर तुलसी के रस में पीसकर चने
जैसी गोली बना लें। यह गोली दिन में 3-4 बार गुलाब के रस के साथ देने से हैजे में और जामुन के पेड़े की छाल के रस में
देने से आमातिसार में लाभ होता है।
·
240 से 960 मिलीग्राम कालीमिर्च के चूर्ण में हींग एवं अफीम एक साथ मिलाकर
सुबह-शाम लेने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
·
हींग, कालीमिर्च और कपूर ये तीनों वस्तुएं
10-10 ग्राम तथा अफीम 3 ग्राम लेकर अदरक के
रस में 6 घण्टे तक घोटें फिर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 1 या 2 गोलियां दिन में लेने से आमातिसार और हैजा मिटता है।
27. नपुंसकता:
·
गाय के मक्खन से आधी मात्रा में हींग मिलाकर कांसे की थाली में अच्छी तरह
मिलाकर मरहम बना लें। पुरुष की इन्द्रिय पर सुपारी
को छोड़कर उस पर मरहम का लेप करने से शिश्न की शिथिलता दूर होती है और नपुंसकता मिटती है।
·
हींग को शहद के साथ पीसकर शिश्न पर लेप
करें इससे वीर्य ज्यादा देर तक रुकता है और संभोग करने में आनन्द मिलता है।
28. मलेरिया का बुखार: 2 ग्राम हींग
को 2 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह और शाम दें।
इससे मलेरिया का बुखार नष्ट हो जाता है।
29. काली खांसी: काली खांसी
(कुकुर खांसी) में बच्चों के सीने पर हींग का लेप करने से लाभ मिलता है।
30. मोतियाबिन्द: हींग, बच, सोंठ और सौंफ का कुछ भाग लेकर शहद में मिलाकर रोज खाने से
मोतियाबिन्द के रोग में जल्दी आराम आता है।
31. निमोनिया: रोजाना सुबह, दोपहर तथा
शाम को लगभग 240
मिलीग्राम हींग को तीन-चार मुनक्कों में भरकर खिलाने से एक सप्ताह
के अन्दर ही निमोनिया ठीक हो जाता है।
32. गुदा रोग: हींग को पानी के साथ पीस लें और रूई में लगाकर बच्चे के गुदा के
अन्दर लगाएं। इससे गुदा रोग ठीक होता है।
33. अफारा (पेट में गैस का बनना):
·
हींग को पानी में घोलकर नाभि (पेट के
निचले भाग) के आस-पास लेप करने और गर्म पानी की थैली या बोतल रखने से वायु निकल
जाती है।
·
हींग को 2 से 3 ग्राम पानी में घोलकर
बस्ति (नाभि के निचले भाग) पर लगाने से अफारा में लाभ होता है।
·
देशी घी में भुनी हुई हींग 240 मिलीग्राम से लेकर 960
मिलीग्राम में अजवायन और काला नमक के साथ पानी में घोलकर पिलाने से पेट की गैस में तुरन्त लाभ
मिलता है।
34. डकार आना: भुनी हुई हींग, काला नमक
और अजवायन को देशी घी साथ सुबह और शाम सेवन करने से डकार, गैस और भोजन के न पचने के रोगों में लाभ मिलता है।
35. जुएं का पड़ना: बिना भुनी हींग (कच्ची हींग) पानी में घोल मिलाकर बालों की जड़ों तक लगायें, और पूरे बालों को इस घोल से गीला करके छोड़ दें, कुछ घंटों बाद नींबू रस
मिले पानी से बालों को धो लें। इससे सारे जुएं मर जाएंगे और ऐसा रोजाना एक बार कुछ दिन तक करें। इससे
पूरे सिर के जूएं की सफाई हो जाएगी।
36. बांझपन को दूर करना: यदि गर्भाशय
में वायु (गैस) भर गई हो तो थोड़ी सी काली हींग को काली तिलों के तेल में पीसकर तथा उसमें रूई का फोहा
भिगोकर तीन दिन तक योनि में रखें। इससे
बांझपन का दोष नष्ट हो जाएगा। प्रतिदिन दवा को ताजा ही पीसना चाहिए।
37. कब्ज:
·
हिंगाष्टक चूर्ण 6 ग्राम को पानी के साथ खाने से हर प्रकार
के वायु की बीमारियां मिट जाती हैं।
·
देशी घी में भुनी हुई हींग को 240 मिलीग्राम से लेकर 960 मिलीग्राम की मात्रा में अजवायन और काले
नमक के चूर्ण के साथ पानी में घोलकर रोजाना दिन
और रात को सेवन करने से पेट की गैस और कब्ज से छुटकारा
मिलता है।
·
भुनी हुई हींग को सब्जी में डालकर सेवन
करने से पेट की गैस और कब्ज नष्ट हो जाती है।
38. पेट की गैस बनना:
·
हींग, काला नमक और अजवाइन को पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन करने से लाभ होता है।
·
हींग को गर्म पानी में घोलकर नाभि (पेट
का निचला भाग) के आस-पास लेप करें और 1 ग्राम हींग भूनकर किसी भी चीज के साथ खाने से लाभ होता है।
·
2 ग्राम हींग को आधा
किलो पानी में उबाल लें। जब पानी थोड़ा-सा
बचे पानी को गुनगुनी मात्रा में पीने से लाभ होता है। हींग, जीरा और पीने का तम्बाकू को पीसकर काढ़ा बना लें। फिर इस काढ़े को गुनगुना करके पेट पर लेप करने से पेट की
गैस और दर्द में लाभ होता है।
39. जुकाम:
·
1-1 ग्राम हींग, सोंठ और मुलहठी को
बारीक पीसकर गुड़ या शहद में मिलाकर चने के
आकार की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। यह गोली 1-1 रोजाना सुबह और शाम चूसने से जुकाम दूर
हो जाता है।
·
हींग, बायविडंग, सेंधानमक, मैनसिल, बच और गूगल को अच्छी तरह से
पीसकर उसका चूर्ण बनाकर छान लें। इस चूर्ण को सूंघने से जुकाम दूर हो जाता है।
·
हींग के घोल को नाक से सूंघने से नाक के
अन्दर जमा हुए रीट (बलगम, श्लेश्मा) बाहर निकल
जाते हैं और बदबू भी दूर हो जाती है।
40. दस्त:
·
हींग को भूनकर और चावलों के काढ़े को
बनाकर सेवन करने से उल्टी, पेट में जलन, बुखार और दस्त में लाभ मिलता है।
·
भुनी हींग, सफेद जीरा, काला जीरा, छोटी इलायची और दालचीनी को बराबर मात्रा में
चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण को 4-4
की मात्रा में लेकर सेंधानमक मिलाकर एक दिन में 3 से 4 बार फंकी के रूप में सेवन करने से
अतिसार में आराम मिलता है।
41. गर्भपात होने से रोकना : बार-बार होने
वाले गर्भपात को रोकने के लिए हींग बहुत ही उपयोगी होता है। गर्भ के ठहरने के लक्षण प्रतीत होते ही 6 ग्राम हींग की 60 गोलियां
बना लेनी चाहिए तथा सुबह-शाम एक-एक गोली का
सेवन करना चाहिए। धीरे-धीरे इसकी मात्रा 10 गोली तक प्रतिदिन देनी चाहिए। बाद में प्रसव के समय तक इसकी मात्रा धीरे-धीरे कम करते जाएं और पहले
की तरह ही एक गोली सुबह और शाम को सेवन करें।
इससे गर्भपात होने की आशंका बिल्कुल समाप्त हो जाती है।
42. कान के रोग:
·
हींग, धतूरे का रस और मूली के बीज को सरसों के तेल में डालकर पका लें इस तेल
को कान में डालने से कान का दर्द और बहरापन जैसा रोग ठीक
हो जाता है।
·
25 मिलीलीटर मूली का रस, 10 ग्राम पिसी हुई रत्न जोत, 5 ग्राम पिसी हुई हींग को 50 मिलीलीटर सरसों के तेल में अच्छी तरह से पका लें। फिर इसे ठण्डा
होने के बाद छान लें। इस तेल की 2-2 बूंदें गुनगुना करके कान में डालने से कान के सभी रोगों में लाभ होता
है।
·
हींग और सरसों के तेल को गर्म करके छान लें। जब तेल बस हल्का सा गर्म रह जाये
तो उसे कान के अन्दर बूंद-बूंद करके डालने से कफज (बलगम)
के कारण उत्पन्न कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
·
औरत के दूध के साथ असली हींग को पीसकर
कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
43. बहरापन:
·
असली हींग को किसी औरत के दूध में डालकर
बूंद-बूंद करके बच्चे के कान में डालने से बहरेपन के रोग में लाभ होता है।
·
हीरा हींग को गाय के दूध के साथ पीसकर
कान में डालने से कान का रोग ठीक हो जाता है।
·
कूट, हींग, सौंफ, दारूहल्दी, बच, सोंठ और सेंधानमक को बराबर
मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इन सबको बकरे के पेशाब में मिलाकर तेल में पकाने के लिए
आग पर रख दें। जब पकते हुए बस तेल ही बाकी रह जाये तो
इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल में से 3-4
बूंद कान में डालने से बहरेपन का रोग मिट जाता है।
44. मासिक-धर्म का कष्ट के साथ आना (कष्टार्तव): भुनी हींग लगभग आधा ग्राम की मात्रा में
लेकर पानी से माहवारी चालू होने के दिन से
सुबह तीन दिनों तक लगातार देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
45. मासिक-धर्म संबन्धी परेशानियां:
·
मासिक-धर्म के समय यदि दर्द होता है तो 240 मिलीग्राम हींग को पानी में घोलकर कुछ
दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से दर्द समाप्त
हो जाता है।
·
मासिकस्राव (माहवारी) कम आती हो तो हींग
का सेवन करना चाहिए। इससे मासिकस्राव नियमित रूप से आना प्रारम्भ हो जाती है।
46. अग्निमान्द्यता (अपच):
·
थोड़ी-सी हींग को लेकर पानी में घोलकर
नाभि के पास मालिश करने से अपच, गैस और डकार में लाभ
मिलता है।
·
720 मिलीग्राम भुनी हुई हींग और 6 ग्राम कालानमक खाना
खाने के पहले निवाले के साथ खाने से लाभ होता है।
·
हींग, सोंठ, कालीमिर्च, भुना हुआ स्याह जीरा, सफेद जीरा, अजमोद, सेंधानमक 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बनाकर
रख लें। इस चूर्ण की चौथाई चम्मच मात्रा को घी के साथ
भोजन करने के पहले लेने से अग्निमान्द्यता की बीमारी में लाभ पहुंचता है।
47. अम्लपित्त: हींग को
भूनकर उसमें थोड़ा-सा कालानमक मिलाकर पानी में उबालकर ठण्डा करके पीने से लाभ होता
है।
48. बच्चे का जन्म आसानी से होना: भुनी हुई हींग को एक ग्राम की मात्रा में पीसकर गर्म पानी से
सेंककर सेवन करने से बच्चे का जन्म आसानी से हो जाता है।
49. प्रसव पीड़ा:
·
हींग चुटकी भर लेकर, 10 ग्राम गुड़ में मिलाकर खायें। इसके खाने के बाद आधा कप
पानी या गाय का दूध पीने से प्रसव के समय होने वाली
पीड़ा नष्ट हो जाती है।
·
हींग और बाजरे को गुड़ में रखकर निगल
जाएं। दो घूंट से ज्यादा पानी न पियें। ऐसा करने से बच्चे के जन्म के समय का दर्द
नहीं होगा।
50. प्रसव के बाद का रक्तस्राव: घी में भुनी हुई हींग 240 मिलीग्राम से 960 मिलीग्राम
सुबह-शाम लेने से आर्तव (मासिकस्राव) की शुद्धि होकर रक्तस्राव ठीक हो जाता है।
51. शीतपित्त: हींग को घी
में मिलाकर मालिश करने से शीतपित्त में लाभ होता है।
52. जम्हाई: लोहे के बर्तन में घी के साथ हींग को भून
लें। इस हींग के साथ हरीतकी, सोंठ, सेंधानक और कालीमिर्च सभी को एक समान मात्रा में लेकर चूर्ण
बना लें। फिर 1
से 3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन गर्म पानी के साथ सेवन करने से जम्भाई
रोग में
लाभ होता है।
53. पेट के कीड़े:
·
हींग को अजवायन और ग्वारपाठा के बीच के
भाग (गूदे) के साथ खाने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
·
हींग को पानी में मिलाकर रूई का फोया
भिगोकर बच्चों की गुदा पर लगाने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।
·
थोड़ी-सी मात्रा में बच्चों को हींग
खिलाने से भी लाभ होता है।
·
हींग को थोड़े-से पानी में मिलाकर गुदा
पर लगाने से पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।
·
थोड़ी-सी मात्रा में हींग को पानी में
घोलकर दिन में 3 से 4 बार पीने से कीड़े मरने लगते हैं।
54. नाक के कीड़े: पिसी हुई हींग को गर्म पानी में मिलाकर नाक में डालने से नाक का जख्म
दूर हो जाता है और कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं।
55. नाक के रोग: हींग और
कपूर को बराबर मात्रा में लेकर उसके अन्दर थोड़े से शहद को मिलाकर लगभग 240-240 मिलीग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस 1 गोली को हर 4 से 6 घंटे के बाद अदरक के रस के साथ मिलाकर चाटने से जुकाम ठीक हो
जाता है।
56. कील, कांटा चुभना: कांटा चुभने पर हींग को घोलकर उस स्थान पर लेप करने से शरीर के अंग
के अन्दर घुसा हुआ कांटा बाहर निकल आता है।
57. कोड़ी का दर्द: 120 मिलीग्राम
भुनी हुई हींग को बिना गुठली वाले मुनक्का में रखकर पानी से दिन में दो बार लेने से कोड़ी का दर्द दूर हो
जाता है तथा हिचकी की बीमारी भी दूर होती
है।
58. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली):
·
हींग, एलुवा, सुहागा, सज्जी सफेद, नौसादर इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर
घी-ग्वार के लुआब में बेर के बराबर गोलियां बना लें और
एक-एक गोली प्रतिदिन तिल्ली के रोगी को दें। इससे तिल्ली का बढ़ना बंद हो जाता है।
·
हींग, सोंठ, सेंधानमक और भुना हुआ
सुहागा इन सभी को बराबर भाग में लेकर सहजन के
रस में जंगली बेर के बराबर गोली बनाकर सुबह और शाम को
एक-एक गोली देने से तिल्ली खत्म हो जाती है।
59. सभी प्रकार का दर्द: हींग, त्रिकुटा, धनिया, अजवायन, चीता और हरड़ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस बने
चूर्ण में जवाखार और सेंधानमक मिलाकर साफ पानी के साथ पीने से वायु शूल, पेशाब में
दर्द, मल त्याग में दर्द के साथ सभी प्रकार के दर्द समाप्त हो जाते हैं। यह पाचन शक्ति
को ताकत देती है।
60. गुल्म (वायु का गोला) : हींग, पीपरा मूल
(पीपल की जड़),
धनिया, जीरा, बच, कालीमिर्च, चीता, पाढ़, चव्य, कचूर, सेंधानमक, बिरिया संचर नमक, विशांबिल, छोटी पीपल, सोंठ, जवाखार, सज्जीखार, हरड़, अनार दाना, अम्लवेत, पोहकरमूल, हाऊबेर और काला जीरा को बराबर मात्रा में पीसकर छान लें। फिर उस चूर्ण को बिजौरा नींबू के रस
में कूटकर छाया में सुखा लें और बोतल में
भरकर रख दें। इस चूर्ण को 3 से 4 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सेवन करने से अफारा (पेट
में गैस), ग्रहणी, उदावर्त्त (मल के रुकने से होने वाली बीमारी), पथरी, अरुचि, उरुस्तम्भ (जांघों की सुन्नता), स्तन और पसलियों में वायु और कफ के दोश समाप्त हो जाते हैं।
61. पेट में दर्द:
·
हींग को गर्म पानी में मिलाकर लेप बनाकर
नाभि के आस-पास गाढ़ा लेप लगाने से पेट दर्द शान्त होता है।
·
शुद्ध हींग को घी में मिलाकर चाटने से
पेट की बीमारी में लाभ मिलता है।
·
सेंकी हुई हींग और जीरा, सोंठ, सेंधानमक मिलाकर चौथाई चम्मच भर गर्म पानी से सेवन करना फायदेमंद
होता है।
·
हींग को देशी घी में पीसकर चाटने से पेट
के दर्द में आराम मिलता है।
·
हींग को पानी में डालकर पकायें फिर इसी
पानी को ठण्डा करके पीयें। इससे पेट के दर्द में आराम मिलता है।
·
हींग, अजवायन और काले नमक को पीसकर चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ रोगी को
देने से लाभ होता है।
·
भुनी हुई हींग को 120 मिलीग्राम की मात्रा को गर्म पानी के
साथ दिन में तीन बार पीने से लाभ होता है।
·
हींग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में
घोलकर बस्ति (नाभि का निचला भाग) पर लगाने से अफारा (गैस) और पेट के दर्द में लाभ
होता है।
·
हींग और संचर नमक लगभग 20 मिलीग्राम को दशमूल के काढ़े में मिलाकर
खाना खाने के बाद लें। इससे पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
·
भुनी हुई हींग एक बाजरे के दाने खाने से
पेट के दर्द में आराम मिलता है।
·
2 ग्राम हींग को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह पानी
चौथाई रह जायें तो इसे उतार लें और गर्म-गर्म सेवन करें।
·
हींग से बनी ऐसाफिटिडा मदरटिंचर की 10 बूंदों को 1 चम्मच पानी में मिलाकर सेवन करने से लाभ
होता है।
62. बाला रोग: 30 ग्राम मोठ
के आटे में एक चने के बराबर हींग मिलाकर पानी में घोलकर गर्म कर लें। जब यह लेई जैसा हो जाये तो उसे
उतारकर बाला पर पट्टी बांध दें। इस पट्टी से
बाला का धागा सा कीड़ा निकल आयेगा। इसके साथ ही 5 ग्राम हींग को एक गिलास
ठण्डे पानी में घोलकर लगातार चार दिन तक सुबह और शाम पीने से बाला रोग दोबारा कभी नहीं होगा।
63. दिल की धड़कन: हींग 1 ग्राम, कपूर 1 ग्राम, 2 हरी
मिर्चे। तीनों को पीसकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोलियां
दिन में तीन बार रोगी को ठण्डे पानी से दें।
64. हैजा:
·
हींग, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, कपूर, सेंधानमक इन सब चीजों
को 120 मिलीग्राम की मात्रा लेकर बारीक पीसकर
इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक खुराक
में दो गोलियां दिनभर में तीन-चार बार दें। इससे हैजे का रोग दूर हो जाता है।
·
भुनी हुई हींग 3 ग्राम, जीरा काला, जीरा सफेद, लाल मिर्च, सौंठ और शुद्ध
रसकर्पूर दो-दो ग्राम तथा शुद्ध अफीम 1 ग्राम लेकर कूट पीस
लें और पानी के साथ खरल करके उड़द के समान अकार की गोली बनाकर सुखायें और शीशी में भर लें।
एक-एक गोली ताजे पानी के साथ एक-एक घंटे के अन्तर से दें। आवश्यक होने पर 30-30
मिनट के अन्तर से भी दे सकते हैं।
·
हींग, कपूर और आम की गुठली बराबर लेकर पुदीने के रस में पीसकर, चने के बराबर गोलियां बना लें ये
गोलियां हैजा में फायदा पहुंचाती है।
·
हींग, कालीमिर्च और आक के जड़ की छाल बराबर लेकर पुदीना के रस में पीसकर चने के
बराबर गोलियां बना लें। यह गोलियां आधा-आधा घंटे के
अन्दर से रोगी को खिलाने से हैजा रोग खत्म होता है।
65. गठिया रोग: घुटने का दर्द
दूर करने के लिये असली हींग को घी में पीस लें। फिर इससे जोड़ों के दर्द पर मालिश करें। इससे गठिया का रोग
दूर हो जाता है।
66. हृदय रोग:
·
भुनी हींग, कालाजीरा, सफेद जीरा, अजवायन, और सेंधानमक पीसकर चूर्ण बना लें। इसको
एक बार में ढाई-तीन ग्राम ताजे पानी के साथ लेने से दिल
की कमजोरी, घबराहट तथा जलन में लाभ होता है।
·
हींग, बच, सोंठ, जीरा, कूट, हरड़ चीता, जवाखार, संचर नमक तथा पोहकर
मूल। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद
या देशी घी के साथ सेवन करें।
·
हींग 120
मिलीग्राम को पीसकर बीज निकले मुनक्का में रखकर गोली बनाकर कम गर्म
पानी से दें।
67. गुल्यवायु हिस्टीरिया:
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हिस्टीरिया में हींग सुंघाने से बेहाश
रोगी होश में आ जाता है।
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लगभग 120
मिलीग्राम शुद्ध हींग को 480 मिलीग्राम गुड़ में मिला लें। फिर इसकी 120-120 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर सुबह और शाम को जल के साथ खाने से
हिस्टीरिया में लाभ मिलता है।
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लगभग 10 ग्राम हींग, 30 ग्राम वचा, 5 ग्राम केसर, 40 ग्राम जटामांसी और 50 ग्राम अजवाइन को लेकर
कूट पीसकर चूर्ण बना लें। हल्के गर्म
पानी में 3-3 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को सुबह और शाम लेने से यह रोग नष्ट हो जाता है।
·
रोजाना आधा ग्राम से एक ग्राम (रोग और
आयु के अनुसार) तक हींग खिलाने से हिस्टीरिया रोग ठीक हो जाता है।
68. नहरुआ (स्यानु)
·
हींग को थोड़ी-सी मात्रा में ठण्डे पानी
के साथ पीसकर पीने से रोगी को लाभ पहुंचता है।
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जिसे नहरूआ बहुत अधिक मात्रा में निकलते हो उसे 300
मिलीग्राम से 720 मिलीग्राम की हींग की गोलियां बनाकर पानी के साथ खानी चाहिए। इससे नहरूआ के घाव में
से धागे के समान कीडे़ नहीं निकलते हैं।
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थोड़ी सी हींग को भैंस के गोबर में
मिलाकर नहरूआ के घाव पर रखने से लाभ मिलता है।
69. निम्नरक्तचाप:
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250 मिलीलीटर मट्ठा में भुनी हुई हींग और जीरे का छौंक लगाकर सेवन करें। इससे
निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के रोगी बहुत लाभ होता
है।
·
निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के रोगी
को अपने भोजन में शुद्ध हींग का उपयोग अवश्य करना चाहिए। इससे रोग शीघ्र ही ठीक हो
जाता है।
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हींग को, लोहे के बर्तन में घी डालकर आग पर लाल कर लें फिर इस हींग में से 120 से 240
मिलीग्राम मात्रा सुबह शाम नित्य सेवन करने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
70. मिर्गी (अपस्मार):
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10 ग्राम असली हींग कपड़े
में बांधकर गले में डाले रहने से मिरगी के दौरे दूर हो जाते हैं।
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हींग, सेंधानमक व घी इनको 10-10 ग्राम लेकर 125 मिलीलीटर गोमूत्र में मिलाएं। उसके बाद
उसे उबालें, उबालने पर जब केवल घी शेष बचे तो इसे पीने से अपस्मार
(मिर्गी) में लाभ होता है।
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भुनी हींग, त्रिकुटा और काला नमक को बराबर मात्रा
में लेकर
71. दाद: दाद को
खुजालकर उस पर हींग का लेप करने से दाद ठीक हो जाता है।
72. सिर का दर्द:
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सर्दी से सिरदर्द हो तो हींग गर्म करके
लेप बनायें और लेप माथे पर मलें। इससे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
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हींग को पानी के साथ घोलकर सूंघने से
सिर दर्द खत्म हो जाता है।
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थोड़ी-सी हींग को पानी में घोलकर माथे पर
लगाने से सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है।
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पानी में हींग को घोलकर उसकी कुछ बूंदें
नाक में डालने से आधासीसी के कारण होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
73. आग से जलना: असली हींग को
पानी में मिलाकर जले हुए भाग पर 24 घंटों में 4 से 5 बार मुर्गी के पंख से लगाने से फफोलें नहीं पड़ते और
जल्दी आराम आ जाता है।
74. लिंगवृद्धि: लिंग को बढ़ाने के लिए हींग को पीसकर शहद में मिलाकर रात को सोते समय
लिंग पर लगाने से लिंग की मोटाई बढ़ जाती है।
75. बच्चों के रोग:
·
हींग को पानी में पीसकर और गर्म करके
नाभि के आस-पास तथा उसके ऊपर लेप कर दें।
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भुनी हुई हींग, कबीला, बायविडंग को बराबर मात्रा में पीस लें
पहले बच्चे को गुड़ खिला लें और उसके बाद यह मिश्रण खिलाने से पेट के सभी कीड़े मर जाते हैं।
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हींग, काकड़सिंगी, गेरू, मुलेठी, सोंठ और नागरमोथा का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर चटाने से हिचकी और
श्वास (दमा) में आराम आ जाता है।
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सेंधानमक, सोंठ, हींग और भारंगी का
चूर्ण बनाकर उसमें घी मिलाकर खाने से बच्चों
के पेट का अफारा (पेट में मरोड़ होना), और वादी (गैस) का दर्द मिट जाता है।
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कुलिंजन को घिसकर छाछ में मिलाकर और
उसमें थोड़ी सी हींग डालकर कढ़ी बना लें और
बच्चों को खिलायें। इससे बच्चों का अतिसार (दस्त) रोग समाप्त
हो जाता है।
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60 मिलीग्राम भुनी हुई
हींग मां के दूध में मिलाकर दें। इससे बच्चों का पेट दर्द ठीक हो जायेगा।
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हींग को पानी में घोलकर गुदा में लगाने
से बच्चे के चुन्या रोग (गुदा मार्ग में कीड़े) खत्म हो जाते हैं।
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यदि बच्चा रोए तथा चिल्लाये तो समझना चाहिए कि बच्चे के पेट में दर्द है ऐसी
हालत में थोड़ी सी रूई लेकर उसकी गद्दी बनाकर गर्म
करके पेट की सिंकाई करें तथा गुलरोगन गर्म करके पेट पर मालिश करें या 60 मिलीग्राम हींग मां के दूध में मिलाकर
पिलायें। इससे बच्चे के पेट का दर्द
ठीक हो जायेगा और बच्चा चुप हो जायेगा।
76. स्वर भंग (गला बैठना):
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120 मिलीग्राम हींग को गर्म पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुलकर साफ
हो जाता है।
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गर्म पानी में हींग को डालकर गरारे करने
से बैठी हुई आवाज ठीक हो जाती है।
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जुकाम का पानी गले में गिरने या जलवायु परिवर्तन (हवा, पानी बदलना) से आवाज बैठ जाये तो आधा
ग्राम हींग को गर्म पानी में घोलकर दो
बार गरारे करें। इससे आवाज ठीक हो जाती है।
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थोड़ी सी हींग को गर्म पानी के साथ सेवन
करने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।



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