Benefits Of Night Jasmine ( जघन्य रोगों को ठीक करने कि रामबाण औषधी:हरसिंगार )
हारसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है।
पारिजात या 'हरसिंगार' उन प्रमुख वृक्षों में से एक है, जिसके फूल ईश्वर की आराधना में महत्त्वपूर्ण स्थान
रखते हैं। इसे प्राजक्ता, परिजात, हरसिंगार, शेफालिका,
शेफाली, शिउली भी कहा जाता है। उर्दू में इसे गुलज़ाफ़री कहा जाता है। हिन्दू
धर्म में इस वृक्ष को बहुत ही ख़ास स्थान
प्राप्त है। पारिजात का वृक्ष बड़ा ही सुन्दर होता है, जिस पर आकर्षक व सुगन्धित
फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग विविध प्रकार
की औषधि आदि के रूप में भी किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है। यह माना जाता है कि
पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है।
हारसिंगार के पेड़ बहुत बड़े नहीं होते हैं। इसमें गोल बीज आते हैं। इसके
फूल अत्यन्त सुकुमार और बड़े ही सुगन्धित होते हैं। पेड़ को हिलाने से वे नीचे गिर
पड़ते हैं। वायु के साथ जब दूर से इन फूलों की सुगन्ध आती है, तब मन बहुत ही प्रसन्न और आनन्दित होता है। इसके फूलों की डण्डियों को
सुखाकर पानी में डालने से बढ़िया पीला रंग तैयार हो जाता है। किसी औषधि भस्म को
पीले रंग में करने के लिए इन डण्डियों के रंग का उपयोग किया जाता है। हारसिंगार के
पत्तों को चबाकर खाने से जीभ पीली हो जाती है।

रंग : हारसिंगार के पत्ते हरे, फूल का ऊपरी भाग सफेद तथा इसकी डण्डी पीली होती है।
स्वाद : इसका स्वाद फीका होता है।
स्वरूप : हारसिंगार के पेड़ जंगलों तथा बाग-बगीचों में अधिक पाये जाते हैं। इसके फूल
सुन्दर व मनमोहक होते हैं तथा उनकी डण्डी केसरिया होती हैं। हारसिंगार की डण्डियों
को पीसकर कपड़ों को रंगा जाता है। इसके फल छोटे व चपटे होते है। पत्ते अड़हुल के
समान खरखरे होते हैं।

स्वभाव : हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई गरम होता है।
हानिकारक : हारसिंहार खांसी में नुकसानदायक है।
दोषों को दूर करने के लिए : हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग किया जाता है।
मात्रा : 3 ग्राम।
गुण : हारसिंगार बुखार को खत्म करता है। यह कडुवा होता
है। शरीर में वीर्य की मात्रा को बढ़ाता है। इसकी छाल
को अगर पान के साथ खाये तो खांसी दूर हो जाती है। इसके पत्ते दाद, झांई और छीप को खत्म करते हैं।
इसके फूल ठण्डे दिमाग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है। हारसिंगार की जड़ व गोंद भी वीर्य को बढ़ाती है।
विभिन्न भाषाओं में
नाम : संस्कृत- पारिजात, शेफालिका। हिन्दी-
हरसिंगार, परजा, पारिजात। मराठी-
पारिजातक। गुजराती- हरशणगार। बंगाली- शेफालिका, शिउली। तेलुगू- पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल-
पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम - पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़-
पारिजात। उर्दू- गुलजाफरी। इंग्लिश- नाइट जेस्मिन। लैटिन- निक्टेन्थिस
आर्बोर्ट्रिस्टिस।
उपयोग : इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का
सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
v पालतू जानवरों को कोदो
का विष चढ़ने पर: हारसिंगार के पत्तों का रस निकालकर जानवरों को
पिला देना चाहिए।
v खुजली: हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर
लगाने या दही में सोनागेरू घिसकर पिलाने या हरसिंगार के पत्ते दूध में पीसकर लेप
करने से लाभ मिलता है।
v गलगण्ड:(Thyroid) हारसिंगार के पत्ते, बांस
के पत्ते और फल्गुन के पत्ते इकट्ठे पीसकर सात दिन तक लेप करें।
v श्वास या दमा का रोग:
Ø हारसिंगार की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती
पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी
होता है।
Ø हारसिंगार के पौधे की छाल का 2 चुटकी
चूर्ण पान में रखकर सेवन करना चाहिए।
v मलेरिया का बुखार: हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक
का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार
समाप्त हो जाता है।
v खांसी: खांसी में 12-24 मिलीग्राम हारसिंगार की छाल का चूर्ण लेकर पान में रखकर दिन में 3-4 बार
खाने से बलगम का चिपचिपापन दूर हो जाता है और खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
v बालों का झड़ना (गंजेपन
का रोग): हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के
गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।
v बवासीर (अर्श):
Ø हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम
तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर आकार की गोलियां बनाकर
खायें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है।
Ø हारसिगांर के 2 ग्राम फूलों को 30 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों
को पानी में मसलकर छान लें और 1 चम्मच चीनी मिलाकर खाली पेट खायें। इसे नियमित 1 सप्ताह
तक खाने से बवासीर मिट जाती है।
Ø हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम
बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती
है।
v यकृत का बढ़ना: 7-8 हारसिंगार
के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा
(तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।
v नखूनों की खुजली: नाखूनों की खुजली में रोगी का नाखून खुजलाकर हारसिंगार का रस लगाने से रोग दूर होता है।
v तालु रोग: तालु
रोग दूर करने के लिए हारसिंगार की जड़ को चबाने से रोगी को लाभ मिलता है।
v दाद: हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से `दाद´ ठीक हो जाता है।
v मानसिक उन्माद (पागलपन): गर्मी
की घबराहट को दूर करने के लिए हारसिंगार के सफेद फूलों के गुलकन्द का सेवन करना
चाहिए।
v
गृध्रसी
(सायटिका) :
Ø हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में
उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर
ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें।
Ø इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा
में इसे पिएँ। ऐसी चार बोतलें पीने
तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है।
Ø किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी
लेना अच्छा होता है।
Ø
इस प्रयोग में
एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग
वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।
आर्थराइटिस का उपचार :
१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |
१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |
२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |
बुखार का दर्द का उपचार :
डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन मे ठीक हो जायेगा |
घुटने मत बदलिए :
RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़त्म हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने ही पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने ही पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |

राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है |
RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़त्म हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने ही पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने ही पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |
राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है |


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