GOMUTRA – THE MIRACULOUS DRINK FOR HEALTH BENEFIT : गौमूत्र एक महाऔषधि है : गौमूत्र के सेवन से दूर होते हैं कई असाध्य रोग

            GOMUTRA – THE MIRACULOUS DRINK FOR HEALTH BENEFIT        

गौ के रक्त में प्राणशक्ति होती है। गौमूत्र रक्त का गुर्दों द्वारा छना हुआ भाग है। गुर्दे रक्त को छानते हैं। जो भी तत्व इसके रक्त में होते हैं वही तत्व गौमूत्र में है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गाय के गोबर में लक्ष्मी और मूत्र में गंगा का वास होता है, जबकि आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। इसके कुछ गुण इस प्रकार गए हैं  गोमूत्र कसैला, कड़वा तथा तीखा होता है स्वाद में| यह आसानी से पचनेवाला, क्षयकारक तथा प्रकृति में गर्म होता है| यह भूख बढ़ाने वाला, भोजन पचाने वाला, कब्ज तोड़ने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला, बुद्धि बढ़ाने वाला, बहुत ही कम मृदु होता है| यह कफ-वात को कम करने वाला, त्वचा रोग, गुल्म, खून की कमी, श्वेत प्रदर, दर्द, बवासीर, अस्थमा, सामान्य बुखार, बलगम, आँख मुँह के रोगों, स्त्रियों में डायरिया में परम लाभकारी है| इन सबके अतिरिक्त गोमूत्र के कई अन्य लाभ होते हैं|

        गौमूत्र में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व :-                                                                     
नाइट्रोजन, सल्फर, गंधक, अमोनिया, कापर, आयरन, ताम्र, यूरिया, यूरिक ऐसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्शियम, साल्ट, विटामिन ए,बी,सी,डी, ई क्रियाटिनिन, स्वर्णक्षार
        गौमूत्र के आवश्यक मात्रा :-                                                                                        




10 ml दिन में दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार गौमूत्र लेना चाहिए | पीने से पहले ताज़े गोमूत्र को 4 तह (4 folds) कपड़े से छान लेंगुनगुने जल के साथ लें| पित्त के रोगी सादे जल के साथ लें|
        गौमूत्र की प्रकृति :-                                                                                                  

गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है।

        गौमूत्र से होने वाले लाभ :-                                                                                        
साहित्य में गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास और मूत्र में गंगा का वास बताया गया हैं। यह केवल श्रध्दावश नहीं अपितु इसके वैज्ञानिक गुणों कारण कहा गया है गौ मूत्र मनुष्य जाति तथा वनस्पति जगत को प्राप्त होने वाला दुर्लभ अनुदान हैं।

        1-कैंसर का रामबाण इलाज गौमूत्र :-                                                                           

इसमें कैसर को रोकने वाली करक्यूमिनपायी जाती है | गौमूत्र का असर गले के कैंसर पर आहार नली के कैंसर पर पेट के कैंसर पर बहुत ही अच्छा है। शरीर में जब करक्यूमिन नाम के तत्व की कमी होती है। तभी शरीर में कैंसर का रोग आता है। इसी कमी की स्थिति में शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं और एक जुथ जैसा बन लेती हैं, जो ट्यूमर बन जाता है और बाद में यही ट्यूमर कैंसर में तब्दील हो जाता है। गौमूत्र में यही करक्यूमिन भरपूर मात्रा में है और पीने के तुरन्त बाद पचने वाला है। जिससे कि तुरंत असरकारक हो जाता है।
कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है | गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है | अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है | यानी गौमूत्र में कैसर बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है |
कैंसर ठीक करने वाला तत्व करक्युमिन हल्दी के साथ-साथ गौमूत्र में भी भरपूर मात्रा में होता है। गौमूत्र ताजा पीना चाहिए, 48 मिनट के अन्दर गौमूत्र बोतल में भरकर 4-5 दिन तक रख सकते हैं। बोतल काँच का होना चाहिए।

        2-सभी प्रकार के हैपेटाइटिस को दूर करने की क्षमता है गौमूत्र में:-                                   

हैपेटाइटिस परिवार (A, B, c, D, E, F) की बीमारियाँ जिसे ज्चाइन्डिस के नाम से या पीलिया के नाम से हम जानते हैं, ये सारी बीमारियाँ गौमूत्र से ठीक होती हैं। वात और कफ के रोगी बिना कुछ मिलाये गौमूत्र का सेवन कर सकते हैं जैसे दमा, अस्थमा, सर्दी, खांसी आदि। 18 वर्ष से अधिक की स्थिति में गौमूत्र की मात्रा 1/2 कप (50 ग्राम) और 18 वर्ष से अधिक की स्थिति में 25 ग्राम। गौमूत्र पीने का सर्वोत्तम समय सुबह-सुबह निराआहार अर्थात् खाली पेट, कुछ भी खाने के 1 घंटे पहले । जो बीमारी जितने समय में आती है, उतने समय में ही जाती है। अतः लंबी और गंभीर बीमारियों की स्थिति में गौमूत्र कम से कम 3 महीना लेना चाहिए और छोटी बीमारियों की स्थिति में 2 हफ्ते से 1 महीने तक गौमूत्र लेना चाहिए।

        3- सभी त्वचा रोगों में लाभकारी गौमूत्र :-                                                                 

गौमूत्र पीने से त्वचा के सभी रोग ठीक होते हैं, जैसे-सोराइसिस, एक्जिमा, खुजली, खाज, दाल जैसे सब तरह के त्वचा रोग ठीक होते हैं। गौमूत्र की मालिश करने से त्वचा के सफेद धब्बे सब चले जायेंगे। खाज, खुजली एग्जिमा थोड़ा गौमूत्र रोज मालिश करें सब ठीक हो जायेगा। आँखों के नीचे काले धब्बे हैं। गौमूत्र रोज सुबह-सुबह लगाएं, काले धब्बे चले जायेंगे। गौमूत्र नहीं मिले तो गौमूत्र का अर्क ले सकते हैं। अर्क 1 चम्मच से अधिक नहीं लेना चाहिए। अर्क को ऑख में डालने के लिए प्रयोग न करें।
गोबर और गौमूत्र का उपयोग दोनों तरह से अच्छा होता है, आन्तरिक और बाहरी । बाहरी स्थिति में दाद, खाज, खुजली, दाग, धब्बे आदि की स्थिति में, गौमूत्र लगाने के बाद 10 से 15 मिनट सूर्य की रोशनी में छोड़ने के बाद धो देना चाहिए।

        4- टी.बी की बीमारी में भी लाभकारी है गौमूत्र :-                                                      

टी.वी. की बीमारी में डाट्स की गोलियों का असर गौमूत्र के साथ 20 गुना बढ़ जाती है अर्थातृ सिर्फ गौमूत्र पीने से टी.वी. 3 से 6 महीने में ठीक होती है, सिर्फ डाट्स की गोलिशाँ खाने से टी.वी. 9 महीने में ठीक होती है और डाट्स की गोलियाँ और गौमूत्र साथ-साथ देने पर टी.वी. 2 से 3 महीने में ठीक हो जाती है। गोमूत्र से ठीक हुई टी.वी. दुबारा उस शरीर में नहीं आती है। गोमूत्र से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति इतनी अधिक बढ़ जाती है कि इससे बीमारियाँ शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। गौमूत्र से हड्डियों के रोग भी ठीक होते हैं। गौमूत्र से खाँसी, सर्दी, जुकाम, दमा, टी.वी., अस्थमा जैसी सब बीमारियाँ ठीक होती हैं।

        5- आँखों के रोगों का जड़ से नाश करता है गौमूत्र :-                                               

आँख के सभी रोग कफ के हैं और आँख के कोई रोग जैसे मोतियाबिंद (कैटरेक्टर), ग्लुकोमा, रैटिनल डिटैचमेन्ट (इसका दुनिया में कोई इलाज नहीं है यहाँ तक कि ऑपरेशन भी नहीं है) । इसके साथ ऑखों की सभी छोटी-छोटी बीमारियाँ जैसे आँखों का लाल होना, आँखों से पानी निकलना, आँखों में जलन होना, ये सभी छोटी-बड़ी बीमारियाँ गौमूत्र से ठीक होती हैं। मतलब पूरी तरह से ठीक होती हैं। गौमूत्र सूती कपड़े के आठ परत से छानकर 1-1 बूंद आँखों में डालना है। आँखों के चश्मे 6 महीने में उतर जायेंगे। ग्लुकोमा बिना ऑपरेशन ठीक होता है-4 सवा चार महीने में, कैटरक्त-6 सा 6 महीने में ठीक हो जाता है। रेटिनल डिटैचमेन्ट को एक साल लगता है। बस इसे लगातार डालते रहना है।

        6-पित्त के रोगों को दूर भगाए गौमूत्र :-                                                                

पित्त के सभी रोगों के लिए गौमूत्र जब भी पियें, उन समयों में घी (देशी गाय का) का सेवन खाने में अधिक करें। पित्त के रोगी गौमूत्र का इस्तेमाल पानी बराबर मात्रा में मिलाकर करें जैसे एसिडिटी, हाईपर एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, पेट में घाव हो गया आदि के लिए।

        7- सिजेरियन की स्तिथि को टाल देता है गौमूत्र :-                                               

सिजेरियन (ऑपरेशन) बच्चे पैदा होने की अप्राकृतिक क्रिया है अर्थात् प्रकृति के विरूद्ध की क्रिया है जिसके कारण पेट दर्द, कमर दर्द, जाँघों का दर्द आदि कभी भी पूरी तरह ठीक नहीं होते हैं। बच्चे के गर्भ का समय 9 महीने 9 दिन का होता है। अतः 9 महीने पूरे होने के बाद यदि डाक्टर ऑपरेशन के लिए कहता है तो उस स्थिति में 50 ग्राम गौमूत्र + 50 ग्राम गोबर का रस मिलाकर पिला दें। आठ परत के कपड़े (सूती) से छानकर। इसे दो से तीन खुराक में पिलाना चाहिए, दो से 3 चम्मच एक खुराक में देना चाहिए। यदि बच्चा समय से पहले बाहर आ रहा है तो उस समय ज्यादा उपयोगी नहीं होगा । अतः समय पर बाहर आने वाले बच्चों के लिए वह ज्यादा उपयोगी है। जब ऐसा लगने लगे कि बच्चे के बाहर आने का समय हो गया या दर्द शुरू होने का अनुभव होने लगे तभी से गौमूत्र और गोबर का रस देना शुरू कर देना चाहिए । अतः यह औषधि लेने के 24 घंटे के अन्दर परिणाम देगी।

        8- कीटनाशक के रूप में सर्वोत्तम विकल्प है गौमूत्र :-                                         

गोमुत्र कीटनाशक के रूप में भी उपयोगी है।  देसी गाय के एक लीटर गोमुत्र को आठ लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाता है । गोमुत्र के माध्यम से फसल को नैसर्गिक युरिया मिलता है। इस कारण खाद के रूप में भी यह छिड़काव उपयोगी होता है ।गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।

        9- किडनी से सम्बंधित रोगों की अचूक दवा है गौमूत्र :-                                    

मूत्र पिण्ड के सभी रोग जैसे किडनी फेल होने के और किडनी के दूसरी तकलीफों के लिए गौमूत्र 1/2 कप रोज सुबह खाली पेट लें। पेशाब से संबंधित किसी भी रोग (लगभग 22 से 28 रोग) में गौमूत्र 1/2 कप रोज सुबह खाली पेट लें। कब्जीयत की बीमारी में 1/2 कप गौमूत्र 3 से 4 दिन सुबह-सुबह खाली पेट पियें, बिल्कुल ठीक हो जायेगी।

        गौमूत्र के अन्य महत्वपूर्ण लाभ :-                                                                 

1-दूध देने वाली गाय के मूत्र में लेक्टोज की मात्रा आधिक पाई जाती है, जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों के लिए उपयोगी होता है।

2-जोड़ों के दर्द में दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सेकाई करने से आराम मिलता है। सर्दियों के मौषम में इस परेशानी में सोंठ के साथ गौ मूत्र पीना फायदेमंद बताया गया है|

3-गैस की शिकायत में प्रातःकाल आधे कप पानी में गौ मूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।

4-गौमूत्र मोटापा कम करने में भी सहायक है। एक ग्लास ताजे पानी में चार बूंद गौ मूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से लाभ मिलता है।

5-गौमूत्र का सेवन छानकर किया जाना चाहिए। यह वैसा रसायन है, जो वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।

6-अमेरिका में हुए एक अनुसंधान से सिध्द हो गया है कि गौ के पेट में "विटामिन बी" सदा ही रहता है। यह सतोगुणी रस है व विचारों में सात्विकता लाता है।

7-गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए| गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही भोजन करना चाहिए|

8-गौमूत्र देशी गाय का ही सेवन करना सही रहता है। गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए। एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।

9-मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए| पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए| पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|

10-घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है, जिस घर में प्रतिदिन गौमूत्र का छिड़काव किया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।

11-गौमूत्र में गंगा मईया वास करती हैं। गंगा को सभी पापों का हरण करने वाली माना गया है, अत:  गौमूत्र पीने से पापों का नाश होता है।

12-जिस घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव होता है, वहां बहुत सारे वास्तु दोषों का समाधान एक साथ हो जाता हैं। वात, पित्त और कफ के कुल 148 रोग हैं। भारत में इन 148 रोगों को अकेले खत्म करने की क्षमता यदि किसी वस्तु में है तो वो है देशी गाय का गौमूत्र । गोमूत्र वात, पित्त, कफ तीनों की सम अवस्था में लाने के लिए सबसे ज्यादा मदद करता है ।

13-गौमूत्र को न केवल रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला, कफ, वात व पित्त संबंधी तीनो दोषों का नाशक, हृदय रोगों व विष प्रभाव को खत्म करने वाला, बल-बुद्धि देने वाला बताया गया है, बल्कि यह आयु भी बढ़ाता है|

14-पेट की बीमारियों के लिए गौमूत्र रामवाण की तरह काम करता है इसे चिकित्सीय सलाह के अनुसार नियमित पीने से यकृत यानि लिवर के बढ़ने की स्थिति में लाभ मिलता है। यह लिवर को सही कर खून को साफ करता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।

15-गौमूत्र को मेध्या और हृदया कहा गया है। इस तरह से यह दिमाग और हृदय को शक्ति प्रदान करता है। यह मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा करता है और इन अंगों को प्रभावित करने वाले रोगों से बचाता है।

16-देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ‘`प्रोपिलीन ऑक्साइड उत्पन्न होती है, जो बारिस लाने में सहायक होती है| इसी के मिश्रण से इथिलीन ऑक्साइड गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है |

        गौमूत्र से सम्बंधित विशेष सावधानियाँ :-                                                             

1-गोमूत्र हमेशा स्वस्थ देशी गाय का ही लिया जाना चाहिए|
2-उसी गाय का मूत्र प्रयोग करें, जो वन की घास चरती हो और स्वच्छ जल पीती हो।
3-गोमूत्र  को हमेशा निश्चित तापमान पर रखा जाना चाहिए| न अधिक गर्म और न अधिक ठंडा|
4-गोमूत्र की मात्रा ऋतु पर निर्भर करती है| चूँकि इसकी प्रकृति कुछ गर्म होती है इसीलिए गर्मियों में इसकी मात्रा कम लेनी चाहिए|
5-आठ वर्ष से कम बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को गोमूत्र अर्क वैद्य की सलाह के अनुसार ही दें|
6-रोगी, गर्भवती गाय का मूत्र प्रयोग न करें।
7-बिना व्याही गाय का मूत्र अधिक अच्छा है।
8-ताजा गौमूत्र प्रयोग करें।
9-मिट्टी, कांच, स्टील के बर्तन में ही गौमूत्र रखें।


 इस पोस्ट में प्रयुक्त चित्र google image से लिए गए हैं, यदि किसी को इससे कोई आपत्ति/शिकायत है तो vsmskb@gmail.com पर संपर्क करे|

Comments